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राजस्थानी लोक नृत्य के कई अनोखे रूप मेरठ में भी हैं प्रचलित!

मेरठ

 09-03-2024 09:21 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला

कई दावों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि "सितार और तबले की खोज हमारे ही क्षेत्र मेरठ में हुई थी।" इससे पता चलता है कि नृत्य और संगीत के क्षेत्र में मेरठ का योगदान कितना अहम् और बड़ा रहा है। हम आमतौर पर रासलीला और नौटंकी जैसे अपने स्थानीय और उत्तर प्रदेश के लोक नृत्यों से तो भली भांति परिचित हैं। लेकिन आज हम विशेष रूप से “राजस्थानी लोक नृत्य” की विशेषताओं के बारे में जानेंगे, जो हमारे शहर में भी व्यापक रूप से लोकप्रिय है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, नृत्य की उत्पत्ति दैवीय शक्तियों से हुई है। माना जाता है कि सृष्टि के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने पहली बार नृत्य की कल्पना की थी। उन्होंने ऋषि भरत मुनि को प्रदर्शन कला पर एक व्यापक ग्रंथ (नाट्य शास्त्र) लिखने के लिए प्रेरित किया। मान्यता है कि इसी प्राचीन पाठ से नृत्य और नाटक की एक संहिताबद्ध प्रथा का उदय हुआ।
शिव, काली और कृष्ण जैसे हिंदू देवताओं को भी अक्सर नृत्य करते हुए चित्रित किया जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इनके नृत्य, अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं:
1. शिव तांडव: शिव का लौकिक तांडव नृत्य सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक शक्तिशाली और गतिशील नृत्य है।
2. काली का नृत्य: देवी काली, उग्र देवी, एक ऐसा नृत्य करती है जो सृजन और विनाश दोनों का प्रतीक है।
3. कृष्ण की रास लीलाएँ: चंचल भगवान श्री कृष्ण को गोपियों के साथ उनके आनंदमय नृत्य के लिए भी जाना जाता है, जिन्हें "रास लीला" के रूप में जाना जाता है। नृत्य प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। गुफा चित्रों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि पुरापाषाण काल के लोगों ने भी खुद को व्यक्त करने के लिए नृत्य का सहारा लिया था। आज शास्त्रीय और लोक नृत्य दो प्रकार के पारंपरिक भारतीय नृत्य हैं। भारत में शास्त्रीय नृत्य रूपों की एक समृद्ध विविधता मौजूद है, जिनमें से प्रत्येक का उद्भव विभिन्न क्षेत्रों से हुआ है। ये नृत्य रूप अपने-अपने क्षेत्रों की अनूठी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। जैसे:
⦾ शास्त्रीय नृत्य, नृत्य का एक जटिल रूप है, जिसके लिए कड़े प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। यह “नाट्यशास्त्र” नामक प्राचीन संस्कृत पाठ पर आधारित है। हालाँकि इसके विपरीत लोक नृत्य, नृत्य का एक सरल रूप है जिसे लोग अपने दैनिक जीवन को व्यक्त करने के लिए बनाते हैं, यह नृत्य अक्सर स्थानीय संगीत पर किया जाता है।  शास्त्रीय नृत्य अधिक तकनीकी है, और इसमें लालित्य, संतुलन, मुद्रा और अभिव्यंजक हाव भाव की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, लोक नृत्य के लिए किसी तकनीकी कौशल की आवश्यकता नहीं होती है। यह पूरी तरह से ऊर्जा, उत्साह और आनंद पर निर्भर होता है।
⦾ शास्त्रीय नृत्य सीखना इसकी जटिलता के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जबकि लोक नृत्य सीखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। साथ ही शास्त्रीय नर्तकों को कई वर्षों के औपचारिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है, लेकिन लोक नर्तकों को किसी औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
⦾ शास्त्रीय नृत्य एकल या समूह में किया जा सकता है, लेकिन लोक नृत्य आमतौर पर समूहों में ही किया जाता है।शास्त्रीय नृत्य की उत्पत्ति मंदिरों और शाही दरबारों में हुई, जबकि लोक नृत्य का विकास आम लोगों द्वारा किया गया।
⦾ शास्त्रीय नृत्य आठ प्रकार के होते हैं, जिनमें भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कथकली, कुचिपुड़ी, सत्त्रिया, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम शामिल हैं। लेकिन भारत में घूमर, गरबा, बिहू, लावणी, डांडिया, कालबेलिया, रूफ, चरी और भांगड़ा जैसे 30 से अधिक प्रकार के लोक नृत्य हैं। कुल मिलाकर शास्त्रीय और लोक नृत्य के बीच मुख्य अंतर यही है कि शास्त्रीय नृत्य अधिक जटिल और तकनीकी है, जबकि लोक नृत्य सरल और अधिक मजेदार है। इसके अतिरिक्त, भारत कई लोक नृत्यों का घर है, जिनमे भांगड़ा, बिहू, घुमुरा, संबलपुरी और छाऊ गरबा आदि शामिल हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इनमे से प्रत्येक लोक नृत्य स्थानीय समुदायों के जीवन और महत्व की एक गहरी झलक प्रदान करता है।

