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लखनऊ का कायापलट करने के लिए तैयार है, शहरी नियोजन ‘मास्टर प्लान 2031’

लखनऊ

 20-10-2023 09:53 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

आप जल्द ही लखनऊ शहर को पूरी तरह से बदलता हुआ देखने वाले हैं। जी हाँ, लखनऊ के नए "मास्टर प्लान 2031 (Master Plan 2031)" को मंज़ूरी मिल चुकी है। इस “मास्टर प्लान 2031” के तहत "साल 2031 तक लखनऊ के शहरीकृत क्षेत्र को 40% से बढ़ाकर 70% करने का प्रस्ताव दिया गया है।" इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में आधे से अधिक लखनऊ को आधुनिक शहरी मानकों के अनुसार विकसित किया जाएगा, जिसमें अच्छी सड़कें, फुटपाथ, जल निकासी, सीवरेज (Sewerage) और अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधाएँ दी जाएँगी। वास्तव में एक “मास्टर प्लान” किसी शहर या क्षेत्र के भविष्य के लिए एक रोडमैप (Roadmap) की तरह होता है। मास्टर प्लान एक दीर्घकालिक योजना होती है, जो यह पूर्वानुमान दे सकती है कि, आने वाले समय में कोई क्षेत्र कैसे विकसित हो सकता है या कैसे बदल सकता है। मास्टर प्लान के तहत, योजना क्षेत्र में विभिन्न सामाजिक पहलुओं (जैसे कि वहां कितने लोग रहते हैं, उनके पास किस प्रकार की नौकरियां हैं, वे कहां रहते हैं, वे कैसे रहते हैं, और किस प्रकार की सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करते हैं? इत्यादि) पर विचार किया जाता है। मास्टर प्लान के तहत आमतौर पर भविष्य में लगभग 20 वर्षों की योजना बनाई जाती है। उदाहरण के तौर पर, “दिल्ली के लिए अब तक तीन मास्टर प्लान प्रस्तावित किये जा चुके हैं।” पहला 1962 में, दूसरा 2001 में, और एक मास्टर प्लान 2021 में भी प्रस्तावित किया गया था। दिल्ली के लिए पहला मास्टर प्लान बनाने के लिए 1955 में टाउन प्लानिंग ऑर्गेनाइजेशन (Town Planning Organization (TPO) की स्थापना की गई थी। टीपीओ ने सितंबर 1962 में सफलतापूर्वक दिल्ली के लिए मास्टर प्लान बना लिया था। इसके बाद 1957 में, भारत सरकार ने दिल्ली क्षेत्र के लिए एक नई योजना बनाने और विकास पर सलाह देने के लिए केंद्रीय क्षेत्रीय और शहरी नियोजन संगठन (Central Regional and Urban Planning Organization (CRUPO) नामक एक नया संगठन शुरू किया। सितंबर 1959 में सीआरयूपीओ ने भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रालयों, योजना आयोग, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायों के लिए सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया। इस संगठन ने शहरी और क्षेत्रीय योजना और विकास के विभिन्न पहलुओं पर भी अध्ययन शुरू किया। यदि हम लखनऊ पर वापस लौटें तो नए प्रस्ताव के मंजूर हो जाने से, लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority (LDA) के लिए शहर के बाहरी इलाके में नई टाउनशिप (Township) और आवास परियोजनाएं विकसित करना तथा शहर के निवासियों को बेहतर नागरिक सुविधाएं प्रदान करना आसान हो गया है। सरकार द्वारा लखनऊ विकास क्षेत्र की स्थापना 1958 में लखनऊ शहर के अनियोजित विकास को नियंत्रित करने के लिए, की गई थी। लखनऊ के लिए पहला मास्टर प्लान टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (Town and Country Planning Department) द्वारा बनाया गया था, और इसे 1970 में राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था। मास्टर प्लान को 1992 और 2005 में दो बार संशोधित किया गया था। 2009 में, 197 अतिरिक्त गांवों को लखनऊ विकास क्षेत्र में शामिल किया गया था। लखनऊ शहर गोमती नदी के पास एक बड़े समतल क्षेत्र के बीच में स्थित है। गोमती नदी शहर से होकर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है। एक हिस्से में ब्रिटिश और नवाबी दौर की इमारतें हैं और दूसरे हिस्से में वे इमारतें हैं जो भारत के स्वतंत्र होने के बाद बनाई गई थीं। फिलहाल, लखनऊ को 40 हिस्सों में बांटा गया है, जिन्हें वार्ड (Ward) कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ में लगभग 28.80 लाख लोग रहते हैं, और इसका क्षेत्रफल 337.50 वर्ग किलोमीटर है। 2014 में, आगरा एक्सप्रेसवे के किनारे के 16 गांवों को लखनऊ विकास क्षेत्र में जोड़ा गया था। इस विस्तृत क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान तैयार करने का जिम्मा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को दिया गया था। हालांकि, जब राज्य सरकार ने गजरिया फार्म भूमि पर आईटी-सिटी (IT-city) और अन्य परियोजनाएं स्थापित करने का निर्णय लिया, तब सरकार ने मास्टर प्लान में बदलाव करने की बात कही। इसलिए 2014 में, 2021 के बजाय 2031 के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार करने का निर्णय लिया गया। 2031 के लिए अंतिम मास्टर प्लान दिसंबर 2016 में प्रभावी हुआ। इस योजना में लखनऊ में लगभग 710 वर्ग किमी क्षेत्र का विकास शामिल किया गया है। एलडीए ने अनुमान लगाया है कि 2031 तक शहर की आबादी 65 लाख तक पहुंच सकती है। इसलिए आवास की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, एलडीए ने 2031 तक तीन हाई-टेक (HI-Tech) और 10-12 एकीकृत टाउनशिप (Integrated Townships) बनाने की योजना तैयार की है। इन टाउनशिप में आवासीय और वाणिज्यिक स्थलों का मिश्रण होगा, ताकि लोग एक ही स्थान पर रह सकें, काम कर सके और पढ़ सकें। इसका मतलब है कि शहर के 70% से अधिक क्षेत्र को शहरी मानकों के अनुसार विकसित किया जाएगा। इससे शहर के बाहरी इलाके में रहने वाले कई लोगों के रहन-सहन और जीवनशैली में भी सुधार होने की उम्मीद है। मकानों की भारी मांग को देखते हुए एलडीए और हाउसिंग बोर्ड (LDA and Housing Board) ने शहर के बाहर कई टाउनशिप और हाउसिंग प्रोजेक्ट (townships and housing projects) बनाए हैं। इस नए और महत्वकांशी मास्टर प्लान में 95 किमी लंबी आउटर रिंग रोड (Outer Ring Road) भी शामिल है, जिसे वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद आम लोगों के लिए ट्रैफिक जाम में फंसे बिना अपनी मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाएगा।

संदर्भ

https://tinyurl.com/y5xtka25
https://tinyurl.com/4kk2kvfs
https://tinyurl.com/547w8fbu
https://tinyurl.com/3vek7a2x
https://tinyurl.com/2narbbvh

चित्र संदर्भ

1. परिवर्तन चौक लखनऊ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
2. मास्टर प्लान 2031 शब्द को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
3. गोमती नगर से दिखाई देते लखनऊ के क्षितिज को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. टर्मिनल-2, सीसीएस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. लखनऊ के विधान सभा भवन को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
6. एक नियोजित शहर के माडल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
7. लखनऊ मेट्रो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)



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