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भारत, वैश्विक स्तर पर कोयले का सबसे अधिक उत्पादन करने वाले देशों में से एक है। हालाँकि, भारत में अधिकांश कोयले का खनन खुले गड्ढों या सतही खदानों (Surface Mines) के माध्यम से किया जाता है। लेकिन भारत में अभी भी जमीन की गहराइयों में उतरकर कोयले का खनन करना, यानी सतह से 200 मीटर से अधिक की गहराई से कोयला निकालना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है! वर्तमान में केवल 30 साइटें ही इस पद्धति से कोयला निकाल रही हैं।
दरअसल गहरे कोयला खनन (Deep Coal Mining) के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिनमें बड़ी और महंगी मशीनें भी शामिल हैं। ये मशीनें भूमिगत परतों से कोयले को कुशलतापूर्वक काटती और निकालती हैं। इसलिए भारत को अभी भी गहराई पर मौजूद कोयले के खज़ाने का लाभ उठाने के लिए, मशीनों में भारी निवेश करने की जरूरत है। चीन के ठीक बाद, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। झारखंड राज्य में स्थित धनबाद, भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक शहर है और इसे अक्सर "भारत की कोयला राजधानी" भी कहा जाता है। लंबे समय तक, भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी कोल इंडिया (Coal India Ltd) एकमात्र कंपनी थी जो भारत में कोयले का खनन कर सकती थी। ऐसी स्थिति को एकाधिकार या मोनोपोली (Monopoly) कहा जाता है। हालांकि, 2018 के बाद इस एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया। 2022 में, भारत ने 777 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कोयले का खनन किया था। हालाँकि, भारत लगभग 30% कोयला आयात भी करता है क्योंकि हमारे पास उपलब्ध कोयला हमारी सभी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त नहीं है। इसका एक कारण यह भी है कि हमारे के पास जो कोयला है, वह बहुत अच्छी गुणवत्ता का नहीं है, और उसमें राख की मात्रा बहुत अधिक होती है। भारत अच्छी गुणवत्ता वाले कोयले की कमी को पूरा करने के लिए कोकिंग कोल (Coking Coal) नामक विशेष कोयले का आयात करता है।
देश में 95 प्रतिशत कोयला सतह पर खोदी गई खुली खदानों से निकाला जाता है। गौरतलब है कि भारत अपनी लगभग तीन-चौथाई बिजली पैदा करने के लिए कोयले पर ही निर्भर है। चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भूमिगत कोयले का खनन अब आम हो चला है, लेकिन महंगा और खतरनाक होने के कारण भारत को अभी भी इस क्षेत्र में एक लंबा सफर तय करना है। हालांकि भारत भूमिगत खनन की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश जरूर कर रहा है, क्योंकि हमें देश में बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक कोयले की आवश्यकता पड़ने लगी है। शुरुआती निरंतर खनिक मशीन (Continuous Miners) की खदानों को पूरी चौड़ाई के साथ काटने की क्षमता सीमित होती थी, जिससे कोयला निकालने में देरी और स्थिरता की कमी जैसी समस्याएं पैदा होती थीं। इसके बाद पूर्ण-चेहरे वाले खनिकों मशीन (Full-Face Miners) का विकास, हुआ जो एक बार में संपूर्ण हिस्से को काटने में सक्षम थे। आधुनिक फ़ुल-फ़ेस खनिकों (Modern Full-Face Miners) में अक्सर मशीन पर छत बोल्टिंग उपकरण (Roof Bolting Equipment) लगे होते हैं, जिससे तेज़ और अधिक कुशल छत समर्थन स्थापना की अनुमति मिलती है।
गहराई पर मौजूद, भूमिगत कोयले को कुशलतापूर्वक निकालने के लिए निरंतर खनन मशीनों (Continuous Miner Machines) का उपयोग किया जाता है। इन मशीनों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि खनन के दौरान किसी भी प्रकार की ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग (Drilling And Blasting) की आवश्यकता नहीं पड़ती है। और तो और ये मशीने न केवल समय बचाती हैं, साथ ही कोयला निष्कर्षण की गुणवत्ता के साथ-साथ प्रति शिफ्ट उत्पादन को भी बढ़ाती हैं। इन मशीनों को दूर से संचालित किया जाता है, जिस कारण खतरनाक परिस्थितियों में लोगों के काम करने से जुडी दुर्घटनाएं कम होती हैं। ये मशीनें निकट स्थित मकान की छत और किनारों को ढहने से रोककर, खदानों को स्थिर रखने में भी मदद करती हैं। इस तरह की मशीनें अलग-अलग कोयला परतों में फिट होने के लिए अलग-अलग ऊंचाई में उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा, स्थायी चुंबक मोटर जैसी नई तकनीकें इन मशीनों को और भी अधिक कुशल और अनुकूलनीय बना देती हैं।
एक सतत खनन मशीन के पांच मुख्य भाग होते हैं:
1. सेंट्रल बॉडी (Central Body): यह मशीन का मुख्य फ्रेम या ढांचा होता है, जिसमें अन्य सभी घटक होते हैं। यह कैटरपिलर ट्रैक (Caterpillar Tracks) पर चलता है, जिससे इसे खदान के चारों ओर घूमने की अनुमति मिलती है।
2. कटिंग हेड (Cutting Head): यह एक घूमने वाले ड्रम की तरह होता है, जिसमें नुकीले दांत लगे होते हैं। यह कोयले को काटकर उसे प्रबंधकीय टुकड़ों में तोड़ने के लिए जिम्मेदार होता है।
3. लोडिंग तंत्र (Loading Mechanism): एक बार कोयला कट जाने के बाद, इसे एकत्र करने की आवश्यकता होती है। यह काम लोडिंग तंत्र करता है,जो कटे कोयले को उठाता है और मशीन में लोड करता है।
4. संवहन प्रणाली (Conveyor System): कन्वेयर बेल्ट, एक विशाल गतिशील फुटपाथ की तरह, एकत्रित कोयले को खनिक के सामने से पीछे तक ले जाती है, जहां से उसे ज़मीन के ऊपर तक आसानी से पहुंचाया जा सके ।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3m8j6x2p
https://tinyurl.com/2ukjrhdp
https://tinyurl.com/53w9pz99
https://tinyurl.com/44td8cn6
https://tinyurl.com/5ct2xcuc
चित्र संदर्भ
1. खनन क्षेत्र की जांच करते शोधकर्ताओं को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. भूमिगत खनन मशीन को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
3. कोल इंडिया लिमिटेड के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. खनन क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों को दर्शाता एक चित्रण (Sentinel)
5. कोयले की एक भूमिगत खदान को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
6. निरंतर खनिक मशीन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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