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आप में से कई लोग, अपने पेशे के लिए, एक विशिष्ट वेतन पाते होंगे। लेकिन, क्या आपने कभी अन्य लोगों के वेतन पर गौर किया हैं? दरअसल, ‘नौकरी बाजार’ में वेतन दरों का पदानुक्रम, एक पिरामिड(Pyramid) जैसा प्रतीत होता है। सरल भाषा में, यह एक त्रिकोण जैसा दिखता है। और, यह पिरामिड गतिशील होता है तथा बदलता रहता है। इसके शीर्ष स्थान पर आने वाले कुछ लोग, उच्च वेतन दर अर्जित करते हैं। जबकि, जैसे-जैसे हम इस पिरामिड के शीर्ष से नीचे जाते हैं, लोग कम मजदूरी दर अर्जित कर रहे होते हैं। हालांकि, इस पिरामिड को मजदूरी दरों का उपयोग करके परिभाषित किया गया है, लेकिन, पिरामिड के प्रत्येक स्तर में, कई सेवाएं या कौशल सेट(Skill set) या समूह भी शामिल हो सकते हैं।
हमारे देश भारत में, बुनियादी आईटी(Information Technology) सेवाओं के वेतन से परिचित लोग, पहले ही इस ‘वेतन दर पिरामिड’ की गतिशीलता देख चुके हैं। प्रारंभ में, पश्चिमी देशों से जब कई आईटी नौकरियां भारत में आई थी,और तब भारत में अपेक्षाकृत कम लोग उन नौकरियों के लिए उपयुक्त या प्रशिक्षित थे, तो वेतन दरें उच्च स्तर तक बढ़ गई थी। अतः जल्द ही, उन उच्च वेतन दरों को देखते हुए, बहुत से युवाओं ने आईटी कौशल हासिल कर लिया। और तब, यह वेतन प्रवृत्ति उलट गई। अब पिछले पूरे एक दशक से, बुनियादी आईटी नौकरियों के लिए प्रवेश स्तर की वेतन दर, नाममात्र रुपये में कुछ ज्यादा नहीं बढ़ी है, और इस प्रकार मुद्रास्फीति से इसमें कमी आई है।
इससे यह स्पष्ट है कि, काम करने के लिए, कम लोग उपलब्ध होने से, वेतन बहुत अधिक बढ़ जाता है; जबकि, काम करने के लिए, बहुत सारे लोग उपलब्ध होने पर, मजदूरी निर्वाह स्तर तक कम हो जाती है। जब, किसी विशिष्ट नई सेवा या कौशल सेट की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है, तब वह नया काम वेतन दर पिरामिड में प्रवेश करता है, और उस सेवा के लिए मजदूरी बढ़ जाती है। फिर, उच्च वेतन दर को आकर्षित करने वाली प्रत्येक सेवा जल्द ही, पिरामिड के निचले हिस्सों में कार्यरत नए श्रमिकों को आकर्षित करती है, जो उस सेवा के लिए आवश्यक कौशल सीखते हैं। अंततः, जब बहुत सारे लोग उस विशिष्ट सेवा में इच्छुक और सक्षम होते हैं, तो पूरी सेवा के लिए वेतन दर,फिर से नीचे गिर जाती है। और इस प्रकार, उस सेवा के सभी प्रदाता, फिर चाहे वे पुराने हो या नए, वेतन दर पिरामिड में निचले स्तर पर आ जाते हैं।
वैसे, तथ्य यह है कि, भारत में निजी नौकरी में औसत वेतन 0.1 लाख से 4.5 लाख रुपयों के बीच में है, और औसत वार्षिक वेतन केवल 1.5 लाख रूपये है(यह वेतन अनुमान, निजी नौकरियों से प्राप्त 119 नवीनतम वेतन पर आधारित हैं)।
दूसरी ओर, क्रेडिट सुइस(Credit Suisse) की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2010(Global Wealth Report 2010) के अनुसार, भारत में कुल मिलाकर लगभग 1,70,000 उच्च नेटवर्थ व्यक्ति(High Networth Individuals ) हैं। इन लोगों की बिक्री योग्य संपत्ति से इनके ऋण को हटाकर भी, इनके पास 4.5 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य वाली संपत्ति हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार,हमारे देश में अब 25 डॉलर अरबपति और 35 भावी अरबपति हैं। और, वे लोग ही इस पिरामिड के शीर्ष पर हैं।
मोटे तौर पर, भारत के आय पिरामिड के शीर्ष पर अब 30 लाख घर हैं। शीर्ष पर मौजूद, ये 30 लाख अमीर परिवार, ऐसे परिवार हैं, जिनकी सालाना कमाई 17 लाख रुपये से अधिक है, और इनमें करीब 1.6 करोड़ लोग रहते हैं।
