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साधारण औज़ारों से लेकर आधुनिक इमारतों तक कैसा रहा, लोहे का सफ़र?

लखनऊ

 10-01-2024 09:35 AM
ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक

"लोहे" को मानव इतिहास की सबसे अधिक लाभदायक और क्रांतिकारी खोजों में से एक माना जाता है। आधुनिक समय में शायद ही कोई ऐसी इमारत होगी, जिसके निर्माण में लोहे का प्रयोग न किया गया हो। इंसानों ने 1200 ईसा पूर्व, यानी आज से लगभग 3000 साल पहले ही लोहे की खोज कर ली थी और लोहे से निर्मित औज़ारों का प्रयोग करना शुरू किया था। लोहे की खोज और लोकप्रियता के इस दौर को आज "लौह युग" के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि "लौह युग की शुरुआत लगभग 1200 से 600 ईसा पूर्व में हुई थी। हालांकि यह युग, पृथ्वी के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर, पाषाण युग और कांस्य युग के बाद शुरू हुआ। लौह युग के दौरान, यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में रहने वाले लोगों ने लोहे और स्टील से उपकरण तथा हथियार बनाना शुरू कर दिया। ऐसा माना जाता है कि इंसानों ने कांस्य युग में भी छिटपुट रूप से लोहे को गलाया होगा, लेकिन इस दौरान वह लोहे को एक घटिया धातु के रूप में देखते थे। शुरुआत में लोहे के औज़ार और हथियार, कांस्य औज़ारों के जितने कठोर या टिकाऊ नहीं थे। लोहे ने अपनी वास्तविक लोकप्रियता तब पकड़ी जब इंसानों ने यह पता लगाया कि लोहे को कार्बन के साथ गर्म करके एक बेहद मज़बूत धातु ‘स्टील’ को बनाया जा सकता है, जो कांस्य की तुलना में काफी मज़बूत होता है। माना जाता है कि कांस्य युग के दौरान आधुनिक तुर्की में स्थापित "हित्ती साम्राज्य" के लोग, स्टील बनाने वाले पहले मनुष्य रहे होंगे। लौह युग की शुरुआत ही ग्रीस में माइसेनियन सभ्यता (Mycenaean civilization) और तुर्की में हित्ती साम्राज्य के साथ हुई थी। हालाँकि कांस्य युग के इन साम्राज्यों के पतन का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुरातात्विक साक्ष्य यह सुझाव देते हैं, कि इन साम्राज्यों का पतन संभवतः भूकंप, अकाल, सामाजिक-राजनीतिक अशांति या खानाबदोश जनजातियों के आक्रमण जैसे कारणों से हुआ होगा। कई जानकार मानते हैं कि उस समय अज्ञात कारणों से व्यापार मार्ग बाधित हो गए थे, जिसके चलते तांबे या टिन की कमी हो गई थी, जो कांस्य बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। शायद इसीलिए धातु श्रमिकों ने मजबूरन विकल्प के रूप में लोहे का उपयोग करना शुरू कर दिया था। आम तौर पर यह माना जाता है कि लौह युग का अंत लगभग 550 ईसा पूर्व में हुआ था, जब हेरोडोट (Herodotus), (इतिहास के पिता) ने "इतिहास" लिखना शुरू किया। हालाँकि, लौह युग की सटीक समाप्ति तिथि क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, स्कैंडिनेविया (Scandinavia) में, लौह युग का अंत 800 ई. के आसपास हुआ माना जाता है। पश्चिमी और मध्य यूरोप में, लौह युग का अंत आम तौर पर पहली शताब्दी ईसा पूर्व में रोमन विजय से जुड़ा हुआ है।
जैसा कि हमने अभी पढ़ा की दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लौह युग की शुरुआत अलग-अलग समय पर हुई। इसलिए यदि हम भारत की बात करें तो यहाँ पर लौह युग की शुरुआत 2172 ईसा पूर्व यानी लगभग 4,200 साल पहले हो गई थी। भारतीय उपमहाद्वीप के प्रागितिहास में भी लौह युग की शुरुआत कांस्य युग के बाद हुई थी।आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में लोहे को गलाने का सबसे पहला प्रमाण, दुनियां के अन्य हिस्सों में लौह युग के उद्भव से भी कई शताब्दियों पहले का है। 2003 में, राकेश तिवारी नामक एक शोधकर्ता ने उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली लौह कलाकृतियों की आयु निर्धारित करने के लिए रेडियोकार्बन डेटिंग (radiocarbon dating) नामक एक विधि का उपयोग किया। ये कलाकृतियाँ, भट्टियाँ, तुयेरे (गलाने में इस्तेमाल होने वाला एक उपकरण), और स्लैग (slag), 1800 और 1000 ईसा पूर्व के बीच की थीं।
इस समय के दौरान, मध्य गंगा के मैदान और पूर्वी विंध्य में व्यापक रूप से लोहे का उपयोग किया जा रहा था। राकेश तिवारी का मानना है कि ये सबूत भारत के अन्य हिस्सों में लोहे के शुरुआती उपयोग का समर्थन करते हैं, जिससे साबित होता है कि भारत ,लोहे के विकास और उपयोग के लिए एक स्वतंत्र केंद्र हुआ करता था।
भारत में लौह युग से जुड़े कुछ प्राचीनतम स्थान दक्षिण भारत के कर्नाटक में स्थित हल्लूर और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर हैं, जो लगभग 1000 ईसा पूर्व के हैं। कृष्णागिरि ज़िले के मयिलाडुम्पराई में खुदाई की एक रिपोर्ट से पता चला है कि तमिलनाडु में लोग 2172 ईसा पूर्व, या लगभग 4,200 साल पहले लोहे का उपयोग कर रहे थे। इस आधार पर मयिलाडुम्पराई, भारत का सबसे पुराना लौह युग स्थल बन जाता है। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि 4,200 साल पहले भी तमिल लोग लौह प्रौद्योगिकी के बारे में बहुत कुछ जानते थे, और उनके पास खेती करने के लिए पर्याप्त उपकरण और हथियार उपलब्ध थे। सितंबर 2021 में दक्षिणी तमिलनाडु के थूथुकुडी ज़िले के शिव कलाई में जमीन में दफनाए गए एक कलश में धान के बीज खोजे गए, इस कलश को 1155 ईसा पूर्व, या लगभग 3,200 साल पुराना बताया जा रहा है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/4jub8esx
http://tinyurl.com/bdd8etu5
http://tinyurl.com/nxj5dsms

चित्र संदर्भ
1. बुर्ज ख़लीफ़ा और लौह युग के एक हथियार को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr, wikimedia)
2. प्रारंभिक लौह युग की सॉकेट वाली कुल्हाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पिघलते लोहे को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
4. कांस्य युग के हथियारों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सिरपुर उत्खनन से प्राप्त लोहे की खुरचनी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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