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भारत में अधिकांश हिंदू मंदिर आपको प्रकृति के साथ अद्भुत तालमेल में नजर आएंगे। प्रत्येक मंदिर में आपको एक न एक पेड़ की उपस्थिति अवश्य नजर आ जाएगी। यदि आप और अधिक गौर से देखें तो इनमें से अधिकांश पेड़ आपको "बरगद" के दिखाई देंगे। चूंकि हम अपने अनुभवों से यह कह सकते हैं, कि हमारे पूर्वजों द्वारा किसी भी कर्म को करने या किसी भी मान्यता को अपनाने के पीछे गहरे कारण होते थे, इसलिए आज हम यही पड़ताल करेंगे कि “आखिर ऐसी कौन सी विशेषताएं थी, जिनकी वजह से बरगद के पेड़ को मंदिरों या अध्यात्मिक स्थलों के लिए आदर्श माना गया था?”
कोलकाता में मौजूद एक विशाल बरगद का पेड़ खूब चर्चा में रहता है। इस पेड़ के आसपास के क्षेत्र को देखकर पहली नजर में ऐसा प्रतीत होता है कि, “शायद यह एक छोटा सा जंगल होगा, लेकिन वास्तव में यह केवल एक ही बरगद का पेड़ है, जो बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस पेड़ को महान बरगद या "द ग्रेट बरगद वृक्ष (Great Banyan Tree)" के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शाखाएँ 80 फीट (24 मीटर) तक ऊँची हैं, और इसकी जड़ें 14,500 वर्ग फीट (1,347 वर्ग मीटर) में फैली हुई हैं। महान बरगद का पेड़ प्रकृति के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता का एक जीवंत प्रमाण साबित हो रहा है। कई तूफानों और चक्रवातों का सामना करने के बावजूद भी यह पेड़ 250 से अधिक वर्षों से ज्यों का त्यों खड़ा है।
हालांकि गहन ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण बरगद के सभी पेड़, भारत और भारत के बाहर भी, पूजनीय माने जाते हैं। भारत में इसे "वट-वृक्ष" के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ को मृत्यु के देवता “यम” से जोड़ा जाता है। बरगद के पेड़ अक्सर गाँवों के बाहर श्मशानों के पास भी देखे जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि “भगवान कृष्ण ने पवित्र भगवद गीता उपदेश, ज्योतिसर में एक बरगद के पेड़ के नीचे ही दिया था।” 2,500 वर्ष से अधिक पुराने प्राचीन हिंदू ग्रंथों में भी एक ब्रह्मांडीय "विश्व वृक्ष" का वर्णन मिलता है।
यह स्वर्ग में मौजूद एक उल्टा उगा हुआ बरगद का वृक्ष था, जिसकी शाखाएं पृथ्वी की ओर लटकी हुई हैं। माना जाता है कि यह उल्टा बरगद मानवता को आशीर्वाद दे रहा है। 326 ईसा पूर्व में, भारत आगमन के बाद, सिकंदर और उसकी सेना, बरगद को देखने वाले पहले यूरोपीय लोग बने। इसे पहली बार 1873 में भारत के मिशनरियों द्वारा हवाई द्वीप (Hawaii) में भी लगाया गया था। आज ये पेड़ उन द्वीपों की एक प्रमुख विशेषता बन गए हैं। क्या आप जानते हैं कि “ब्रिटिश शासन के दौरान बरगद के पेड़ पर ब्रिटिश वर्चस्व का विरोध करने वाले विद्रोहियों को फांसी लगाईं जाती थी?” 1850 के दशक में, सैकड़ों भारतीय पुरुषों के कपड़े बरगद के पेड़ों की शाखाओं से लटके हुए मिलते थे।
पृथ्वी पर बरगद के पेड़ केवल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ही उग सकते हैं। ये पेड़ भारत और पाकिस्तान के मूल निवासी हैं, और यहां पर बड़ी संख्या में उगते हैं। आज के समय में इन्हें फ्लोरिडा (Florida) के कुछ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है। आधुनिक समय में बरगद का महत्व केवल सुंदरता और प्रतीकात्मकता तक ही सीमित नहीं रहा है। भारत के मेघालय में, लोग इस पेड़ की छोटी जड़ों का उपयोग नदियों पर पुल बनाने के लिए करते हैं। ये पुल 500 साल या उससे अधिक समय तक चल सकते हैं। भारतीय संस्कृति में सदियों से, बरगद के पेड़ को उर्वरता, जीवन और पुनरुत्थान का प्रतीक माना जाता रहा है।
