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हमारा “लखनऊ”, कमल के संरक्षण, प्रसार और खेती में कर रहा है उल्लेखनीय प्रगति

लखनऊ

 01-09-2023 09:29 AM
बागवानी के पौधे (बागान)

भारतीय संस्कृति में कमल के फूल का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसका उपयोग भोजन, चिकित्सा और धार्मिक अनुष्ठानों में विभिन्न प्रकार से किया जाता रहा है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसका बीज एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय तक उपयोग में लाया जा सकता है। कमल की खेती करना न केवल एक लाभदायक उद्यम है, बल्कि यह उद्यम को स्थायित्व भी प्रदान करता है। लखनऊ शहर ने विभिन्न अनुप्रयोगों के साथ कमल के संरक्षण, प्रसार और खेती में उल्लेखनीय प्रगति की है। तो आइए, जानते हैं कि कमल की खेती में रुचि रखने वाले लोग कैसे इसकी खेती की शुरूआत कर सकते हैं। कमल जिसे वैज्ञानिक तौर पर नेलुम्बो न्यूसीफेरा गर्टन (Nelumbo nucifera Gaertn) के नाम से जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक जलीय पौधों में से एक है। कमल एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है क्योंकि इसमें कई औषधीय और पोषक तत्वों से भरपूर गुण होते हैं। यह भारत का राष्ट्रीय फूल भी है और इस बात को ध्यान में रखते हुए लखनऊ में स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR-National Botanical Research Institute) ने कमल के संरक्षण, प्रसार और खेती पर महत्वपूर्ण काम किया है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के पास देश भर में कमल के पौधों का समृद्ध जर्मप्लाज्म संग्रह (germplasm collection) मौजूद है।
इसके अलावा संस्थान के पास ऐसी प्रौद्योगिकियां भी हैं, जिसके द्वारा कमल के पौधों की आवास उपयुक्तता, प्रसार, कृषि-प्रौद्योगिकियां और मूल्य संवर्धन का आसानी से आकलन किया जा सकता है। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान का उद्देश्य आवश्यकता-आधारित सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए दुनिया भर के संस्थानों, विश्वविद्यालयों और सरकारों के साथ साझेदारी बनाना है, ताकि देश के राष्ट्रीय फूल को दुनिया भर में एक व्यावसायिक फसल के रूप में बढ़ावा दिया जा सके। कमल का उपयोग कई तरह से किया जाता है, जैसे कमल के नाजुक तने के रेशों का उपयोग करके धागे बनाए जाते हैं, जिन्हें कमल का धागा कहा जाता है। इनसे बने कपड़े, कमल रेशम या लोटस सिल्क (Lotus silk) कहलाते हैं। कमल रेशम से बने कपड़ों की उत्पत्ति सबसे पहले म्यांमार (Myanmar) में हुई थी और अब वियतनाम (Vietnam) के छोटे पैमाने के कुटीर उद्योग भी इस कार्य में संलग्न हैं।
कमल के रेशों को बुनना एक बहुत ही जटिल तथा श्रम का कार्य है, जिस वजह से कमल रेशम को दुनिया के सबसे महंगे कपड़ों में से एक माना जाता है। म्यांमार के कमल रेशम को बनाने के लिए एक विशिष्ट किस्म के रेशों का उपयोग किया जाता है। इस किस्म के फूल बड़े, सुगंधित और गुलाबी रंग के होते हैं। इत्र उद्योग में भी मनमोहक सुगंध पैदा करने के लिए कमल का उपयोग किया जाता है। कमल के फूल में एक विशिष्ट जलीय सुगंध होती है, जो कि हल्का प्रभाव उत्पन्न करती है तथा लंबे समय तक रहती है। कमल के फूल से बने इत्र की सुगंध से यह आसानी से पता चल जाता है कि सुगंध कमल की है। कमल, भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं का एक अभिन्न अंग रहा है। भोजन, दवा, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए इसे एक लंबे समय से उगाया जा रहा है।
