दमिश्क, प्राचीन अरब में बहुत माँग हुआ करती थी, भारतीय स्टील से बनी तलवारें की

निवास : 2000 ई.पू. से 600 ई.पू.
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दमिश्क, प्राचीन अरब में बहुत माँग हुआ करती थी, भारतीय स्टील से बनी तलवारें की

आज के समय में जिस भी देश के पास अत्याधुनिक हथियार होंगे, पूरी दुनियाँ में उसी देश का डंका बजता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज से हज़ारों साल पहले के हालात भी लगभग कुछ ऐसे ही थे। उस समय भी किसी व्यक्ति, कबीले या संस्कृति की वास्तविक शक्ति का आकलन उसके पास उपलब्ध हथियारों की आधुनिकता के आधार पर किया जाता था। हालाँकि हमारे पूर्वजों के हथियारों की आधुनिकता, उनकी गति या मारक क्षमता के बजाय, उनके हथियारों की मज़बूती और उन्हें बनाने में प्रयोग की गई धातु पर निर्भर करती थी। हथियारों की दौड़ में कांस्य, लोहे और स्टील की खोज एक क्रांतिकारी उपलब्धि साबित हुई। लोहे की खोज के साथ ही मानव संस्कृति के विकास या यूँ कहें कि हथियारों के विकास ने भी अभूतपूर्व गति पकड़ ली। इंसानों ने लगभग 2000 ईसा पूर्व में लोहे का उत्पादन करना शुरू कर दिया था, जिसके साथ ही “लौह युग (Iron Age)” की शुरुआत हो गई थी। लोहे की खोज से पहले के हथियारों को कांस्य (Bronze) धातु से बनाया जाता था। लेकिन चूंकि लोहा, कांस्य की तुलना में अधिक कठोर और टिकाऊ धातु थी, इसलिए हथियारों के विनिर्माण के लिए लोहा ही मनुष्य की पहली पसंद की धातु बन गया। लोहा, प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर मौजूद चौथा सबसे प्रचुर तत्व है। लोहे को अयस्कों, खनिजों के साथ मिश्रित चट्टानों (Mixed Rocks), ऑक्साइड (Oxides) और यौगिकों के रूप में पाया जाता है। सामान्य तौर पर लोहे की तुलना में स्टील, अधिक मज़बूत धातु मानी जाती है। हालाँकि स्टील को भी लौह अयस्क (Iron Ore) को पिघलाकर ही बनाया जाता है। स्टील निर्माण हेतु, लौह अयस्क को पिघलाने के लिए इसे भट्ठी में 1700 डिग्री सेल्सियस (Degree Celsius) से अधिक के तापमान पर गर्म किया जाता है। इसके बाद लोहे को पिघलाने के दौरान ही किसी भी प्रकार की अशुद्धियों से छुटकारा पाने के लिए इस मिश्रण में थोड़ा सा फ्लक्स (Flux) और आमतौर पर चूना पत्थर भी मिलाया जाता है। इसके बाद भट्ठी में उच्च दबाव वाली ऑक्सीजन प्रवाहित की जाती हैं, जो अयस्क में मौजूद सामग्री के साथ प्रतिक्रिया करती है और इसे इतने उच्च तापमान पर पिघलने में मदद करती है। इस प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कार्बन मोनोआक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बनती है। आख़िर में पिघले हुए स्टील को एक बड़े फ़नल (Funnel) में डाला जाता है, जो इसे आकार देने के लिए एक सांचे में ले जाता है। एक बार जब स्टील को वांछित आकार में ढाल लिया जाता है, तो इसे काटने और फिनिशिंग (Finishing) के लिए आगे भेज दिया जाता है। इस प्रकार हमें हमारा जाना पहचाना स्टील मिल जाता है। 1800 के दशक तक, स्टील बहुत महंगा हुआ करता था और इसका निर्माण करना कठिन साबित होता था, इसलिए लंबे समय तक लोहा ही लोगों की पसंदीदा धातु बना रहा। 1870 के दशक में बड़े पैमाने पर उत्पादित स्टील की लागत कम होने और अच्छी गुणवत्ता के कारण लोहे के बजाय स्टील ही मनुष्य की पसंदीदा धातु बन गई। अरब अभिलेखों के अनुसार, तीसरी और 17वीं शताब्दी के बीच, भारत से स्टील के ब्लॉक (Steel Block), दमिश्क (Damascus) ले जाए जाते थे। दमिश्क तलवारों के ब्लेड (Blades) 'वूट्ज़ (Wootz)' नामक इसी स्टील से बनाए जाते थे। उस समय 'वूट्ज़ को दक्षिण भारत में बनाया जाता था। वूट्ज़ स्टील, जिसे “दमिश्क स्टील” भी कहा जाता है, वास्तव में एक पुरानी प्रकार की धातु है। लोगों ने 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास हथियार ख़ासतौर पर तलवार बनाने के लिए इसी का उपयोग करना शुरू कर दिया था। इसे बनाने में उपयोग की जाने वाली जटिल हीटिंग (Complex Heating) और जटिल रासायनिक प्रक्रिया के कारण इस स्टील का पैटर्न (Pattern) बहुत ही विशेष होता है। वूट्ज़ स्टील, अत्यधिक कठोर होती है और इसे इसकी मज़बूती के लिए ही जाना जाता है। जानकार सदियों से, यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वूट्ज़ स्टील वास्तव में किस चीज़ से बना हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि इसे उल्काओं (Meteors) से प्राप्त लोहे का उपयोग करके तथा चारकोल और मिट्टी जैसी स्थानीय सामग्रियों के साथ मिलाकर बनाया गया था। हाल के शोध में पाया गया है कि वूट्ज़ स्टील में कार्बन, तांबा और निकल सहित 15 अलग-अलग तत्व हो सकते हैं। हालाँकि, इसका प्राथमिक घटक लोहा ही हैं। इसमें मैंगनीज़ और कोबाल्ट (Manganese And Cobalt) जैसे अन्य तत्वों की भी थोड़ी बहुत मात्रा होती है। उस समय इस स्टील से निर्मित तलवारों की माँग बहुत अधिक हुआ करती थी, लेकिन सटीक प्राचीन नुस्खा जाने बिना, हम आज इस विशेष स्टील को पूरी तरह से दोबारा नहीं बना सकते।
क्या आप जानते हैं कि हाल ही में मानव इतिहास की सबसे पुरानी तलवारें खोजी गई हैं, जिन्हें अर्सलांतेपे तलवार (Arslantepe Sword) नाम दिया गया है। इन तलवारों को 3300 ईसा पूर्व में बनाया गया था, और इन्हें पूर्वी तुर्की में खोजा गया है। दिलचस्प बात यह है कि ये तलवारें तब बनाई गई थी जब लोगों ने कांस्य का उपयोग करना भी शुरू नहीं किया था। इसे बनाने के लिए उस समय तांबे और आर्सेनिक के मिश्रण का उपयोग किया गया था।

संदर्भ
http://tinyurl.com/yyx8p8vu
http://tinyurl.com/2k6mvrej
http://tinyurl.com/4wa278f6
http://tinyurl.com/2s43pvf6

चित्र संदर्भ
1. दमिश्क स्टील से निर्मित तलवारो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. लोहे को आकार देने की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. लौह अयस्क को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
4. दमिश्क स्टील को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्राचीन समय में धातु पिघलाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. अर्सलांतेपे तलवारों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)