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अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संघों के कारण होता है, हमारा विदेशी व्यापार सुगम

लखनऊ

 26-09-2023 09:47 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

आपको यह तो पता ही होगा कि अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए विश्व का प्रत्येक देश अन्य देशों के साथ व्यापार करता है, जिसमें आयात एवं निर्यात शामिल होता है। इस व्यापार को सुगम बनाने हेतु, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ नियमों और निकायों की आवश्यकता होती हैं। आइए, ऐसे कुछ निकायों एवं संघों के बारे में पढ़ते हैं।
ऐसा ही एक निकाय आर्थिक संघ (Economic Union) है। एक “आर्थिक संघ” (Economic Union)विभिन्न प्रकार के व्यापारिक गुटों में से एक होता है। यह संघ उन देशों के बीच एक समझौते को संदर्भित करता है, जिसके तहत विभिन्न देश अन्य देशों के उत्पादों, सेवाओं और श्रमिकों को स्वतंत्र रूप से अपनी–अपनी सीमाएं पार करने की अनुमति देते हैं। आर्थिक संघ का उद्देश्य, उसके सदस्य देशों के बीच आंतरिक व्यापार बाधाओं को दूर करना होता है, जिससे सभी सदस्य देश आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सकें । यह संघ मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों का एकीकरण करता है, ताकि, सदस्य देश समझौते से संबंधित नीतियों, कराधान और सरकारी खर्च का समन्वय कर सकें। आर्थिक संघ से संबंधित देश अक्सर निश्चित विनिमय दरों (exchange rate)के साथ साझा मुद्रा अपनाते हैं।यूरोपीय संघ (European Union) विश्व का सबसे बड़ा व्यापार गुट है। यह 100 से भी अधिक देशों से वस्तुओं और सेवाओं का आयात करने वाला सबसे बड़ा आयात बाजार होने के साथ-साथ, दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की संख्या 28 है जिनके द्वारा एक सामान्य मुद्रा ‘यूरो’ (Euro) का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा ‘CARICOM एकल बाज़ार और अर्थव्यवस्था’ (CARICOM Single Market and Economy (CSME), ‘मध्य अमेरिकी आम बाज़ार’ (Central American Common Market), ‘यूरेशियन आर्थिक संघ’ (Eurasian Economic Union (EEU), ‘खाड़ी सहयोग परिषद’ (Gulf Cooperation Council (GCC), ‘आर्थिक संघ बनाम सीमा शुल्क संघ’ (Economic Union vs. Customs Union) अन्य आर्थिक संघों के नाम हैं।दूसरी ओर, “सीमा शुल्क संघ” (Customs union) दो या दो से अधिक देशों के बीच आंतरिक व्यापार बाधाओं को दूर करने एवं प्रशुल्क को कम करने या खत्म करने के लिए किया गया एक समझौता होता है। सीमा शुल्क संघ के सदस्य देश आम तौर पर, संघ के गैर-सदस्य देशों से आयात पर एक सामान्य बाहरी प्रशुल्क लागू करते हैं। यूरोपीय संघ, सीमा शुल्क संघ का भी एक उदाहरण है।यूरोपीय संघ के भीतर, सामान बिना किसी शुल्क के स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे शुल्क-मुक्त हैं। जबकि, यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देश इसके गैर-सदस्य देशों से आयातित वस्तुओं के लिए एक समान शुल्क वसूलते हैं।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि सीमा शुल्क संघ आर्थिक संघ से भिन्न है। किसी आर्थिक संघ के नियम केवल कुछ चुनिंदा वस्तुओं के बजाय, अन्य कुछ चीजों पर भी लागू होते हैं। इसमें सदस्य देशों के बीच धन और श्रमिकों का अप्रतिबंधित प्रवाह शामिल है, यह सुविधा सीमा शुल्क संघ में नहीं पाई जाती है।यूरोपीय संघ एक आर्थिक संघ होने के साथ-साथ एक सीमा शुल्क संघ भी है। आर्थिक संघों के अलावा, विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की अवधारणा भी है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, "मुक्त-व्यापार समझौता" सहयोगी देशों के बीच एक समझौता है जिसका उद्देश्य मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करना है।ये व्यापार समझौते मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1. द्विपक्षीय समझौता 2. बहुपक्षीय समझौता