चलिए अब बरगद के पेड़ों से जुड़े कुछ अन्य दिलचस्प तथ्यों पर एक नजर डालते हैं:
१. बरगद (फ़िकस बेंघालेंसिस (Ficus Benghalensis), 750 से अधिक अंजीर वृक्ष प्रजातियों में से एक है! इनमें से प्रत्येक पेड़ को छोटे ततैया की अपनी अनूठी प्रजातियों द्वारा परागित किया जाता है।
२. बरगद को “गला घोंटने वाला पेड़” भी माना जाता है, क्यों कि इनकी उतरती हुई जड़ें उनके आसपास के पेड़ों को कुचल देती हैं और जमीन से जुड़े तनों के रूप में विकसित हो जाती हैं, जो नए पेड़ के तनों के समान दिखाई देते हैं।
३. क्षेत्रफल की दृष्टि से बरगद दुनिया के सबसे बड़े पेड़ होते हैं। दुनियां में बरगद का सबसे बड़ा जीवित नमूना भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह पेड़ 1.9 हेक्टेयर (4.7 एकड़) में फैला हुआ है।
४. बरगद के पेड़, महत्वपूर्ण पारिस्थितिक घटक भी साबित होते हैं। इनकी फलियों से विभिन्न प्रकार के पक्षियों, चमगादड़ों और अन्य जानवरों का पोषण होता है।
५. मनुष्य हजारों वर्षों से बरगद का उपयोग औषधि के स्रोत के रूप में करता आया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से विभिन्न बीमारियों और सूजन के इलाज के लिए इस पेड़ के टुकड़ों का उपयोग किया जाता रहा है। आज नेपाल में लोग बीस से अधिक बीमारियों के इलाज के लिए बरगद के पत्तों, छाल और जड़ों का उपयोग करते हैं।
६. बरगद के पेड़ की लोकप्रियता तब और अधिक बढ़ गई, जब हॉलीवुड के फिल्म निर्माता सैमुअल गोल्डविन (Samuel Goldwyn) ने 1933 में द्वीपों पर फिल्मांकन के दौरान इसे रोपित किया था। इस एकल प्रयास से “बरगद ट्री ड्राइव (Banyan Tree Drive)” की शुरुआत हुई । पिछले कुछ वर्षों में, कई प्रमुख मेहमानों और हवाईयन राजपरिवार (Hawaiian Royalty) ने भी यहां की सड़क के किनारे बरगद के पेड़ लगाए हैं।
बरगद का पेड़ जिस तरह से उगता और फलता-फूलता है, उसमें भी कई गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। इस पेड़ की झुकी संरचना हमें दिखाती है कि, अगर हम अपने सपनों को हासिल करना चाहते हैं, तो हमें विनम्र होना होगा और याद रखना होगा कि हमने शुरुआत कहाँ से की थी। मिट्टी का संदर्भ देते हुए यह पेड़ हमें यह भी बताता है कि “हमारी सफलता और ताकत उन लोगों पर निर्भर करती है, जो हमारा समर्थन करते हैं, और हमारे लिए कड़ी मेहनत करते हैं, भले ही हम उन्हें नहीं देख पाते।” इसकी जड़ो से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि हम कौन हैं? जड़ों का एक और मतलब यह भी है कि हमारे पास ऐसे लोग हैं, जो हमारी परवाह करते हैं और हमें स्थिर रखते हैं। जब हमारी जड़ें (परवरिश) मजबूत होती हैं, तो हम अधिक प्रसन्न और सुरक्षित महसूस क
संदर्भ
https://tinyurl.com/4693kwun
https://tinyurl.com/y643abd5
https://tinyurl.com/pxuz9dnv
https://tinyurl.com/29bc57hn
https://tinyurl.com/yc7ekutd
https://tinyurl.com/4scwsrf9
चित्र संदर्भ
1. बरगद के पेड़ के विस्तार को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. कोलकाता में मौजूद एक विशाल बरगद के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. बरगद के पेड़ के फैलाव को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. बरगद के पेड़ से एकीकृत हो गई भगवान् बुद्ध की प्रतिमा दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. बरगद ट्री ड्राइव को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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