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मेहमान नवाजी और अपनी खातिरदारी के लिए प्रसिद्ध हमारे लखनऊ शहर के बाजारों में अगर शाम के समय आप घूमने के लिए निकल गए तो, आपको बाजार के हर मोड़ पर हर बार स्वादिष्ट और लजीज व्यंजनों की मनमोहक खुशबू आ ही जाएगी। इनमें से कुछ सुगंधें अपने आप में अद्वितीय होती हैं, यानी आप इनका अनुभव पहली बार करते हैं। हालांकि यदि आप लखनऊ से दूर रहते हैं और अपने शहर के लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद दूर बैठे हुए भी लेना चाहते हैं, तो आप अपने नज़दीकी सुपरमार्केट में जाकर उनके फ्रोजेन फ़ूड सेक्शन में लखनऊ के व्यंजनों की उपलब्धता की जांच तो ज़रूर करेंगे! दरअसल कई किस्म के खाद्य पदार्थों को फ्रीज़ या जमा कर, उनके पोषण और स्वाद को कुछ समय तक संरक्षित किया जा सकता है। मकैन (McCain), हल्दीराम और आईटीसी (ITC), हमारे देश में फ्रोजेन खाद्य पदार्थों की बड़ी कंपनियां हैं। आज हम “बर्ड्सआई” (Birdseye) नामक विश्व की सबसे पहली फ्रोजन फूड कंपनी के इतिहास पर एक नजर डालेंगे।
“बर्ड्सआई”, जमे हुए खाद्य पदार्थों से जुड़ा हुआ एक वैश्विक ब्रांड है, जिसकी स्थापना साल 1924 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। आज के समय में इसका स्वामित्व विभिन्न क्षेत्रों में तीन अलग-अलग कंपनियों (अमेरिका में कोनाग्रा ब्रांड्स (Conagra Brands), यूरोप में नोमैड फूड्स (Nomad Foods) और ऑस्ट्रेलिया में सिम्पलॉट (Simplot) के पास है।
इस कंपनी की शुरुआत एक अमेरिकी उद्यमी और खोजकर्ता क्लेरेंस बर्ड्सआई (Clarence Birdseye.) द्वारा की गई थी। क्लेरेंस बर्ड्सआई ने ही भोजन को तुरंत जमा देने की एक नई विधि का आविष्कार किया था। इस विधि से भोजन को उसकी गुणवत्ता खोए बिना लंबे समय तक जमाए रखना और संग्रहीत करना संभव हो गया। बर्ड्सआई के इस आविष्कार ने खाद्य उद्योग में क्रांति ला दी और जमे हुए खाद्य पदार्थों को उपभोक्ताओं के लिए अधिक सुलभ और किफायती बना दिया।
क्लेरेंस बर्ड्सआई का जन्म 9 दिसंबर, 1886 के दिन ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क (Brooklyn, New York) में हुआ था। वह एक अमेरिकी आविष्कारक, उद्यमी और प्रकृतिवादी थे। उन्हें डबल बेल्ट फ्रीजर (Double Belt Freezer) विकसित करने के लिए भी पूरी दुनियां में जाना जाता है। उनकी इस खोज ने भोजन को, छोटे पैकेजों में तुरंत जमा देना संभव बना दिया। उन्होंने एमहर्स्ट कॉलेज (Amherst College) में जीव विज्ञान का अध्ययन किया। लेकिन जब उन्हें अमेरिकी सरकार के लिए एक प्रकृतिवादी के रूप में काम करने का मौका मिला तो इसके लिए, उन्होंने अपनी पढ़ाई ही छोड़ दी। अपने काम के दौरान उन्हें आर्कटिक (Arctic) में तैनात किया गया था, जहां उन्होंने देखा कि वहां रहने वले इनुइट लोग (Inuit People) मछली और अन्य खाद्य पदार्थों को बड़ी ही आसानी से जमा देते थे। इनुइट, उत्तरी अमेरिका के आर्कटिक और उपनगरीय क्षेत्रों (अलास्का, कनाडा और ग्रीनलैंड (Alaska, Canada And Greenland) के कुछ हिस्सों में रहने वाले स्वदेशी लोगों को कहा जाता है।
यहां पर क्लेरेंस बर्ड्सआई ने देखा कि वहां के लोगों ने बर्फ के भीतर एक मछली को बहुत ही तेज़ी से जमा दिया था। इस जमी हुई मछली का स्वाद, महीनों बाद बर्फ पिघलने पर भी उतना ही स्वादिष्ट और ताज़ा था। बर्ड्सआई ने देखा कि इनुइट लोगों ने अपने भोजन को इतनी जल्दी जमा दिया कि उसमें बर्फ के क्रिस्टल (Crystal) बनने का भी समय नहीं मिला। इसी कारण लंबे समय के बाद बर्फ पिघलने पर निकाले गए भोजन का स्वाद और बनावट दोनों बरकरार रहती थी। इस प्रक्रिया को देखकर बर्ड्सआई को एहसास हुआ कि “व्यावसायिक स्तर पर भोजन को फ्रीज करने यानी जमाने के संदर्भ में यह विधि क्रांतिकारी साबित हो सकती है।”
