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पुराने जमाने में माना जाता था कि घर से अगर कोई एक सदस्य कुछ दिनों के लिए बाहर चला जाए तो घर सूना सूना हो जाता है। लेकिन आज के जमाने में तो अगर टीवी खराब हो जाए या नेटवर्क न आए तो घर सूना हो जाता है। भारत के टेलीविज़न निगरानी संगठन 'ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल' (TV monitoring organization Broadcast Audience Research Council BARC) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 तक लगभग 210 मिलियन भारतीय परिवारों में टेलीविजन सेट थे, जो 2018 में 197 मिलियन की संख्या से 6.9% अधिक है। वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 226 मिलियन हो गई। भारत में टीवी देखने वालों की संख्या 2018 में 836 मिलियन से 6.7% बढ़कर 2021 में 892 मिलियन हो गई। जिसमें शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में टीवी देखने वालों की संख्या में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन स्वामित्व 2010 में 108.9 मिलियन से बढ़कर 2021 में 119.2 मिलियन हो गया। लोगो के घर के साथ साथ दिल में इतना बड़ा स्थान रखने वाला टीवी प्रसारण कैसे शुरू हुआ? आइये जानते हैं इसके बारे में।
टेलीविज़न की अवधारणा 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में कई व्यक्तियों के प्रयासों के फलस्वरूप मूर्त रूप में परिणत हुई। सबसे पहले चलती छवियों का व्यावहारिक प्रसारण रेडियो सिस्टम पर एक दृश्य को समय-समय भिन्न सिग्नल में स्कैन करने के लिए यांत्रिक घूर्णनशील छिद्रित डिस्क का उपयोग करके किया गया था। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ओपिनियन इस प्रयास के द्वारा टेलीविजन का विकास बीच में ही बाधित हो गया। युद्ध की समाप्ति के बाद, छवियों को स्कैन करने और प्रदर्शित करने के सभी इलेक्ट्रॉनिक तरीके मानक निर्धारित कर दिए गए। इसके साथ ही तकनीकी रूप से असंगत सिग्नल मानकों का उपयोग करके विभिन्न क्षेत्रों में प्रेषित छवियों में रंग जोड़ने के लिए कई अलग-अलग मानक विकसित किए गए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद टेलीविजन प्रसारण का तेजी से विस्तार हुआ, जो विज्ञापन, प्रचार और मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण जन माध्यम बन गया।
टेलीविजन प्रसारण के इतिहास को निम्न बिंदुओं के माध्यम से संक्षेप में समझा जा सकता है:
➤ टेलीविजन प्रसारण का इतिहास 19वीं सदी की शुरुआत में स्कॉटिश आविष्कारक अलेक्जेंडर बैन (Alexander Bain) द्वारा निर्मित 1843 और 1846 के बीच प्रतिकृति मशीन से चित्रमुद्रण को यांत्रिक रूप से स्कैन करने के साथ शुरू हुआ।
➤ हालांकि छवियों के प्रसारण का पहला प्रदर्शन ऑगस्टो बिसिरि (Augusto Bissiri) द्वारा 1906 में, एक फोटोग्राफ छवि को एक कमरे से दूसरे कमरे में प्रसारित करके किया गया।
➤ छवियों के तात्कालिक प्रसारण का पहला प्रदर्शन 1909 में पेरिस Paris में जॉर्जेस रिग्नौक्स (Georges Rignoux) और ए फ़ोर्नियर (A. Fournier) द्वारा किया गया।
➤ मई 1914 में, आर्चीबाल्ड लो (Archibald Low) ने लंदन में इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स (Institute of Automobile Engineers in London) में अपने टेलीविजन सिस्टम 'टेलीविस्टा' (Televista) का पहला प्रदर्शन दिया।
➤ 1923 में, स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड (John Logie Baird) ने एक संपूर्ण टेलीविजन प्रणाली की परिकल्पना की, जिसमें निप्को डिस्क का उपयोग किया गया था।
