City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1895 | 279 | 2174 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
स्ट्रैटिग्राफी(Stratigraphy) भूविज्ञान एवं पृथ्वी विज्ञान की एक शाखा है, जो पृथ्वी की परतों की व्यवस्था और अनुक्रमण के साथ-साथ इन भूवैज्ञानिक स्तरों की उत्पत्ति, संरचना और वितरण से संबंधित है।परतों की ऊर्ध्वाधर व्यवस्था ‘समय आयाम’ (सबसे नीचे सबसे पुरानी परत, जबकि, सबसे शीर्ष पर सबसे नई परत) का प्रतिनिधित्व करती है। जबकि परतों का क्षैतिज (पार्श्व) वितरण इसके ‘स्थानआयाम’ (स्थानिक भिन्नता) का प्रतिनिधित्व करता है।
पृथ्वी की विभिन्न परतों के बीच मौजूद संबंध को समझने, और इनके लिए एक सापेक्ष कालक्रम प्रदान करने हेतु, पुरातात्विक स्ट्रैटिग्राफी को सावधानीपूर्वक दर्ज करने की आवश्यकता है।
स्ट्रैटिग्राफी के माध्यम से, हम किसी क्षेत्र के भीतर होने वाली भूवैज्ञानिक घटनाओं के इतिहास के बारे में भी जान सकते हैं। तो आइए,स्ट्रैटिग्राफी के माध्यम से देखते हैं कि,हमारे हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ?
दरअसल, हिमालय पर्वत श्रृंखला और तिब्बती पठार का निर्माण भारतीय प्लेट(Indian plate)(पृथ्वी की सतह विभिन्न टेक्टोनिक प्लेटों(Tectonic plate) से बनी होती है) और यूरेशियन प्लेट(Eurasian Plate) के बीच हुए टकराव के परिणामस्वरूप हुआ है।यह टकराव 50 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है।
लगभग 225 मिलियन वर्ष पहले हमारा देश भारत, ऑस्ट्रेलियाई तट(Australian coast) पर स्थित एक बड़ा द्वीप था। बीच में टेथिस महासागर(Tethys Ocean) होने के कारण, यह एशिया खंड से अलग था। लेकिन इस टेथिस महासागर का एक विशाल खंड पैंजिया(Pangea), क़रीब 200 मिलियन वर्ष पहले टूटना शुरू हुआ,जिसके परिणामस्वरुप, भारतीय प्लेट उत्तर की ओर,अर्थात एशिया की ओर बढ़ने लगी। 80 मिलियन वर्ष पहले भारत एशियाई महाद्वीप से 6,400 किलोमीटर दक्षिण में था। लेकिन, यह प्रति वर्ष लगभग 9 से 16 सेंटीमीटर की दर से इसकी ओर बढ़ रहा था। इस समय टेथिस महासागर का तल एशिया खंड की प्लेट के नीचे उत्तर की ओर दब रहा होगा।जबकि, इन प्लेटों की सीमा एक अभिसरण महासागरीय-महाद्वीपीय सीमा रही होगी।
हालांकि, टेथिस महासागर का संपूर्ण तल पूरी तरह से जल में नहीं डूबा था।इस समुद्र के भारतीय किनारे पर मौजूद अधिकांश मोटी तलछटें बिखर गईं, और यूरेशियन महाद्वीप में जमा हो गईं।इसे एक्रीशनरी वेज (Accretionary wedge) के रूप में जाना जाता हैऔर, बिखरी हुई इस तलछट ने ही हिमालय पर्वत श्रृंखला के निर्माण में सहयोग किया है।
लगभग 50-40 मिलियन वर्ष पहले भारतीय महाद्वीपीय प्लेट के उत्तर की ओर खिसकने की दर धीमी होकर, लगभग 4-6 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई। इस गति की व्याख्या यूरेशियन और भारतीय महाद्वीपीय प्लेटों के बीच टकराव की शुरुआत; पूर्व टेथिस महासागर के बंद होने और हिमालय के उत्थान की शुरुआत के रूप में की जाती है।
यूरेशियन प्लेट आंशिक रूप से सिकुड़ गई थी, और भारतीय प्लेट के ऊपर झुक गई थी।लेकिन,दोनों प्लेटों के कम घनत्व या उच्च उछाल के कारण, कोई भी महाद्वीपीय प्लेट नीचे नहीं दब सकी। इससे, हिमालय और तिब्बती पठार को ऊपर धकेलने वाली संपीड़न शक्तियों द्वारा उत्पन्न हुए, वलन और भ्रंश के कारण महाद्वीपीय परत मोटी हो गई। इस महाद्वीपीय परत की औसत मोटाई, लगभग 75 किलोमीटर है।यहां महाद्वीपीय परत की इस मोटाई के कारण, क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधि का अंत हो गयाक्योंकि, ऊपर बढ़ने वाला कोई भी मैग्मा(Magma) सतह तक पहुंचने से पहले ही जमने लगा।
हिमालय आज भी, प्रति वर्ष 1 सेंटीमीटर से अधिक की दर से आगे बढ़ रहा हैक्योंकि, भारतीय प्लेट एशिया में उत्तर की ओर बढ़ रही है। हालांकि, अपक्षय और अपरदन की शक्तियां लगभग समान दर के साथ, हिमालय की उंचाई को व्यवस्थित कर रही हैं।
कहा जाता है कि, टकराव होने से पहले, ये दोनों प्लेटें अपनी वर्तमान सीमाओं से कहीं अधिक विस्तारित रही होंगी। भारत की महाद्वीपीय परत का लगभग 2500 किलोमीटर हिस्सा या तो एशिया के नीचे दब गया था, या कुचलकर हिमालय में समा गया था।
अब यहां प्रश्न उठता है कि, हिमालय पर्वत का भविष्य क्या होगा? आने वाले अगले 5-10 मिलियन वर्षों की अवधि में, ये प्लेटें अपने पूर्व गति दर से ही चलती रहेंगी। इसका मतलब अगले 10 मिलियन वर्षों में,भारत का हिस्सा तिब्बत में,लगभग 180 किलोमीटर अधिक आगे बढ़ जाएगा। चूंकि, नेपाल की सीमाएं हिमालय की चोटियों और भारत के मैदानों पर स्थित हैं, इस वजह से संभवतः नेपाल का तकनीकी रूप से अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। लेकिन, हिमालय पर्वत श्रृंखला ख़त्म नहीं होगी।ऐसा इसलिए,क्योंकि, हिमालय संभवतः उस समय भी वैसा ही रहेगा, जैसा आज है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/3d6cfp69
http://tinyurl.com/3ssz3xe7
http://tinyurl.com/2ax9usdf
चित्र संदर्भ
1. स्ट्रैटिग्राफी और हिमालय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, flickr)
2. हिमालय निर्माण से पहले टेक्टोनिक प्लेटों के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पृथ्वी की 16 प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय प्लेट के उत्तर की ओर खिसकाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. हिमालय की अन्नपूर्णा श्रृंखला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.