राजस्थान को खासतौर पर अपनी विविध नृत्य श्रंखलाओं के लिए जाना जाता है। इस राज्य, को अपने शाही इतिहास के कारण "राजाओं का घर" भी कहा जाता है। यह भारत में एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह राज्य अपनी विविध संस्कृति, आश्चर्यजनक स्मारकों, कला, भाषा और जीवंत लोक नृत्यों के लिए जाना जाता है। विशेष अवसरों के दौरान किये जाने वाले ये नृत्य आयोजनों में खुशी की चमक भर देते हैं। यहाँ के सभी नृत्य ऊर्जा से भरपूर और अद्वितीय होते हैं, जिनके माध्यम से ऐसी कहानियां सुनाई जाती हैं, जो राजस्थान की जीवंत राजस्थानी संस्कृति को दर्शाती हैं।
चलिए अब राजस्थान के सबसे मनमोहक लोक नृत्यों पर एक नजर डालते हैं: घूमर: यह एक क्लासिक राजस्थानी नृत्य है, जिसे अपनी सुंदर चाल, हाथ हिलाने के ढंग, घूमने और लयबद्ध ताली बजाने के लिए जाना जाता है। इसे लोक गीतों के साथ प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्य का प्रदर्शन महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर होली और तीज जैसे त्योहारों के दौरान करती हैं। यह नृत्य, अपनी समन्वित गतिविधियों और घूमती पोशाकों के साथ, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। कालबेलिया: इसे "स्नेक चार्मर डांस (Snake Charmer Dance)" के रूप में भी जाना जाता है, इस नृत्य में कालबेलिया जनजाति की महिलाएं सांप की हरकतों की नकल करती हैं। इस दौरान नर्तक पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और पुरुष पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाते हैं। यह नृत्य गीत लोककथाओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं, जिससे प्रदर्शन और भी अधिक मनोरम बन जाते हैं। कच्छी घोड़ी नृत्य: यह नृत्य राजस्थान के स्थानीय डाकुओं की किंवदंतियों को दर्शाने के लिए पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस दौरान कलाकार पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और एक सजे हुए नकली घोड़े की सवारी करने का नाटक करते हैं। इस दौरान वह नकली तलवारबाजी भी करते हैं। भवई नृत्य: यह राजस्थान की आदिवासी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक नृत्य है। इस दौरान महिलाएं घूमते समय अपने सिर पर कई बर्तनों को संतुलित करती हैं। साथ वह अक्सर अपने पैरों से प्लेट या तलवार की धार भी पकड़ती हैं। पुरुष, गायन और वाद्ययंत्र बजाकर नृत्य में शामिल होते हैं। कठपुतली नृत्य: इस नृत्य के दौरान राजस्थान में कठपुतली की प्राचीन कला को प्रदर्शित किया जाता है। कठपुतली नृत्य के तहत पौराणिक कथाओं, भारतीय लोक कथाओं और सामाजिक मुद्दों की कहानियाँ बताने के लिए लकड़ी की गुड़िया या कठपुतली का उपयोग किया जाता है। चरी नृत्य: यह नृत्य विशेष अवसरों पर सैनी और गुज्जर समुदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसमें पीतल के बर्तन या चरी में पानी इकट्ठा करने की रस्म निभाई जाती है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नाचते और गाते हुए महिलाएं अपने सिर पर बर्तन को संतुलित करती हैं, जिसमें एक जलता हुआ दीपक होता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2sjp3avr
https://tinyurl.com/2vjj2k52
https://tinyurl.com/52xvr936

चित्र संदर्भ
1. घूमर नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नृत्य मुद्रा में युवती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नृत्य मंचन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत नाट्यम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. घूमर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. कालबेलिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. कच्छी घोड़ी नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. भवई नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. कठपुतली नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. चरी नृत्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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