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रागों को "भारतीय शास्त्रीय संगीत" की आत्मा और मूलाधार माना गया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की यह अद्भुत विशेषता रही है, कि यह आपके भीतर एक विशिष्ट भाव को प्रेरित कर सकता है! उदाहरण के तौर पर यदि संगीतकारों को अपने चारों ओर माहौल को गंभीर बनाना होता है, तो वह "राग हेमंत" का सहारा लेते हैं! राग हेमंत एक अत्यंत मधुर राग है।
राग हेमंत में "हेमंत" का संस्कृत में अर्थ "शीतकालीन" होता है! यह राग कौशिक ध्वनि पर आधारित है, जिसे प्राचीन संगीत साहित्य में शीतकालीन राग के रूप में वर्णित किया गया था। राग हेमंत की उत्पत्ति तब होती है, जब राग कौशिक ध्वनि के अवरोह में, पंचम और ऋषभ स्वरों का भी उपयोग किया जाता है। इस राग में ऋषभ को सीधा लगाया जाता है। इस राग को गाने पर वातावरण स्निग्ध और गंभीर हो जाता है, जिसे तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। अवरोही प्रयोगों में वक्र संचार में पंचम और ऋषभ का प्रयोग राग हेमन्त की विशिष्ट विशेषता है।
राग हेमंत को देश के कई गायकों ने भी अपनाया है। ऊपर दिए गए वीडियो में आप बैंगलोर की एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका, शिक्षिका और संगीतकार पूर्णिमा कुलकर्णी जी को “राग हेमंत” का प्रदर्शन करते हुए देख सकते हैं। पूर्णिमा कुलकर्णी ने मुख्य रूप से पंडित किराना घराने के बसवराज राजगुरु और पं. मुरली मनोहर शुक्ला जी से संगीत सीखा था। चलिए आज सर्दियों के इस शुरुआती मौके पर इस मनोरम राग का आनंद लेते हैं!
संदर्भ:
Https://Tinyurl.Com/4rmj38zx
Https://Tinyurl.Com/2kwcxzxx
Https://Tinyurl.Com/35yzy6sm
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