➤ 25 दिसंबर, 1926 को, केनजिरो ताकायानागी (Kenjiro Takayanagi) ने 40-लाइन रिज़ॉल्यूशन के साथ एक टेलीविजन प्रणाली का प्रदर्शन किया, जिसमें जापान के ‘हमामात्सू इंडस्ट्रियल हाई स्कूल’ (Hamamatsu Industrial High School in Japan) में निप्को डिस्क स्कैनर और सीआरटी डिस्प्ले का उपयोग किया गया था।
➤ 1927 में, बेल टेलीफोन प्रयोगशालाओं (Bell Telephone Laboratories) की एक टीम ने वाशिंगटन (Washington) से न्यूयॉर्क (New York) तक टेलीविजन प्रसारण का प्रदर्शन किया, जिसमें दर्शकों को छवियों को दृश्यमान बनाने के लिए 50 नियॉन रोशनी वाली 50 लाइनों की एक प्रोटोटाइप श्रृंखला का उपयोग किया गया।
➤ 1928 में, WRGB को दुनिया के पहले टेलीविज़न स्टेशन के रूप में शेनेक्टैडी, न्यूयॉर्क Schenectady, New York में शुरू किया गया। इसे लोकप्रिय रूप से "WGY टेलीविज़न" के नाम से जाना जाता था।
अंततः इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न द्वारा यांत्रिक प्रणालियों को प्रतिस्थापित कर दिया गया। बेहतर तस्वीर गुणवत्ता, छोटे आकार बिना किसी आवाज और कम दृश्य सीमाओं के साथ, इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न यांत्रिक प्रणालियाँ से कहीं अधिक बेहतर थे और समय के साथ इनमें तेजी से विकास एवं सुधार होता गया। 1939 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में यांत्रिक टेलीविजन अंतिम प्रसारण के साथ इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण शुरू हो गया। आज टेलीविज़न प्रसारण को स्थलीय संचार स्टेशनों से बहुत उच्च आवृत्ति (Very high frequency (VHF) और अल्ट्रा हाई आवृत्ति (Ultra high frequency (UHF) रेडियो सिग्नल द्वारा, पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों से सूक्ष्म तरंग सिग्नल द्वारा, या केबल टीवी द्वारा व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को तारयुक्त संचार द्वारा प्रसारित किया जाता है। हालांकि कई देशों में मूल एनालॉग रेडियो प्रसारण बंद हो गया है और अब इसके स्थान पर डिजिटल टेलीविजन मानकों का उपयोग किया जाता है, ताकि उपभोक्ताओं को अतिरिक्त परिचालन सुविधाएँ प्राप्त हो सकें।
हमारे देश भारत में टेलीविज़न का प्रसारण पहली बार 15 सितंबर, 1959 को यूनेस्को की सहायता से देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था। जिसमें प्रसारित होने वाले पहले कार्यक्रम को सप्ताह में दो बार एक-एक घंटे के लिए प्रसारित किया जाता था। यह कार्यक्रम सामुदायिक स्वास्थ्य, नागरिकों की ज़िम्मेदारियाँ और अधिकार, यातायात और सड़क सुरक्षा पर आधारित था। इसके बाद 1961 में, टेलीविजन पर विद्यालयों के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों को शामिल किया गया। 1972 में मुंबई में दूसरे टेलीविज़न स्टेशन की स्थापना के साथ टेलीविज़न प्रसारण के विस्तार का कार्य प्रारंभ हो गया। इसके बाद 1973 में श्रीनगर और अमृतसर में फिर 1975 में कलकत्ता, मद्रास और लखनऊ में स्टेशन स्थापित किए गए। प्रसारण के पहले 17 वर्षों के दौरान, टेलीविजन प्रसारण अनियमित काले और सफेद (Black & White) रंग में था। हालाँकि, 1976 तक, इस प्रणाली के तहत 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के अंदर 45 मिलियन लोगों को सेवा देने के लिए आठ टेलीविजन स्टेशनों की स्थापना हो चुकी थी। ऑल इंडिया रेडियो ( All India Radio (AIR) के हिस्से के रूप में, सरकार द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंदर एक नए विभाग के रूप में राष्ट्रीय टीवी चैनल ‘दूरदर्शन’ की स्थापना की गई। 