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हम सभी के अपने लखनऊ शहर को केवल अपने संगीत, संस्कृति और लजीज व्यंजनों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि हमारी नवाबी नगरी 360 से अधिक पक्षी प्रजातियों का भी घर है। सर्दियों की शुरुआत होते ही दुनियां भर से कई दुर्लभ प्रवासी पक्षी हमारे शहर की ओर रुख करने लगते हैं। लखनऊ में देखे जा सकने वाले कुछ दुर्लभ पक्षियों में भारतीय पित्त (इसके नौ रंगों वाले पंखों के लिए इसे ‘नवरंग’ भी कहा जाता है), रूडी शेल्डक (Ruddy Shelduck) या सुर्खाब, ब्लैक हूडेड ओरिओल (Black-Hooded Oriole) और उत्तरी पिंटेल (Northern Pintail ) शामिल हैं।
प्रकृतिविदों और पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे लखनऊ में कई बस्तियाँ (Hamlets) हैं, जिन्हें पक्षी बहुत पसंद करते हैं। अच्छी खबर यह है कि ये बस्तियाँ पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेत मानी जाती हैं और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
लखनऊ के नज़दीक स्थित कुकरैल जंगल और पक्षी अभयारण्य को पक्षी देखने के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक माना जाता है। हालांकि इसके अलावा हमारे लखनऊ में भी आप आईआईएम-लखनऊ परिसर (IIM-Lucknow campus), एसजीपीजीआई परिसर (SGPGI campus), राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (National Botanical Research Institute), रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (Remote Sensing Application Centre), रेज़ीडेंसी परिसर (Residency campus), छावनी और शहर के चारों ओर आर्द्रभूमि में भी कई रंगीन और दुर्लभ पक्षियों को निहार सकते हैं।
लखनऊ में पधारने वाले पक्षियों में रूडी शेल्डक या सुर्खाब नामक पक्षी विशेषतौर पर दर्शनीय है। रूडी शेल्डक, जिसे स्थानीय रूप से सुर्खाब या चकवा के नाम से भी जाना जाता है, सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्व रखता है। मान्यता है कि जो लोग जंगल में सुर्खाब पक्षी को देख लेते हैं, उन्हें सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। भारत में "सुर्खाब के पर लगना" (सुर्खाब के पंख प्राप्त करना) नामक मुहावरा बहुत प्रसिद्ध है। इसका अर्थ "किसी अनोखे या उल्लेखनीय तरीके से कुछ हासिल करना" होता है। चकवा और चकवी, जो अक्सर जोड़े में पाए जाते हैं, पारंपरिक लोक कथाओं में वफादारी और वैवाहिक निष्ठा के प्रतीक माने जाते हैं। इसे ब्राह्मणी बत्तख के नाम से भी जाना जाता है।
यह खूबसूरत पक्षी एनाटिडे परिवार (Anatidae family) से संबंधित है और उत्तर पश्चिम अफ्रीका, इथियोपिया, दक्षिण-पूर्व यूरोप, मध्य एशिया, चीन और नेपाल के ठंडे क्षेत्रों का मूल निवासी है। "सुर्खाब" शब्द फारसी मूल का है और इसका अनुवाद "अद्वितीय" होता है। सुर्खाब पक्षी अपने आकर्षक इंद्रधनुषी पंखों के कारण वास्तव में अद्वितीय दिखाई देता है। सुर्खाब भारत में लद्दाख और तिब्बत में अप्रैल से जून तक प्रजनन करते हैं। वे पानी के स्रोतों से दूर पहाड़ों की बिलों में कबूतर के पंखों से अपने साधारण घोंसले बनाते हैं। मादा छह से दस अंडे देती है, अंडे और चूजों की देखभाल करती है। नर पास में ही रहता है और खतरा होने पर आवाज़ निकालकर मादा को सूचित करता है।
ये पक्षी भारत में सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में आना शुरू कर देते हैं। सबसे पहले ये कश्मीर की झीलों और नेपाल की घाटियों तक पहुंचते हैं, और फिर अक्टूबर में उत्तर भारत और नवंबर में दक्षिणी क्षेत्रों में फैल जाते हैं। प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली के अनुसार सुर्खाब अलग-अलग संख्या में पूरे भारत में पाए जाते हैं। सुर्खाब सिर्फ मैदानी इलाकों में ही नहीं, बल्कि सर्दियों में हिमालय में 6-7 हज़ार फीट की ऊंचाई पर भी पाए जाते हैं। हर सर्दियों में, हज़ारों प्रवासी पक्षी छह महीने के प्रवास के लिए भारत के उत्तराखंड में आसन बैराज आर्द्रभूमि में पहुंचते हैं।
ये पक्षी समुद्र तल से 7,290 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम होते हैं, जो कि अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। ये पक्षी एक-दूसरे के साथ संवाद करने और अपनी उड़ानों का संतुलित करने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाते हैं। दरअसल रूडी शेल्डक या सुर्खाब पक्षी किसी जीपीएस (GPS) या मानचित्र से नहीं, बल्कि पीढ़ियों से सीखे गए प्राकृतिक मार्ग का अनुसरण करके लखनऊ और उत्तराखंड के पहाड़ों में पहुंचने में सक्षम होते हैं। वे अपने मार्ग का पता लगाने यानी नेविगेट (navigate) करने के लिए विभिन्न प्रकार के संकेतों (जैसे सूर्य की स्थिति, तारे और पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र आदि) का उपयोग करते हैं।
रूडी शेल्डक पक्षी अपने घरेलू क्षेत्र में कठोर सर्दियों की परिस्थितियों से बचने के लिए उत्तर भारत की ओर पलायन करते हैं, जहाँ पर उन्हें गर्म और स्वागत योग्य जलवायु के साथ-साथ भरपूर भोजन और पानी भी मिलता है। हालांकि, तालाबों और झीलों में मानवीय हस्तक्षेप और प्रदूषण के कारण इनकी संख्या बहुत कम हो गई है। हम सभी रूडी शेल्डक पक्षियों और उनके प्रवास मार्ग की सुरक्षा में मदद करने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। हम अपने कार्बन पदचिह्न को कम करके, आर्द्रभूमि की रक्षा करके और दूसरे लोगों को इस शानदार पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक कर सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mw28hzek
https://tinyurl.com/597859y2
https://tinyurl.com/mr2bau4w
https://tinyurl.com/yc3sdycd
https://tinyurl.com/ycyx7k8s
चित्र संदर्भ
1. उड़ते हुए रूडी शेल्डक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जोड़े में रूडी शेल्डक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपने चूजों के साथ रूडी शेल्डक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. रूडी शेल्डक के वितरण मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. रूडी शेल्डक के अण्डों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. उड़ान भरते रूडी शेल्डक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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