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इंदौर के शाही घराने के रत्नों का इतिहास एवं संग्रह कैसे था विलक्षण

लखनऊ

 04-10-2023 10:51 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

एक समय, इंदौर राज्य के महाराजा कला, विलसति गाड़ियों (Luxury Cars) और आभूषणों के महान पारखी एवं संग्रहकर्ता थे, जिनकी अनुमानित कीमत 40 दशलक्ष डॉलर थी। इंदौर राज्य को ‘होलकर राज्य’ के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, इस पर वर्ष 1721 में राजा मल्हार राव द्वारा स्थापित होलकर राजवंश का शासन था। मल्हार राव को उनके लोगों द्वारा “होलकर महाराजा” के नाम से बुलाया जाता था और इसी तरह इस राजवंश को भी इसी नाम से बुलाए जाने लगा। आइए, आज होलकर राजवंश के ऐतिहासिक रत्नों के साक्षी बनते हैं।
महाराजा तुकोजी राव तृतीय, जो कि एक महान आभूषण संग्रहकर्ता थे, ने अपने शासनकाल के दौरान 1200 से अधिक हीरे खरीदे थे। कुछ सबसे प्रसिद्ध, ऐतिहासिक, पौराणिक तथा शानदार हीरों में, जो होलकरों के पास थे, 46.95-कैरेट (Carat) और 46.70-कैरेट के अविश्वसनीय नाशपाती (Pear) के आकार के हीरे थे और इसी कारण ये हीरे आज “इंदौर पियर्स” (Indore Pears) के नाम से विख्यात हैं। वास्तव में, इन हीरों चौमेट सैलून’ (Chaumet salon), पेरिस (Paris) के रिकॉर्ड के अनुसार, तुकोजी राव होलकर ने 1 अक्टूबर, 1913 को उनके पेरिस सैलून का दौरा किया था। तब उन्हें 46.70 और 46.95 कैरेट के वे दो शानदार नाशपाती के आकार के हीरे दिखाए गए थे। इन हीरों की सुंदरता, प्रभावशाली आकार और उच्च गुणवत्ता से प्रभावित होकर, महाराजा ने अगले दिन यह शानदार हार खरीद लिया। होलकरों के पसंदीदा जौहरीयों में से एक, जोसेफ चौमेट (Joseph Chaumet) ने इन इंदौर पियर्स के कई अन्य डिज़ाइन भी प्रस्तुत किए थे। इंदौर पियर्स को बाद में, मौबौसिन (Mauboussin) आभूषण सदन द्वारा इन्हें पुनः डिज़ाइन किया गया था। महाराजा और उनकी पहली पत्नी संयोगिता बाई होल्कर आधुनिक कलाकृतियों और आभूषणों के अत्यधिक शौकीन थे। शायद यही कारण है कि उन्होंने 1931 में चौमेट के सुंदर हार को खरीदने के लिए मौबौसिन के पेरिस के आभूषण सदन का दौरा किया। अपने आधुनिक डिजाइनों के लिए पहचाने जाने वाले मौबौसिन को 1924 में न्यूयॉर्क (New York) में फ्रांसीसी प्रदर्शनी में पुरस्कार, 1925 में आधुनिक सजावटी और औद्योगिक कला की अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक और फिर 1929 और 1931 में उनकी उत्कृष्ट रचनात्मकता के लिए पुरस्कार मिला था। शायद इसीलिए, 1933 में, मौबौसिन को आधिकारिक तौर पर यशवंत राव होलकर का जौहरी नियुक्त किया गया ।
अपने पदत्याग के बाद, जब तुकोजी राव तृतीय स्विट्जरलैंड (Switzerland) में यात्रा कर रहे थे, तो महाराजा की मुलाकात अमेरिका (America) की एक अमीर युवा महिला नैन्सी ऐनी मिलर (Nancy Anne Miller) से हुई। और 1928 में इस जोड़े ने विवाह कर लिया। तब नैन्सी ने हिंदू धर्म अपना लिया। विवाह समारोह के दौरान नववधू ने इन्हीं ‘इंदौर पियर्स’ हीरों से बने हार को पहना था। दरअसल, 1930 के दशक में यशवन्त राव होलकर द्वितीय और मौबौसिन के सदस्य जीन गौलेट(Jean Goulet) के बीच घनिष्ठ मित्रता के कारण, यह फ्रांसीसी (French) आभूषण सदन होलकरों का आधिकारिक जौहरी बन गया। यशवन्त राव ने जीन गौलेट को आधुनिक समय को प्रतिबिंबित करने वाले आभूषण बनाने का काम भी सौंपा था।
