हस्तशिल्प क्यों हैं प्रतिष्ठावान?

लखनऊ

 04-03-2018 09:34 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

आज यदि ये सवाल पूछा जाता है कि ,”हस्तशिल्प क्यों?” तो इसका जवाब देना इतना भी सरल नहीं है। क्योंकि हस्तशिल्प का महत्त्व मानव की शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने से कई ज़्यादा है। इसका जवाब ढूँढने के लिए हमें इतिहास के उस कोने में जाना होगा जहाँ मनुष्य अपने सांस्कृतिक विकास से एक कला-उन्मुख समाज बना चुका था और जहाँ हस्तशिल्प का एक सम्माननीय स्थान था।

हस्तशिल्प हमेशा से ही मानव समाज की एक मूल गतिविधि रही है क्योंकि शिल्प हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं। एक अच्छे शिल्प कौशल की पहचान है जब बनायी गयी वस्तु उपयोगी होने के साथ साथ दिखने में भी खूबसूरत एवं आँखों के लिए सुखदायक हो।

समाज में हस्तशिल्प की वृद्धि बढ़ती संवेदनशीलता और मानवतावाद का संकेत थी। वास्तव में हस्तशिल्प के बिना मनुष्य का एक साधारण जीवन से कभी उन्नयन नहीं हो पाता। शुरुआती युगों के प्रारंभिक लोगों ने अपनी फीकी जिंदगी में रंग भरने के लिए पहले खुद को आभूषण पहनाये, फिर रोज़मर्रा की वस्तुओं को, उसके बाद अपने शस्त्रों को और आखिर में अपने परिवेश को। मृत्यु-सम्बन्धी परन्तु सामरिक वस्तु, तीर कमान को भी सजाया गया, पानी के घड़े सुन्दर आकार लेने लगे और रसोईघर के सांसारिक तवे भी सुन्दर दिखने लगे।

मनुष्य जीवन का ऐसा कोई हिस्सा इतना छोटा नहीं है कि उसे कला से जुड़ने का हक़ ना हो। विशेष अवसरों से जुड़ी हर वस्तु चाहे वह कपड़े हों, गहने, बर्तन या कुछ और। इससे मानव की रचनात्मकता का एक निरंतर बहाव बना रहता है और जीवन में एक ताज़गी बनी रहती है।

रामपुर भी वर्षों से अपने हस्तशिल्प के लिए काफी मशहूर है। चाहे वह ज़री ज़रदोज़ी का बारीक काम हो, या लकड़ी के फर्नीचर का काम, वायलिन, चिकनकारी या फिर पतंग बनाना। रामपुर शुरुआत से ही भिन्न प्रकार के हस्तशिल्प का गढ़ रहा है। पुराने समय से रामपुर में हाथों से तोप, बन्दूक आदि का निर्माण होता आ रहा है। रामपुरी चाकू को आज भी जो व्यक्ति पहली बार देखता है, आश्चर्यचकित हो बैठता है।

प्रारंभिक इंडो-आर्यन मनुष्य सुन्दरता की ओर आकर्षित होता था क्योंकि वह सोचता था कि सुन्दरता का इश्वर से सीधा सम्बन्ध है। तथा भारत में, जो हस्तशिल्प के अनंत किस्मों का गढ़ है, सुन्दरता को पूजा जाता है और दिव्य माना जाता है। हर समारोह, त्यौहार, अनुष्ठान या उत्सव से सुन्दरता को जोड़ा जाता है। शिल्प उपकरण शिल्पकार के व्यक्तित्व का ही एक विस्तार हैं जो उसे मानव सीमाओं से परे जाने में सफल बनाते हैं।

1. हैंडीक्राफ्ट्स ऑफ़ इंडिया, कमलादेवी चट्टोपाध्याय



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