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क्या लखनऊ से संचालित होने वाली इस कंपनी ने सहकारी समितियों का दुरुप्रयोग किया?

लखनऊ

 30-09-2023 09:58 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

सहकारी समितियां (Cooperative Societies), मुख्य रूप से ऐसे कुछ व्यक्तियों, व्यवसायों या परिवारों का समूह होताहैं, जो किसी समान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि दो व्यक्ति नैनीताल पहुंचने के लिए एक ही वाहन का प्रयोग करते हैं, तो उस वाहन को आप एक सहकारी समिति समझ सकते हैं, क्योंकि यह एक वाहन दोनों व्यक्तियों के खर्चों को भी कम कर देता है, और उन्हें उनकी मंजिल पर पंहुचा देता है। सहकारी समितियां आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक जैसे किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो सकती हैं। ये समितियां स्वेच्छा से बनाई जाती हैं, और आपसी प्रतिस्पर्धा के बजाय आपसी सहयोग को बढ़ावा देती हैं। इनके तहत सदस्यों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाती है, और बिना किसी भेदभाव के द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से निर्णय लिए जाते हैं। सहकारी समितियां लोकतंत्र के नियमों के अनुसार कार्य करती हैं जिनका लक्ष्य अपने सदस्यों और समुदाय की समग्र रूप से सेवा करना होता है। सहकारी समितियां खुदरा, बैंकिंग (Banking), आवास, विपणन, कृषि, विनिर्माण, क्रय और रोजगार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देखी जा सकती हैं। भारत की उल्लेखनीय सहकारी समितियों में अमूल (Amul), श्री महिला गृह उद्योग (लिज्जत पापड़), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (Krishak Bharati Cooperative Limited (KRIBHCO) और भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (Indian Farmers Fertiliser Cooperative (IFFCO) आदि शामिल हैं। इन समितियों को विश्व स्तर पर सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक माना जाता है।
हालांकि, पहली नजर में एक ओर जहां सहकारी समितियाँ पूरी तरह से एक लाभदायक सौदा नजर आती हैं, वहीं सिक्के के दूसरे पहलू के रूप में, सहकारी समितियों की आड़ में किये गए कई बड़े-बड़े घोटाले भी नजर आते हैं। ये घोटाले इतने बड़े हैं कि इन्हें भारत में अब तक किये गए घोटालों में सबसे बड़ा माना जाता है। “सहारा इंडिया परिवार निवेशक धोखाधड़ी मामला” (Sahara India Family Investor Fraud Case) भी ऐसे ही दुर्भाग्यपूर्ण घोटालों में से एक माना जाता है। इस घोटाले की अधिक पड़ताल करने से पहले यह जान लेते हैं कि “सहारा इंडिया परिवार” आखिर क्या है? सहारा इंडिया परिवार भारत में कार्यरत एक बहु-व्यापारिक कंपनी है, जिसका मुख्यालय हमारे शहर लखनऊ में ही है। यह कंपनी वित्त, बुनियादी ढांचे एवं घरों के निर्माण, रियल एस्टेट (Real Estate), खेल, बिजली उत्पादन, विनिर्माण, मीडिया और मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन बीमा, शिक्षा, खुदरा, ऑनलाइन शॉपिंग (Shopping Online), इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle), अस्पताल, होटल संचालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सहकारी समिति जैसे विभिन्न क्षेत्रों एवं व्यवसायों में सक्रिय हैं। इस कंपनी की शुरुआत 1978 में सुब्रत रॉय सहारा जी के द्वारा की गई थी। 2004 में, इस कंपनी को भारत में दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में मान्यता दी गई थी। इस कंपनी में लगभग 1.2 मिलियन कर्मचारी सहारा इंडिया परिवार के लिए कार्यरत थे। इस समय देश भर में सहारा परिवार से जुड़े 5,000 से अधिक प्रतिष्ठान मौजूद थे। आपको शायद पता होगा कि 6 मई 2013 के दिन हमारे लखनऊ शहर में ही सहारा परिवार के 1,21,653 कर्मचारियों ने मिलकर एक साथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकॉर्ड (World Record) भी बनाया था। इसके अलावा, सहारा इंडिया परिवार का एक हिस्सा ‘जैन टीवी’ भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला समाचार चैनल बन गया। 1 अप्रैल 2013 के दिन सहारा क्यू शॉप (Sahara Q Shop), जो कि सहारा इंडिया परिवार का ही एक हिस्सा है, ने भारत के 10 राज्यों में एक साथ 315 आउटलेट (Outlet) खोलकर एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था। हालांकि, जितनी बड़ी सहारा परिवार की उपलब्धियां हैं, इस कंपनी को उतने ही बड़े घोटाले में संलिप्त भी पाया गया है। इस कंपनी से जुड़े सबसे बड़े घोटाले को “सहारा इंडिया परिवार निवेशक धोखाधड़ी मामला" या “सहारा-सेबी मामला” (Sahara-SEBI Case) के रूप में जाना जाता है।
