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गंगा नहर प्रणाली: अपने समय की एक शानदार जल वितरण संरचना

लखनऊ

 09-01-2024 09:38 AM
नदियाँ

क्या आप जानते हैं, कि साल 1854 में यानी आज से लगभग 170 साल पहले भारत में "गंगा नहर प्रणाली (Ganga Canal System)" नामक एक शानदार सिंचाई जल संरचना अथवा जलमार्ग का निर्माण हुआ! उस समय यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा और सबसे महंगा मानव निर्मित जलमार्ग था! गंगा नहर प्रणाली का निर्माण, उन चुनिंदा और अग्रणी जल परियोजनाओं में से एक था, जिनकी योजना औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाई और उसी दौरान क्रियान्वित भी की गई थी। गंगा नहर हिंदू धर्म के पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार से शुरू होती है और दक्षिण की ओर 898 मील तक फैली हुई है। इसका निर्माण उत्तरी भारत में गंगा और यमुना नदियों के बीच सिंचाई में मदद के लिए किया गया था। अपने ऊपरी हिस्सों में यह नहर अन्य नदियों और झरनों से होकर गुजरती है। बरसात के मौसम में ये जलस्रोत काफी विशाल और तीव्र हो सकते हैं। अन्वेषक और लेखक एंथोनी एक्सियावट्टी (Anthony Acciavatti) ने अपनी पुस्तक "गेनजिस वॉटर मशीन (Ganges Water Machine)" में लिखा है कि नहर बनाने में इस्तेमाल किए गए कुल धन का एक चौथाई भाग इन चौराहों पर मार्ग बनाने पर ही खर्च किया गया था। ये मार्ग पानी के एक बड़े भंडार को दूसरे के ऊपर बहने की अनुमति देते हैं। इस तरह की शानदार इंजीनियरिंग उस समय की दुनिया में अपनी तरह की इकलौती थी। यह नहर योजना, 1837-38 के आगरा के अकाल से सबक़ लेकर बनाई गई थी, क्यों कि इस दौरान गर्मियों में मानसून की बारिश नहीं होने के कारण उत्तर पश्चिम भारत में 80,000 से अधिक लोग भूख से मर गए थे। आज यह नहर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 10 जिलों में लगभग 9,000 वर्ग किमी उपजाऊ कृषि भूमि को सिंचित करती है। बाद में इस नहर में जल-विद्युत संयंत्रों को भी जोड़ा गया जो अपनी पूरी क्षमता पर चलने पर लगभग 33MW बिजली उत्पन्न कर सकते हैं। नहर निर्माण से लगभग एक दशक से भी पहले, डिजाइनर और इतिहासकार, एंथोनी एक्सियावट्टी ने गंगा बेसिन का एक गतिशील मानचित्र (dynamic map) बनाने की परियोजना शुरू की थी। इस मानचित्र का उद्देश्य यह दिखाना था कि समय और मौसम के साथ क्षेत्र भी कैसे बदलता है, और लोग इन परिवर्तनों के अनुकूल कैसे ढलते हैं। हालाँकि, जब वे भारत पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि यहाँ पर उनकी मदद करने के लिए इस संदर्भ की बहुत कम किताबें उपलब्ध थी। जब उन्होंने गंगा बेसिन के मौजूदा नक्शों के बारे में पूछा, तो उन्हें बताया गया कि, एक विदेशी को इन नक्शों को देखने की अनुमति नहीं दी जाएगी! आखिरी बार बेसिन का व्यापक मानचित्रण 1960 और 70 के दशक की शुरुआत में किया गया था। एक्सियावट्टी ने अगले दस साल नदी, शहरों और उसके आसपास की ज़मीनों की यात्रा, सर्वेक्षण और तस्वीरें खींचने में बिताए। हालाँकि उनका मूल रूप से गंगा नहर पर काम करने का इरादा नहीं था!
इस प्रणाली को 1842 और 1854 के बीच इंजीनियर प्रोबी थॉमस कॉटली (Proby Thomas Cotley) द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया था। इसके निर्माण का खर्च ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) द्वारा उठाया गया था। श्रमिकों ने 1842 में नहर की खुदाई शुरू की। नहर के पहले 20 मील में, जल निकायों के साथ चार प्रमुख चौराहे हैं। इनमें से दो चौराहों को "सुपर-पैसेज (super-passage)" द्वारा पार किया जाता है। पहला सुपर-पैसेज 200 फीट चौड़ा, 14 फीट गहरा और 450 फीट लंबा है। इसे रेनपुर सुपर-पैसेज (Renpur Super-Passage) कहा जाता है, और इसका तल हिमालय से नीचे आने वाले पत्थरों को धीमा करने के लिए कंक्रीट स्टॉप (concrete stop) की शानदार संरचना से सुसज्जित है। इन स्टॉप्स को हर दो या तीन साल में बदलने की जरूरत होती है। दूसरा सुपर-मार्ग और भी 300 फीट चौड़ा है। परियोजना टीम को योजना के लिए अपनी ख़ुद की ईंटें, ईंट भट्टियां और मोर्टार बनाना पड़ा। गंगा नहर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जिलों में कृषि की सफलता और समृद्धि का स्रोत रही है। बाद में इस योजना का विस्तार करते हुए भारत में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज, सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज, रूड़की (Civil Engineering College, Roorkee) की स्थापना हुई, जिसे अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के नाम से जाना जाता है। क्या आप जानते हैं कि इस परियोजना को कई मौलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें हिंदू पुजारियों का प्रारंभिक विरोध भी शामिल था, जो इस बात को लेकर चिंतित थे कि हिंदुओं के लिए पवित्र नदी गंगा के पानी को कैद कर लिया जाएगा। स्थानीय पुजारियों के साथ बैठकों के बाद, परियोजना डिजाइनर प्रोबी थॉमस कॉटली (Proby Thomas Cotley) इस प्रणाली के बांध में एक जगह छोड़ने पर सहमत हुए, जिसके माध्यम से पानी अनियंत्रित रूप से बह सके।

संदर्भ
http://tinyurl.com/4spvx27m
http://tinyurl.com/yr43vukb

चित्र संदर्भ
1. गंगा नहर की सुंदर पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सैमुअल बॉर्न द्वारा हरिद्वार में गंगा नहर के प्रमुख कार्यों की तस्वीर (1860) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गंगा नहर पर एक पुराने पुल की तस्वीर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. डिजाइनर और इतिहासकार, एंथोनी एक्सियावट्टी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. हरिद्वार के हवाई दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. गंगा नहर के अवरोधों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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