अवध अपने खाने के लिये विश्व में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। अवध मांसाहार के साथ-साथ शाकाहार दोनो प्रकार के खाद्य पदार्थों के लिये जाना जाता है। यहाँ पर अपनी एक अलग खास नवाबी खानपान शैली है। इसमें विभिन्न तरह की बिरयानी, कबाब, शीरमाल, ज़र्दा, रुमाली रोटी, कोरमा, नाहरी कुल्चे, और वर्की परांठा, कचौरियाँ, विभिन्न प्रकार की दाल, सब्जियाँ और रोटियां आदि हैं, जिनमें काकोरी कबाब, गलावटी कबाब, पतीली कबाब, बोटी कबाब, घुटवां कबाब, और शामी कबाब प्रमुख हैं। लखनऊ के नान का भी कोई तोड़ नही है यहाँ पर कई प्रकार के नान बनाये जाते हैं। फारसी भाषा में नान का मतलब रोटी है। लेकिन परंपरा के अनुसार हम उसे रोटी नान कहते हैं जो आकार में छोटा और गोलाई वाला हो। पुराने समय में गोल आकार के खमीर वाले ब्रेड बाजारों में बेचे जाते थे और गरीब वर्ग के लोगों के लिए यह बहुत बड़ा आशीर्वाद था। लेकिन अमीरों की रसोईयों में गोल रोटियों को बहुत मेहनत के साथ पकाया जाता था और उनके विशिष्ट विशेषताओं के अनुसार अलग-अलग नाम दिए गए थे। ऐसी कई प्रकार की रोटियां थीं। इनमें एक किस्म में नान-ए-तुनक था, जिसे विशेष लोगों के साथ-साथ आम लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता था। यह नान रोटी अमीरों के रसोई से लेकर आम घरों और बाजारों तक फैल चुका था और तुनक के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। बाजारों में यह रोटी तुनकी की रोटी और अमीरों के बीच नान-ए-तुनक नाम से जानी जाती थी। हालांकि यह नान रोटी शुद्ध घी में बाजार में सस्ती कीमत पर उपलब्ध था और यह स्वतंत्र रूप से लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था।
1. द क्लासिक क्युज़ीन ऑफ लखनऊ, ए फूड़ मेमोयर बाय मिर्ज़ा ज़फर हुसैन, ट्रान्सलेटेड बाय सूफिया किदवई
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