दरअसल, सहारा-सेबी मामला, सहारा इंडिया परिवार की दो कंपनियों द्वारा वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत्र (Optionally Fully Convertible Debentures (OFCD) जारी करने से जुड़ा हुआ था। भारतीय बाजार नियामक ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’ (Securities and Exchange Board of India (SEBI) यह दावा करता है कि कंपनी द्वारा ये ओएफसीडी उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके जारी किए गए थे। वहीं सहारा समूह ने तर्क दिया कि ये ऋणपत्र विभिन्न वित्तीय उत्पादों का मिश्रण थे और इसलिए ये सेबी के अधिकार क्षेत्र में नहीं थे। कंपनी का कहना है कि ओएफसीडी, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (Registrar Of Companies (ROC) द्वारा नियंत्रित होते हैं। सहारा का दावा है कि उन्होंने ऋणपत्र जारी करने से पहले ही आरओसी से अनुमति ले ली थी और रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (Red Herring Prospectus) जमा कर दिए थे। लेकिन इस मामले में कार्यवाही करते हुए सेबी ने सहारा की दो कंपनियों को ओएफसीडी पर रोक लगाने और निवेशकों को पैसा लौटाने का आदेश दिया। इसके बाद सहारा ने विभिन्न अदालतों में यह मामला उठाया और यह मामला अंततः भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पंहुचा। सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सहारा समूह ने कानून का उल्लंघन किया है और अब उसे निवेशकों को उनका पैसा वापस करना होगा। इसके बाद सहारा ने दावा किया कि उसने पहले ही 93% निवेशकों को अर्थात अपनी ओएफसीडी देनदारी का23500 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है और केवल 2260.69 करोड़ रुपये ही बाकी हैं।
सहारा समूह का यह भी दावा है कि उसने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी के तहत पुनर्भुगतान प्रक्रिया के अंतर्गत एक विशेष सेबी खाते में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा कराए हैं जो ब्याज सहित बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये हो गए हैं। सहारा समूह का तर्क है कि चूँकि इन पुनर्भुगतानों को ध्यान में नहीं रखा गया है, इसलिए अब एक और भुगतान करना अनिवार्य रूप से एक ही ऋण को दो बार चुकाने जैसा होगा।हालांकि, यह मामला अभी भी चल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में सहारा इंडिया को ‘सीआरसीएस सहारा रिफंड पोर्टल’ (CRCS Sahara Refund Portal) के माध्यम से सहारा कंपनी के निवेशकों को कुल 5000 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया है। बड़ी संख्या में निवेशकों के शामिल होने, दांव पर लगी बड़ी रकम और कानूनी दलीलों के कारण यह मामला बेहद जटिल माना जाता है। यहां पर सहारा ने सेबी पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया है।
सहारा समूह कई व्यवसायों सहित सहकारी समितियों का भी स्वामित्व करता है। जानकार मानते हैं कि इन सहकारी समितियों ने जमाकर्ताओं से धन जुटाया और एक हिल स्टेशन रिसॉर्ट परियोजना ‘एम्बी वैली’ (Hill Station Resort Project ‘Aamby Valley’) में 62,643 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया। कुछ आंकड़े यह बताते हैं कि समूह ने निवेश किए गए धन का दुरुपयोग किया ।
यह भी देखा गया है कि ‘सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ (Sahara Credit Cooperative Society Limited (Sahara Credit) ने लगभग 4 करोड़ जमाकर्ताओं से 47,245 करोड़ रुपये जुटाए और एंबी वैली लिमिटेड में 28,170 करोड़ रुपये का निवेश किया। साथ ही सहारन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कॉप सोसाइटी लिमिटेड (Saharan Universal Multipurpose Coop Society Limited (Saharan Universal) ने अपने 3.71 करोड़ सदस्यों से लगभग 18,000 करोड़ रुपये एकत्र किए और एंबी वैली लिमिटेड में 17,945 करोड़ रुपये का निवेश किया। ऊपर दिए गए सभी आंकड़े सहारा समूह के दावों पर कई सवाल खड़े कर देते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdrw6r85
https://tinyurl.com/6p66k3u6
https://tinyurl.com/wfbtjhdr
https://tinyurl.com/mr24vcba

चित्र संदर्भ
1. निराश निवेशक को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. कॉर्पोरेट समूह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय किसान उर्वरक सहकारी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लखनऊ में सहारा समूह के हेडक्वाटर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. 6 मई 2013 के दिन हमारे लखनऊ शहर में ही सहारा परिवार के 1,21,653 कर्मचारियों ने मिलकर एक साथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था। के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
6. निराश महिला निवेशक को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)



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