Post Viewership from Post Date to 06-Jan-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1930 241 2171

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

वर्साय संधि: जब शांति की चाह ने दुनियां को द्वितीय विश्व युद्ध की खाई में धकेला

लखनऊ

 06-12-2023 10:45 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

शांति की चाह दुनियां को युद्ध की खाई में धकेल सकती है। जी हाँ द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक, "पैरिस शांति संधि (Paris Peace Treaty)" भी थी, जिस पर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हस्ताक्षर किये गए थे। इस शांति संधि पर 28 जून, 1919 को पैरिस (Paris) के पास वर्साय (Versailles) में हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद जर्मनी और मित्र देशों (Allies) के बीच युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया था । लेकिन इस संधि ने दूसरे विश्व युद्ध के बीज बो दिए थे।
वर्साय की संधि के दौरान यह योजना बनाई जानी थी कि “युद्ध के बाद दुनिया कैसी होगी?” इस संधि पर युद्ध में जर्मनी के पक्ष में रहने वाले कई देशों ने हस्ताक्षर किए। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका वर्साय संधि पर सहमत नहीं हुआ और उसने जर्मनी के साथ एक अलग शांति समझौता किया। हालांकि प्रथम विश्व युद्ध 11 नवंबर, 1918 के दिन ही समाप्त हो गया था, लेकिन शांति संधि को अंतिम रूप देने में पैरिस में छह महीने तक चर्चा की गई थी। क्या आप जानते हैं कि इन चर्चाओं में जर्मनी को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं थी, लेकिन उसे अंतिम संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर ज़रूर किया गया। संधि के सबसे विवादित विषयों में से एक, युद्ध अपराध खंड (War Crimes Section) था, जिसके तहत प्रथम विश्व युद्ध शुरू करने के लिए सीधे तौर पर जर्मनी को दोषी ठहराया गया था। इस संधि के बाद जर्मनी को मजबूरन अपनी सैन्य शक्ति भी कम करनी पड़ी और अपने कई हथियार नष्ट करने पड़े। जर्मनी को अपनी कई क्षेत्रीय रियायतें यानी अपनी ज़मीन भी दूसरे देशों को देनी पड़ी।
इसके अलावा जर्मनी को उन देशों को भारी मुआवज़ा देना पड़ा, जिन्हें इस युद्ध में नुकसान हुआ था। जर्मनी के मित्र राष्ट्रों को भी 5 अरब डॉलर की बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ा। वर्साय की संधि के कारण जर्मनी को फ्रांस (France), बेल्जियम (Belgium), चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia) और पोलैंड (Poland) में अपनी ज़मीन से हाथ धोना पड़ा। दरअसल जर्मनी को उसके उपनिवेशों को भी मित्र देशों को वापस देने के लिए भी मजबूर किया गया था । हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन (Woodrow Wilson) संधि की इन कठिन शर्तों से सहमत नहीं थे, लेकिन उस समय फ्रांस के प्रधान मंत्री जॉर्जेस क्लेमेंसियो (Georges Clemenceau) का प्रभाव अधिक था। जर्मनी के साथ सीमा साझा करने वाला एकमात्र मित्र देश होने के नाते, फ्रांस को जर्मन सेनाओं से सबसे अधिक क्षति का सामना करना पड़ा था। इसलिए फ्रांसीसी, जर्मनी को यथासंभव कमज़ोर करना चाहते थे। अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन ने वर्साय की संधि को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्य, जिन्हें "इर्रोकन्सिलेबल्स (Irreconcilables)" के नाम से जाना जाता है, इस संधि के खिलाफ थे। इनमें से अधिकांश रिपब्लिकन (Republicans) थे, लेकिन कुछ डेमोक्रेट (Democrats) भी इस समूह का हिस्सा थे।
वर्साय की संधि की कई अन्य लोगों ने भी आलोचना की, जिनमें जॉन मेनार्ड कीन्स (John Maynard Keynes) जैसे प्रमुख अर्थशास्त्री भी शामिल थे। कीन्स ने तर्क दिया कि यह संधि जर्मनी के लिए बहुत कठोर थी और उससे बहुत अधिक क्षतिपूर्ति मांगी जा रही थी। उनका मानना था कि इन कठोर शर्तों से जर्मनी में आर्थिक अस्थिरता पैदा होगी और अंततः एक और युद्ध हो सकता है। दुर्भाग्य से उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। वर्साय की संधि का जर्मनी सहित पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव पड़ा। संधि की कठोर शर्तों के कारण जर्मनी में आर्थिक कठिनाई और आक्रोश उत्पन्न होने लगा, जिसने नाजी पार्टी (Nazi) के उदय में बड़ी भूमिका निभाई। इस तरह से इस संधि ने द्वितीय विश्व युद्ध को भड़काने में आग में घी डालने का काम किया। 1934 में जब एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) जर्मनी का नेता बना तो उसने वर्साय की संधि के कई नियमों को तोड़ना शुरू कर दिया। उसने जर्मनी पर लागू सभी ऋण भुगतान और क्षतिपूर्ति बंद कर दी और जर्मन सेना को मज़बूत करना शुरू कर दिया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि संधि की कठोर शर्तों ने ही नाज़ी पार्टी को सत्ता में आने के लिए मजबूर किया।
नाज़ियों ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र देशों द्वारा उन पर डाले गए बोझ के प्रति जर्मन लोगों की नाराज़गी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। वर्साय संधि बहुत लंबी और जटिल थी, और इससे कोई भी जर्मन या कई अन्य देशों के नेता भी खुश नहीं थे। अंत में इस संधि के कारण यूरोप में अस्थिरता फ़ैल गई और इस प्रकार इस संधि ने द्वितीय विश्व युद्ध के फैलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो उसके बाद भी विजेता देशों (ब्रिटेन, रूस, अमेरिका और फ्रांस) ने हारने और युद्ध के दौरान पक्ष बदलने वाले देशों (इटली, रोमानिया, हंगरी, बुल्गारिया और फिनलैंड) के साथ क्या करना है, यह तय करने के लिए पै रिस में एक और बैठक की। इन संधियों पर 29 जुलाई से 15 अक्टूबर, 1946 तक चले पैरिस शांति सम्मेलन में चर्चा की गई थी। बाद की पैरिस शांति संधियों में युद्ध क्षतिपूर्ति, अल्पसंख्यक अधिकार और क्षेत्रीय समायोजन के प्रावधान शामिल थे। संधियों में शामिल देशों को अपने यहाँ के युद्ध अपराधियों को मुकदमे के लिए मित्र देशों को सौंपने की भी बात कही गई थी।

संदर्भ

https://tinyurl.com/yc5xnbds
https://tinyurl.com/2mjjr6tf
https://tinyurl.com/5y3dfr6s
https://tinyurl.com/2wm3bxm4

चित्र संदर्भ

1. 18 जनवरी, 1919 में पेरिस में शांति सम्मेलन का पहला पूर्ण सत्र आयोजित किया गया। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रारंभिक शांति सम्मेलन, पेरिस, फ्रांस, 1919 के पूर्ण सत्र द्वारा बनाए गए राष्ट्र संघ के आयोग के सदस्यों की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पेरिस शांति सम्मेलन के विभिन्न दृश्यों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वर्साय संधि की ओर अग्रसर पेरिस शांति सम्मेलन में डेविड लॉयड जॉर्ज, विटोरियो ऑरलैंडो, जॉर्जेस क्लेमेंस्यू और वुडरो विल्सन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. द्वितीय विश्व युद्ध को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id