इसके बाद साल 1924 में, बर्ड्सआई ने बर्ड्सआई सी फूड्स (Birdseye Seafoods, Inc) नामक कंपनी की स्थापना की। यहां पर उन्होंने उच्च दबाव में मोम-कार्डबोर्ड डिब्बों (Wax-Cardboard Cartons) में फ्लैश-फ्रीजिंग (Flash-Freezing) नामक एक भोजन संरक्षण करने वाली प्रणाली विकसित की। इस प्रक्रिया से भोजन के पोषक तत्व और स्वाद संरक्षित, और बनावट ज्यों की त्यों बरकरार रहती थी।
1900 के दशक की शुरुआत तक कई लोग मशीनों और रसायनों का उपयोग करके भोजन को संरक्षित करने के तरीकों का प्रयोग कर रहे थे। लेकिन बाद के वर्षों में बर्ड्सआई, सबसे पहले व्यक्ति थे जो खाद्य पदार्थों को जमाने में सफल रहे। 1929 में, बर्ड्सआई की कंपनी को पोस्टम, इंक (Postum, Inc) ने खरीद लिया, जिसने इसका नाम बदलकर जनरल फूड्स कॉर्पोरेशन (General Foods Corporation) कर दिया। हालांकि बर्ड्सआई कंपनी में एक सलाहकार के रूप में काम करते रहे। 1944 में, बर्ड्सआई की एक कंपनी ने देश भर में रेल द्वारा जमे हुए भोजन के परिवहन के लिए रेफ्रिजरेटेड बॉक्सकार (Refrigerated Boxcar) को पट्टे पर देना शुरू किया। इससे पूरे देश में जमे हुए भोजन को वितरित करना संभव हो गया; बर्ड्सआई, व्यापारियों के लिए एक मिसाल बन गए, और उन्हें फ्रोजेन भोजन के लिए ‘पेटेंट’ प्राप्त हुआ। 'पेटेंट', किसी एक विचार या आविष्कार के लिए दिया गया एक विशेष अधिकार है, जो सामान्य तौर पर कुछ करने का एक नया तरीका प्रदान करता है, या किसी समस्या का एक नया तकनीकी समाधान प्रदान करता है। भारत में पेटेंट या तो भौतिक रूप से, क्षेत्राधिकार पे मौजूद पेटेंट रजिस्ट्री में आवश्यक दस्तावेज जमा करके दायर किया जा सकता है, या इसे ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से दायर किया जा सकता है। एक पेटेंट आविष्कारक को 20 वर्षों की अवधि के लिए अपने अविष्कार के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है।
फ्रोजेन भोजन के अलावा भी अपने अलग-अलग आविष्कारों के लिए बर्ड्सआई के पास लगभग 300 पेटेंट थे, जिसमें इन्फ्रारेड हीट लैंप (Infrared Heat Lamp), व्हेल का शिकार करने के लिए एक रिकॉइल-लेस हार्पून गन (Recoil-Less Harpoon Gun) और खाद्य पदार्थों से पानी निकालने की एक विधि भी शामिल थी। अपनी मृत्यु से कुछ साल पहले भी उन्होंने खोई (कुचल गन्ने के अवशेष) को कागज की लुगदी में बदलने की एक विधि विकसित की थी। दुर्भाग्य से, 7 अक्टूबर 1956 को बर्ड्सआई की मृत्यु हो गई। हालांकि, उनका योगदान आज भी प्रासंगिक माना जाता है। बर्ड्सआई की यह खोज आज भी भोजन के पोषक तत्वों के साथ-साथ उसके स्वाद को भी बरकरार रखने के लिए बहुपयोगी साबित होती है। इसका फायदा हमारे लखनऊ में भोजनालय चला रहे हजारों खाद्य व्यवसायों को आज भी मिलता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mry779d4
https://tinyurl.com/3s6t4bc4
https://tinyurl.com/22fm8pwe
https://tinyurl.com/mr432euu
चित्र संदर्भ
1. जमे हुए खाद्य और बर्ड्सआई को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. जमे हुए खाद्य की दुकान को संदर्भित करता एक चित्रण (pxherewikimedia)
3. क्लेरेंस बर्ड्सआई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जमी हुई मछली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. इनुइट लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. जमाये गए मांस के टुकड़े को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. बर्ड्सआई कंपनी के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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