मौबौसिन द्वारा प्रस्तुत किए गए, इंदौर पियर्स के संशोधित संस्करण में हीरों को बगैट हीरों की लड़ी के साथ (Baguette diamonds chain), दो पन्ना हीरे, एक बड़ा अष्टकोणीय पन्ना और दो इंदौर पियर्स के साथ एक लंबे हार में फिर से डिजाइन किया गया था। मौबौसिन ने प्रसिद्ध इंदौर पियर्स और पन्ने तथा सीसे पर गौश (gouache) के साथ, 1935 में इंदौर के महाराजा के लिए एक पगड़ी आभूषण भी डिजाइन किया था। इंदौर पियर्स की यात्रा में अगला परिवर्तन 1946 में आया, जब उन्हें हैरी विंस्टन ने खरीदा। वर्ष 1946 में यशवन्त राव होलकर द्वितीय ने कुछ हीरे हैरी विंस्टन (Harry Winston) को बेच दिए। विंस्टन ने इंदौर पियर्स को एक हार में, लटकाते हुए एक बगैट हीरे का हार डिजाइन किया था। अपनी कुशल नजर से, विंस्टन ने 44.14 और 46.39 कैरेट के हीरों को फिर से तैयार किया, और उन्हें अपने निजी संग्रह में रखा। 1949 में, विंस्टन ने अमेरिकी जनता को शिक्षित करने के लिए, एक राष्ट्रीय यात्रा प्रदर्शनी, ‘कोर्ट ऑफ ज्वेल्स (Court of Jewels)’ का शुभारंभ किया। इस प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में आगंतुकों ने भाग लिया था। अपने नए संशोधित हीरों को हैरी विंस्टन ने अन्य कीमती रत्नों के साथ, इसी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। हैरी विंस्टन ने 1953 में इन हीरों को फिलाडेल्फिया (Philadelphia) के एक ग्राहक को बेच दिया। 1958 में विंस्टन ने इसे फिर से खरीद लिया और फिर न्यूयॉर्क (New York) में एक ग्राहक को बेच दिया गया। 1976 में विंस्टन ने इसे एक बार फिर खरीदा जिसके बाद उन्होंने इसे एक शाही परिवार को बेच दिया । अंततः क्रिस्टीज़ (Christies) ने नवंबर 1980 में और फिर नवंबर 1987 में जिनेवा (Geneva) में इनकी नीलामी की गई। वर्तमान में अरब (Arabia) में रॉबर्ट मौवाड (Robert Mouawad) हीरों के मालिक हैं। ये हीरे लटकन बालियों की एक जोड़ी के रूप में मौजूद हैं। महाराजा और उनकी पहली पत्नी, सौभाग्यवती संयोगिता बाई होलकर, निस्संदेह ही, पश्चिमी क्यूबिज्म कला(Cubism Art) द्वारा लाए गए परिवर्तनों से आकर्षित थे। इसके उदाहरण, उनके महल की आतंरिक साज-सज्जा, कलाकृति संग्रह और आभूषणों में परिलक्षित होते थे। और अतः उन्होंने इन हीरो को भी खरीद लिया। जबकि, ये हीरे अब भारतीय शाही परिवार का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इंदौर के महाराजा की समृद्धि और विरासत को इनके नाम के साथ हमेशा याद किया जाएगा!

संदर्भ

https://tinyurl.com/5evpc5s5
https://tinyurl.com/2s3c26v2
https://tinyurl.com/msnv73e5
https://tinyurl.com/2ejbt2r6

चित्र संदर्भ

1. बेशकीमती रत्न को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इंदौर के शाही घराने के रत्नों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
4. पेरिस में हैरी विंस्टन ज्वेलरी स्टोर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. यशवंत राव होलकर द्वितीय के गले में इंदौर पियर्स को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
6. विविध रत्नों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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