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आपने भी हमारे लखनऊ शहर की गलियों या सड़कों में फलों की छीना झपटी करते हुए, बंदरों को ज़रूर देखा होगा। हालाँकि ये बंदर यहाँ के कई स्थानीय नागरिकों और दुकानदारों के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं, लेकिन अपनी भूख को शांत करने के लिए इन बंदरों को भी छीना झपटी करके ही अपने भोजन का जुगाड़ करना पड़ता है। दुर्भाग्य से शहरीकरण के कारण उनके प्राकृतिक आवास नष्ट हो चुके हैं। किंतु आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि जल्द ही हमारे लखनऊ शहर में 4 वन क्षेत्रों का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है, जिसके साथ ही बंदरों को भी उनके रहने के लिए आदर्श और शांत स्थान मिल जाएगा। लखनऊ का नगर प्रशासन बंदरों को नया घर उपलब्ध कराने के लिए शहर के बाहरी इलाके में चार जंगल बनाने की योजना बना रहा है। ऐसा शहर में बंदरों के कारण बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए किया जा रहा है। इनमें से पहला जंगल उमरिया गांव में विकसित किया जाएगा और यह लगभग छह एकड़ में फैला होगा। बाद में शहर के अन्य हिस्सों में अतिरिक्त जंगल बनाए जाएंगे। इन जंगलों में बंदरों को साल भर भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए फलों के पेड़ और जल स्रोत होंगे।
यह योजना बंदरों के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में शहर के निवासियों की कई शिकायतों के बाद की गई है। पिछले दिनों शहर प्रशासन ने मेट्रो स्टेशनों पर, लंगूरों की गुस्से में रिकॉर्डेड आवाजें (recorded voices) बजाकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की थी। हालांकि, नई योजना का लक्ष्य बंदरों को शहर के बाहर उपयुक्त आवास देकर अधिक दीर्घकालिक समाधान प्रदान करना है।
चूँकि बंदरों को इंसानों का ही पूर्वज माना जाता है, इसलिए कहीं न कहीं इन बंदरों में इंसानों की ही बुद्धि समाहित है।
क्या आप जानते हैं कि लगभग 60 मिलियन वर्ष पहले इंसानों और वानर (Apes) यानी बंदर, चिंपांजी आदि की सभी प्रजातियों के पूर्वज एक ही थे। इन सभी का विभाजन पिछले 60 मिलियन वर्षों के दौरान ही हुआ है। ये सभी प्रजातियाँ स्तनपायी वर्ग के भीतर प्राइमेट (Primate) क्रम का हिस्सा हैं। प्राइमेट्स को प्रोसिमियंस और एंथ्रोपॉयड (Prosimian And Anthropoid) नामक दो समूहों में विभाजित किया जाता है। बंदर, लाखों साल पहले ओलिगोसीन युग (Oligocene Epoch) के दौरान प्रोसिमियंस से विकसित हुए। वानर (Apes) मायोसीन युग (Miocene Epoch) के दौरान अफ़्रीका में कैटराइन (Catarrhines) से विकसित हुए। गिब्बन और चिम्पांजी की तरह वानर, अफ्रीका में एक अन्य शाखा से विकसित हुए।
वानरों को छोटे वानर (Small Apes) और बड़े वानर (Great Apes) में विभाजित किया जाता है। आधुनिक सीधे खड़े होने और चलने वाले मानव (होमो सेपियन्स (Homo Sapiens) लगभग 500,000 वर्ष पहले, प्राइमेट की सबसे प्रथम मानव प्रजाति से विकसित हुए।
वास्तव में हम यहां तक कैसे पहुंचे यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। इस प्रकार देखा जाए तो इंसान भी बंदरों और अन्य वानरों के साथ एक पारिवारिक वृक्ष साझा करते हैं।
क्या आप जानते हैं कि “मनुष्य और वानरों के संज्ञानात्मक कौशल (Cognitive Skills) काफ़ी हद तक समान होते हैं?” संज्ञानात्मक कौशल मस्तिष्क की ऐसी क्षमताएं होती हैं, जो हमें सोचने में मदद करती हैं। संज्ञानात्मक कौशल के उदाहरणों में पढ़ना और लिखना, अपनी अंतरात्मा और अपने अस्तित्व पर विचार करना, तार्किक सोच, अमूर्त सोच, आलोचनात्मक सोच, और मानसिक गणित आदि करना शामिल है। इंसानों की तरह, अन्य बड़े वानरों (Great Ape) को भी भौतिक दुनिया की अच्छी समझ होती है। वे वस्तुओं, श्रेणियों और मात्राओं का मानसिक रूप से नक्शा तैयार कर सकते हैं। ये जानवर विभिन्न प्रकार की घटनाओं को समझते हैं, और हमारे आसपास घटित होने वाली घटनाओं और इनके आपसी संबंध को समझ सकते हैं। इंसानों की तरह बड़े वानर भी अपनी सामाजिक दुनिया को समझ सकते हैं।
संज्ञानात्मक कौशल, सरल या जटिल हो सकते हैं। इनमें देखने और याद रखने जैसी बुनियादी गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। साथ ही इसमें निर्णय लेना, समस्याओं को हल करना और अपनी सोच के बारे में विचार करने जैसी जटिल खूबियां भी शामिल हैं।
चूँकि मनुष्यों का मस्तिष्क अन्य बड़े वानरों की तुलना में तीन गुना बड़ा होता है, इसलिए यह मान लेना स्वाभाविक होगा कि मनुष्य सामान्य रूप से वानरों की तुलना में संज्ञानात्मक रूप से अधिक परिष्कृत होते हैं।
एक अध्ययन के परिणामों से पता चला कि 2 साल के बच्चे संज्ञानात्मक कौशल के संदर्भ में वानरों के समान होते हैं। हालांकि, इन बच्चों ने पढ़ने, समाजिकता सीखने और संचार के संदर्भ में, वानरों की तुलना में अधिक परिष्कृत संज्ञानात्मक कौशल दिखाया। अध्ययन से पता चला है कि सभ्यता के विकास की शुरुआत में, मानव शिशु, सामाजिक-संज्ञानात्मक कौशल में वानरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। ये कौशल एक सांस्कृतिक समूह में भाग लेने के लिए विकसित, एक विशेष प्रकार की सांस्कृतिक बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भागीदारी बच्चों के सभी संज्ञानात्मक कौशलों को बढ़ाती है, जिसमें भौतिक दुनिया में भाग लेने और उत्कृष्ट क्षमता विकसित करने का कौशल भी शामिल है। वानरों और इंसानों के बीच में मुख्य विकासवादी अंतर यही है कि, इंसानों ने न केवल प्रतिस्पर्धा के लिए सामाजिक-संज्ञानात्मक कौशल विकसित किया है, बल्कि सहयोग के जटिल रूपों के लिए आवश्यक कौशल और प्रेरणा भी विकसित की है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/yfke2v9y
http://tinyurl.com/38zb4482
http://tinyurl.com/y5sascza
http://tinyurl.com/4359arme
चित्र संदर्भ
1. इंसान का हाथ पकड़े वानर को संदर्भित करता एक चित्रण (WordPress)
2. जंगल में वानर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. प्राइमेट वर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. इंसानों और चिम्पाजी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. खेलते चिम्पाजी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्राइमेट की परछाइयों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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