आम तौर पर, जब दो देश व्यापार के अवसरों का विस्तार करने हेतु, एक–दूसरे के बीच व्यापार प्रतिबंधों को ढीला करने पर सहमत होते हैं, तब व्यापार समझौते द्विपक्षीय होते हैं। जबकि तीन या अधिक देशों के बीच होने वाले समझौते बहुपक्षीय व्यापार समझौते होते हैं। मुक्त व्यापार समझौता, जो कि व्यापार समझौतों का ही एक रूप है, उन प्रशुल्क और कर्तव्यों को निर्धारित करता है, जो कुछ देश व्यापार बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लक्ष्य के साथ आयात और निर्यात पर लगाते हैं। सीमा शुल्क संघों और मुक्त व्यापार क्षेत्रों के बीच भी महत्वपूर्ण अंतर होता हैं। इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर, तीसरे पक्षों या देशों के प्रति उनके दृष्टिकोण का है।एक सीमा शुल्क संघ के लिए आवश्यक है कि इसमें शामिल सभी पक्ष, गैर-सदस्य देशों के साथ, बाहरी प्रशुल्क को अपनाएं और बनाए रखें। इसके विपरीत, मुक्त व्यापार क्षेत्र वाले देश ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसके बजाय, उनके पास गैर-सदस्य देशों से आयात के लिए बाहरी प्रशुल्क प्रणाली निर्धारित करने और प्रबंधित करने की सुविधा है।
हमारा देश भारत भी अन्य कई देशों और व्यापार समूहों या गुटों के साथ, मुक्त व्यापार तथा कुछ अन्य व्यापार समझौतों में एक पक्ष धारक है। साथ ही, कई अन्य देशों के साथ, व्यापारिक समझौतों को लेकर, हमारी बातचीत भी चल रही हैं। वर्ष 2022 तक, भारत के 50 से अधिक व्यक्तिगत देशों के साथ अधिमान्य पहुंच के साथ आर्थिक सहयोग एवं मुक्त व्यापार समझौते हैं।
भारत के विभिन्न देशों के साथ कई व्यापार समझौते हैं, जो विशेष बाजार पहुंच की अनुमति देते हैं। इन समझौतों में अन्य बातों के अलावा तरजीही व्यापार समझौते(Preferential Trade Agreements), मुक्त व्यापार समझौते(Free Trade Agreements), व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते(Comprehensive Economic Cooperation Agreements) , आर्थिक सहयोग समझौते और व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreements) शामिल हैं। तरजीही व्यापार समझौते में आम तौर पर दो या दो से अधिक देश शामिल होते हैं जो विशिष्ट उत्पादों पर कम शुल्क के लिए सहमत होते हैं।भारत मकोसुह अधिमान्य व्यापार समझौता (India Mercosur Preferential Trade Agreement) इसका एक उदाहरण है। तरजीही व्यापार समझौते की तुलना में, मुक्त व्यापार समझौते आमतौर पर उन उत्पादों की श्रेणी के संदर्भ में अधिक व्यापक होते हैं जिन पर शुल्क कम किया जाता है। भारत श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता इसका एक उदाहरण है। व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते तथा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते ऐसे समझौते हैं, जिनमें वस्तुओं, सेवाओं और निवेश पर एक एकीकृत शैली के साथ-साथ व्यापार सुविधा और नियम-निर्माण मानक में बौद्धिक संपदा, सरकारी खरीद, तकनीकी, स्वच्छता और पादप स्वच्छता आदि जैसे विषय शामिल होते हैं। भारत कोरिया सीईपीए (India Korea CEPA) इसका एक उदाहरण है तथा इसमें व्यापार सुविधा, सीमा शुल्क सहयोग, निवेश, प्रतिस्पर्धा, बौद्धिक संपदा अधिकार इत्यादि जैसे अन्य क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ytujf82b
https://tinyurl.com/24z8czrm
https://tinyurl.com/yewabed8
https://tinyurl.com/zevarha7

चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय बंदरगाह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. यूरेशियन आर्थिक संघ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सुपरनैशनल यूरोपियन बॉडीज़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. द्विपक्षीय वार्ता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक बंदरगाह को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)



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