City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2810 | 223 | 3033 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
महाजनी एक ऐतिहासिक लिपि या लेखन की एक अनोखी प्रणाली है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से उत्तरी भारत में व्यापारियों और साहूकारों के द्वारा किया जाता था। 20वीं सदी के मध्य तक महाजनी, उत्तरी भारत में इस्तेमाल की जाने वाली एक आम लेखन प्रणाली हुआ करती थी। इसका उपयोग हिंदी, मारवाड़ी और पंजाबी में वित्तीय खाते लिखने के लिए किया जाता था। महाजनी लिपि का नाम, "महाजन " या "साहूकार" (Banker), से लिया गया है। अधिकांश महाजनी अभिलेख खाता बही और वित्तीय मामलों से संबंधित हैं। महाजनी को “चटशाला” नामक स्कूलों में पढ़ाया जाता था, जहाँ व्यापारिक समुदायों के छात्र, व्यवसाय के लिए आवश्यक लिपि और अन्य लेखन कौशल सीखते थे।
19वीं सदी के अंत में महाजनी लिपि सिखाने के लिए कई लिथोग्राफिक किताबें (Lithographic books) तैयार की गईं। इन पुस्तकों से यह लिपि सीखी जा सकती थीं। हालाँकि आमतौर पर महाजनी एक वाणिज्यिक शॉर्टहैंड (commercial shorthand) मानी जाती है, जो कि एक प्रकार का सरलीकृत लेखन था जिसका उपयोग व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड (खाते) रखने के लिए किया जाता था। उन्हें सटीक रूप से पढ़ने की तुलना में लिखना अधिक आसान होता था।
महाजनी को लांडा (Laṇḍā), कैथी और देवनागरी जैसी अन्य लिपियों के समान ही माना जाता है। महाजनी को अक्सर कैथी के व्युत्पन्न या देवनागरी के सरलीकृत संस्करण के रूप में वर्णित किया जाता है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महाजनी विशिष्ट लिपि है जिसकी अपनी अनूठी विशेषताएं हैं।
यद्दपि महाजनी की उत्पत्ति कैसे हुई यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसका विकास देवनागरी से हुआ है। यह संभव है कि महाजनी, जानबूझकर उन व्यापारियों द्वारा बनाई गई हो जो अपने वित्तीय रिकॉर्ड गुप्त रखना चाहते थे। महाजनी का उपयोग मारवाड़ी व्यापारियों के लिए प्राथमिक लेखांकन लिपि के रूप में और उत्तर पश्चिम भारत और पूर्वी पाकिस्तान के एक विस्तृत क्षेत्र में किया जाता था। जिन अधिकांश दस्तावेजो में हमें यह लिपि मिलती है, उनमे से कुछ शिक्षण तथा कुछ वित्त से संबंधित हैं।
हरियाणा में कुछ मुनीम इसे “लंगड़ी लिपि” के रूप में संदर्भित करते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि लंगड़ी से इसका क्या संबंध है। अन्य लिपियों की तुलना में यह अपेक्षाकृत सरल लिपि है, जिसमें स्वरों की संख्या अधिकांश अन्य उत्तर भारतीय लिपियों की तुलना में कम है।
महाजन लिपि में भी संयुक्ताक्षरों (जब दो व्यंजन एक वर्ण में मिल जाते हैं) के लिए विशेष व्यंजन रूप नहीं हैं। इसके बजाय, संयुक्ताक्षरों को केवल एक दूसरे के बगल में दो अलग-अलग व्यंजनों के रूप में लिखा जाता है। महाजन लिपि में कई विशेष प्रतीक भी हैं, जिनमें भिन्न चिह्न, लेखांकन चिह्न और पाठ्य संगठन चिह्न इत्यादि शामिल हैं। इन प्रतीकों का उपयोग परिच्छेद (paragraph) और शब्द रिक्ति, संक्षिप्तीकरण, विराम चिह्न और स्थान को इंगित करने के लिए किया जाता है। महाजन लिपि का उपयोग अक्सर लेखांकन पुस्तकों में किया जाता है, इसलिए इसमें कई लेखांकन प्रतीक भी होते हैं। हालाँकि, इन प्रतीकों पर अभी भी शोध चल रहा है, इसलिए इन्हें अभी तक यूनिकोड (unicode) में एन्कोड (Encode) नहीं किया गया है।
महाजन लिपि एक आधार रेखा का उपयोग करती है, लेकिन ऐसा इसमें केवल ग्रंथों पर शीर्षकों को चिह्नित करने के लिए किया जाता है। देवनागरी में आधार रेखा सभी वर्णों का अभिन्न अंग है। महाजनी लिपि एक ब्राह्मी-आधारित लिपि है और अन्य ब्राह्मी-आधारित लिपियों की तुलना में संरचनात्मक रूप से सरल मानी जाती है! इसमें स्वर चिह्न या विराम का उपयोग नहीं किया जाता है।
महाजनी लिपि की अन्य प्रमुख विशेषताएं निम्नवत दी गई हैं:
➼यह बाएँ से दाएँ लिखी जाती है।
➼प्रत्येक व्यंजन अक्षर में /ए/ की अंतर्निहित स्वर ध्वनि होती है।
➼/ए/ के अलावा अन्य स्वर ध्वनियों को व्यंजन अक्षरों के बाद स्वर अक्षर जोड़कर दर्शाया जाता है। हालाँकि, ऐसा हमेशा नहीं किया जाता है, और ➼पाठक को अक्सर शब्द के संदर्भ के आधार पर स्वर ध्वनि का अनुमान लगाना पड़ता है।
➼इस लिपि में, पाँच मुख्य स्वर अक्षर होते हैं। अन्य स्वर ध्वनियों को इन अक्षरों का उपयोग करके दर्शाया जाता है।
➼व्यंजन वर्णों को क्रमानुसार लिखकर व्यंजन समूह बनाये जाते हैं।
➼नासिकाकरण को विशेष संकेतों का उपयोग करके दर्शाया नहीं जाता है!
➼महाजनी में लिपि-विशिष्ट अंक नहीं होते हैं।
आज के समय में महाजनी लिपि का उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाता है, हालांकि अभी भी कुछ व्यापारियों और लेखाकारों द्वारा इसे उपयोग में लिया जाता है। इसका उपयोग कुछ शैक्षणिक और सांस्कृतिक संदर्भों में भी किया जाता है। कुल मिलाकर यह उत्तरी भारत के ऐतिहासिक वित्तीय रिकॉर्ड की एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3dk24bbe
https://tinyurl.com/y9su5frn
https://tinyurl.com/3n7aeu2y
चित्र संदर्भ
1. भारतीय साहूकारों को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
2. महाजनी अक्षरों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. महाजनी लिपि में 'महाजनी' शब्द को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. एक साहूकार को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
5. विविध भारतीय लिपियों में अंतर को दर्शाता एक चित्रण (escholarship)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.