भारत में काम करने वाला एक सामान्य व्यक्ति आमतौर पर, लगभग 32,000 रुपये कमाता है। देश में, किसी व्यक्ति का वेतन 8,080 रुपये (न्यूनतम औसत) से लेकर 1,43,000 रुपये (उच्चतम औसत, हालांकि, वास्तविक अधिकतम वेतन इससे अधिक है) तक है। जबकि, कानून के अनुसार यह न्यूनतम वेतन नहीं है। यह वेतन सर्वेक्षण में दर्ज की गई सबसे कम संख्या है, जिसमें पूरे देश से हजारों प्रतिभागी और पेशेवर शामिल थे।
हमारे देश में, किसी का वेतन मुख्य रूप से उस व्यक्ति के अनुभव के स्तर से निर्धारित होता है। उच्च स्तर के अनुभव वाला व्यक्ति उच्च वेतन प्राप्त करता है। देश में सभी उद्योगों और क्षेत्रों में, दो से पांच वर्ष के अनुभव वाले कर्मचारी, आम तौर पर, प्रवेश स्तर और कनिष्ठ श्रमिकों की तुलना में औसतन 32% अधिक वेतन पाते हैं। पांच साल से अधिक अनुभव वाले व्यक्ति, पांच साल से कम अनुभव वाले लोगों की तुलना में औसतन 36% अधिक वेतन पाते हैं। जबकि, दस साल के काम के बाद, किसी के वेतन में 21% की वृद्धि होती है, और 15 साल से अधिक समय तक काम करने वालों के लिए, अतिरिक्त 14% की वेतन वृद्धि होती है।
दूसरी ओर, प्रमाणपत्र(Certificate) या डिप्लोमा(Diploma)प्राप्त व्यक्तियों ने, केवल उच्च माध्यमिक शिक्षण पूरा करने वाले लोगों की तुलना में, औसतन 17% अधिक वेतन अर्जित किया हैं। जिन लोगों ने स्नातक की डिग्री प्राप्त की हैं, उन्होंने प्रमाणपत्र या डिप्लोमा वाले अपने समकक्षों की तुलना में, 24% अधिक वेतन अर्जित किया हैं। जबकि,स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त पेशेवरों ने, स्नातक डिग्री वाले पेशेवरों की तुलना में 29% अधिक वेतन प्राप्त किया हैं। और अंततः, जिन लोगों के पास पीएचडी(PhD) की उपाधि थी, उन्होंने, समान कार्य करते हुए,स्नातकोत्तर डिग्री वाले लोगों की तुलना में, औसतन 23% अधिक वेतन प्राप्त किया हैं।
एक तरफ़, पिरामिड के सबसे निचले स्तर पर आने वाले, अर्थात, वंचित लोग प्रति वर्ष, 1.5 लाख से भी कम कमाते हैं। और, 13.5 करोड़ परिवार इसी वर्ग में आते हैं।आकांक्षी लोग, वे कर्मचारी हैं, जो प्रति वर्ष 1.5-3.4 लाख कमाते हैं, 7.1 करोड़ परिवार इसके अंतर्गत आते हैं।मध्यम वर्ग के लोग, प्रति वर्ष 3.4-17 लाख रुपये कमाते हैं, और 3.1 करोड़ परिवार मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। जबकि,अमीर लोग प्रति वर्ष 17 लाख से अधिक कमाते हैं, और 30 लाख लोग अमीर परिवारों में रहते हैं।
एक अन्य रिपोर्ट अर्थात आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण(PLFS) 2019-20 के आय डेटा से पता चलता है कि,25,000 रुपये का मासिक वेतन, पहले से ही,कुल अर्जित आय के शीर्ष 10% में मौजूद है, जो आय असमानता के कुछ स्तरों की ओर इशारा करता है। जबकि, शीर्ष 1% लोगों की हिस्सेदारी, देश में कुल अर्जित आय का 6.7% है, जबकि शीर्ष 10% लोगों का इसमें, एक तिहाई योगदान है।
अतः हमारे देश को, कुछ ऐसे तरीके खोजने की जरूरत है, जिससे वेतन दर पिरामिड द्वारा प्रकाशित, काम की मात्रा में वृद्धि हो। साथ ही, व्यक्तियों को दीर्घकालिक मूल्य प्रस्ताव विकसित करने की आवश्यकता है,ताकि, वे पिरामिड के उच्च स्थान पर जा सकें।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3cmyk29d
https://tinyurl.com/2trmcj8n
https://tinyurl.com/4de6u8xz
https://tinyurl.com/4bpjuxsv
https://tinyurl.com/mr2c6b47
https://tinyurl.com/yhfvkz6b
चित्र संदर्भ
1. पदानुक्रम पिरामिड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. नौकरी के विभिन्न चुनावों को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. आई टी कर्मचारियों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
4. कुलियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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