कमल की विशिष्ट बात यह है कि इसके बीज की आयु बहुत अधिक होती है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज 1300 वर्ष पुराने भी हो सकते हैं। हमारी प्रकृति में कमल के बीजों का अंकुरण आसानी से नहीं होता है, हालांकि, किसानों के उचित ज्ञान और अनुभव द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि कमल के बीजों को कैसे अंकुरित किया जा सकता है। कमल की खेती से कम समय में अधिक आमदनी होती है। इसकी फसल 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है। इसके अलावा कमल की खेती की लागत भी बहुत कम होती है। इसकी खेती के लिए बीज और कमल की पौध लगाने में 15 से 22 हजार रुपये का खर्च आता है। आज सरकार भी किसानों को कमल की सहफसली खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है। यदि आप कमल की फसल लगाना चाहते हैं, तो उनके बीजों को आप ऑनलाइन या अपने नजदीकी नर्सरी या किसी उद्यान केंद्र से खरीद सकते हैं।
कई सरकारी नर्सरियों में कमल के बीजों और पौधों को निःशुल्क भी प्रदान किया जाता है। कमल के एक एकड़ खेत में लगभग छह हजार पौधे उगाए जा सकते हैं तथा थोक में इसके फूल करीब 12 हजार रुपये तक बिकते हैं। कमल के विभिन्न भागों, जैसे फूल, बीज, बीज पत्र को अलग-अलग बेचा जाता है। इस प्रकार इसकी खेती के 3 महीने बाद लगभग 55 हजार रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है। कमल को उगाना बहुत आसान है तथा इन्हें उगाने के लिए बस कुछ ही बातों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है। जैसे कमल के पौधों को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे प्रकाश की आवश्यकता होती है। यह लगभग 75 से 87 डिग्री फ़ारेनहाइट जलीय तापमान में पनपता है। इन्हें उगाने के लिए गमले वाली मिट्टी के बजाय चिकनी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। यदि आप चाहें तो जलीय उर्वरक का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके लिए A 10-14-8 जलीय उर्वरक को सबसे अच्छा माना जाता है। खेती के लिए बीज तैयार करने से पहले आपको यह ध्यान देना होगा कि कमल के बीज गहरे भूरे और सख्त होने चाहिए। गहरे भूरे रंग की परत एक सुरक्षा कवच है और बीजों को कई वर्षों तक निष्क्रिय बने रहने में मदद करती है। गहरे भूरे रंग की परत के अंदर एक क्रीम के रंग जैसी परत दिखाई देती है। इस हिस्से को प्राप्त करने के लिए बाहरी परत को सावधानी से छीलना या काटना आवश्यक है।
जब अंदर की परत वाले बीज में पानी प्रवेश करता है तो बीज सक्रिय हो जाता है। अपने बीजों को एक साफ बर्तन में गर्म पानी में डालें और उन्हें अंकुरित होने के लिए धूप वाले स्थान में रखें। जब पौधा बर्तन में अंकुरित हो जाए, तब इसे अपने गमले में स्थानांतरित कर दें। कमल गर्म पानी में पनपते हैं, लेकिन बढ़ने के लिए इसे पर्याप्त स्थान की आवश्यकता भी होती है। इसके अलावा ऐसी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए, जिसमें चिकनी और बलुआ मिट्टी की मात्रा अधिक हो। साथ ही मिट्टी में कुछ मात्रा में कार्बनिक पदार्थ भी होने चाहिए। जब कमल में कुछ पत्तियां उग आएं तथा एक स्वस्थ कंद बन जाए, तब बर्तन के तल पर मिट्टी के मिश्रण की 3-5 इंच की परत लगाएं और अपने कमल कंदों को मिट्टी में रोपें।
इसके बाद बर्तन को पत्तियों के ऊपरी भाग तक गर्म पानी से भर दें। जैसे-जैसे कमल की पत्तियां बढ़ने लगे, उसके अनुसार धीरे-धीरे पानी डालते जाएं। जब वायवीय पत्तियां (Aerial leaves) आना शुरू हो जाएं, तब समझ जाइए कि, पौधा परिपक्व होना शुरू हो गया है।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/4n3dm2ua
https://tinyurl.com/3cnfk35v
https://tinyurl.com/mrx8baj8
https://tinyurl.com/4nfwdtz8
https://tinyurl.com/3b5zh734
https://tinyurl.com/53hbkfcx

चित्र संदर्भ
1. कमल के फूल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. एक साथ अनेक कमल के फूलों को दर्शाता चित्रण (Freerange Stock)
3. कमल के रेशों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. कमल की खेती को दर्शाता चित्रण (Flickr)
5. कमल के फूलों के साथ एक महिला को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
6. लोटस सिल्क प्रोडक्शन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. कमल के सुंदर पुष्प को दर्शाता चित्रण (Hippopx)



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