15 अगस्त 1982 को दूरदर्शन पर पहली बार रंगीन प्रसारण शुरू हुआ। सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट साइट (Satellite Instructional Television Experiment (SITE)) कार्यक्रम की शुरुआत भारत में टीवी के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। उस समय दूरदर्शन पर प्रसारित अधिकांश कार्यक्रमों का प्रसारण सुबह और शाम होता था। यह कार्यक्रम कृषि ज्ञान के अलावा, स्वास्थ्य देखभाल परिवार कल्याण, नृत्य, संगीत, रंगमंच, लोक और ग्रामीण कला रूपों में मनोरंजन आदि विषयों पर आधारित थे। 1982 में दूरदर्शन पर नौवें एशियाई खेलों का प्रसारण भारतीय टेलीविजन इतिहास में एक महत्वपूर्ण चरण था। पहली बार, उपग्रह INSAT 1A के माध्यम से दूरदर्शन पर राष्ट्रव्यापी रंगीन प्रसारण किया गया। 1982 तक, दूरदर्शन पर खेलों का लाइव (LIVE) प्रसारण भी किया जाने लगा। 19 नवंबर, 1984 को नई दिल्ली में दूसरे चैनल का उद्घाटन किया गया। 1 अप्रैल, 1993 को मनोरंजन चैनल 'मेट्रो' की शुरुआत हुई। वर्तमान में दूरदर्शन 35 चैनलों पर कार्यक्रम प्रसारित करता है। 1997 में दूरदर्शन और आकाशवाणी दोनों को एक स्वतंत्र वैधानिक संगठन प्रसार भारती की छत्रछाया में सरकारी एजेंसियों में बदल दिया गया।
वास्तव में टेलीविजन के वृद्धिशील विकास का एक लंबा इतिहास रहा है: रंगीन टेलीविजन ने काले और सफेद का स्थान ले लिया। फ्लैट स्क्रीन ने बड़े बड़े बक्सों का स्थान ले लिया और 3 चैनल 300 में बदल गए। नेटवर्क का स्थान केबल और उपग्रह ने ले लिया और अब इनके स्थान पर ऑनलाइन और मोबाइल प्लैटफॉर्म आ रहे हैं। आज पारंपरिक टेलीविजन के लिए सबसे बड़ा खतरा, जैसा कि हम जानते हैं, नए ऑनलाइन और मोबाइल सेवाएं प्रदान करने की बढ़ती क्लाउड-आधारित प्रौद्योगिकी से है। प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति और ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री की उच्च गुणवत्ता के कारण दर्शकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और इसके परिणामस्वरूप, बाज़ार संरचना, कंपनियों के बीच संबंध और मूल्य वितरण सभी में परिवर्तन आए हैं। दर्शकों की ऑनलाइन सामग्री तक पहुँच बढ़ रही है जिसके परिणामस्वरुप इन नए चैनलों के माध्यम से मूल्य हासिल करने के लिए व्यवसाय मॉडल तेजी से बदल रहे हैं। ऑनलाइन और मोबाइल देखने की इस वृद्धि का पारंपरिक सब्सक्रिप्शन-टीवी व्यवसाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। कुछ उपभोक्ता टीवी सदस्यता रद्द कर रहे हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग अपनी मौजूदा टीवी सेवा के साथ साथ ऑनलाइन और मोबाइल सेवाओं दोनों का उपयोग करते हैं। ऑनलाइन और मोबाइल सेवाओं की वृद्धि और स्ट्रीमिंग वीडियो के लिए उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, मौजूदा टेलीविजन प्रसारक कंपनियां बाज़ार में बने रहने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए उपभोक्ताओं के सामने नई-नई पेशकश कर रही हैं।
संदर्भ
https://shorturl.at/cHOZ9
https://shorturl.at/jDKM8
https://shorturl.at/dilW2
https://shorturl.at/sxAF0
चित्र संदर्भ
1. गांव में टीवी देखते लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक साथ रखे गए टेलीविज़नों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रंगीन टीवी के टेस्ट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक पुराने टीवी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. दूरदर्शन केंद्र भुवनेश्वर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. SITE में उपयोग के लिए NASA की सहायता से डिज़ाइन किए गए सॉलिड-स्टेट टेलीविज़न सेट के कार्यशील मॉडल के बगल में एक इसरो तकनीशियन। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. एक साथ क्रम में रखे गए टेलीविज़नों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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