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भारत है शतरंज की जननी और लखनऊ में इस खेल को मिल रहा है बढ़ावा व प्यार

लखनऊ

 23-08-2023 09:35 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

क्या आप जानते हैं कि, हमारे शहर लखनऊ में स्थित चारबाग रेलवे स्टेशन को अगर ऊपर से देखा जाए, तो यह शतरंज के बोर्ड (Chessboard) जैसा दिखता है। जी हां, हमारे शहर के चारबाग रेलवे स्टेशन की वास्तुकला एक शतरंज के बोर्ड जैसी प्रतीत होती है। स्टेशन के गुंबद एवं खंभे शतरंज के मोहरों का आभास देते हैं। इससे यह एक अद्वितीय वास्तुशिल्प रचना बन जाता है, जो कई आगंतुकों को आकर्षित करता है। अब शतरंज का विषय निकला ही है, तो आइए इसके इतिहास के बारे में भी जान लेते हैं। दरअसल, शतरंज का अस्तित्व लगभग 1,500 वर्षों से है। यह भारत में इसके सबसे पहले ज्ञात प्रकार, ‘चतुरंग’ से मिलता है। माना जाता है कि, भारत से यह ईरान (Iran) देश पहुंचा जहां इसको बहुत प्रसिद्धि प्राप्त हुई, यहां इस खेल को आकार व नियमों के अनुसार संशोधित किया गया। तब जाकर इसे, शतरंज यह नाम मिला। अरब (Arab) आक्रमण के दौरान ईरान की विजय के बाद, शतरंज को मुस्लिम राज्यों ने अपना लिया और बाद में स्पेन (Spain) और इटली (Italy) के माध्यम से यह खेल यूरोप (Europe) में लोकप्रिय हो गया। फिर, लगभग 1500 ईसा पूर्व तक यह खेल, इसके वर्तमान ज्ञात स्वरूप अर्थात आधुनिक शतरंज में विकसित हुआ।
18वीं सदी के अंत से 1880 के दशक तक रोमांचक शतरंज (Romantic chess) इस खेल की प्रमुख शैली थी। इस अवधि में प्रसिद्ध शतरंज में व्यापक रणनीतिक योजना के बजाय त्वरित तथा चातुर्यपूर्ण दाव-पेंच पर जोर दिया जाता था। इस खेल के रोमांचक युग के पश्चात शतरंज में वैज्ञानिक, आधुनिक और नई गतिशीलता का युग आया। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में, आधुनिक शतरंज प्रतियोगिता भी शुरू हुई। जबकि, फिर 1886 में पहली आधिकारिक विश्व शतरंज चैम्पियनशिप (World Chess Championship) आयोजित की गई थी। इसके बाद, 20वीं सदी में शतरंज के सिद्धांत में सैकड़ों लोगों की दिलचस्पी देखी गई और अतः इस समय ही विश्व शतरंज महासंघ की स्थापना (World Chess Federation) की गई। 1997 में, एक आई.बी.एम. सुपरकंप्यूटर (IBM supercomputer) ने एक मैच में तत्कालीन विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्पारोव (Garry Kasparov) को हरा दिया। परिणामस्वरूप, इस खेल का कंप्यूटर प्रभुत्व के युग में प्रवेश आसान हो गया। तब से ही, कंप्यूटर विश्लेषण ने शतरंज सिद्धांत के विकास में बहुत योगदान दिया है। साथ ही, यह पेशेवर मानव शतरंज में तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इस विश्लेषण की शुरुआत 1970 के दशक में बाज़ार में सबसे पहले प्रोग्राम (Program) किए गए शतरंज खेल के साथ हुई थी। हालांकि, इस खेल में 21वीं सदी में भी कुछ विकास हुए, जिसने शतरंज में कंप्यूटर विश्लेषण के उपयोग को जनता के लिए अधिक सुलभ बना दिया। ऑनलाइन शतरंज, पहली बार 1990 के दशक के मध्य में खेला गया था, जो आज 21वीं सदी में लोकप्रिय हो गया है। हममें से शायद कुछ लोग, अपने मोबाइल पर ऐसा शतरंज खेलते होंगे। वैसे तो, शतरंज के प्राथमिक स्वरूप की उत्पत्ति हमारे देश भारत में हुई है। भारत में 7वीं शताब्दी ईस्वी में शतरंज का प्रारंभिक रूप ‘चतुरंग’ नाम से जाना जाता था, जिसका अनुवाद ‘सेना के चार खंड’ होता है। ये खंड पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी सेना एवं रथ सेना को संदर्भित करते हैं। अब शतरंज के वर्तमान स्वरूप में इन खंडों को हम प्यादा, वजीर, ऊंट तथा हाथी आदि नामों से जानते हैं।
यहां हम आपको बता दें कि शतरंज किसी भी तरह से मात्र कल्पना का खेल नहीं है साथ ही हमारी किस्मत का भी इससे, कोई लेना-देना नहीं हैl यहां हर चाल या कदम पर हमारा अपना निर्णय होता है। फिर चाहें हम जीतें या हारें, इसके लिए हम ही जिम्मेदार होते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास बोर्ड पर जो मोहरें होती है, उसे नियंत्रित करने की शक्ति होती है। इसीलिए, शतरंज काफ़ी चुनौतीपूर्ण है। दोनों पक्ष के खिलाड़ी हर मोड़ पर संभव सर्वोत्तम कदम उठा सकते हैं। अतः इसे सर्वोत्तम खेल भी कहा जाता है। किसी भी स्थिति में, इस खेल का तार्किक क्रम यह होता है कि, यह जारी रहेगा और सर्वोत्तम खेल के साथ ही समाप्त होगा।
भारतीय मूल होने के बावजूद भी, भारत में शतरंज कुछ ज्यादा लोकप्रिय नहीं थी। परंतु फिर, 1988 में शतरंज में केवल एक भारतीय ग्रैंड मास्टर या जीएम (Grand Master) होने से, भारतीय शतरंज आगे बढ़ गया है। साथ ही, हाल के वर्षों में युवाओं ने अपने जीएम मानदंडों को प्राप्त किया है और वे एक विशिष्ट संघ में शामिल हुए हैं। आज तक भारत में शतरंज के कुल 64 जीएम रहे हैं। इनमें पश्चिम बंगाल से 8, महाराष्ट्र से 7, नई दिल्ली से 6, आंध्र प्रदेश से 4 तथा केरल, तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों से 3-3 जीएम रहे हैं। लेकिन, अकेले तमिलनाडु राज्य से ही बड़ी संख्या में, अर्थात 23 जीएम आए हैं। ऐसे परिदृश्य में प्रश्न उठता है कि, चेन्नई और तमिलनाडु की अविश्वसनीय शतरंज संस्कृति को किसने बढ़ावा दिया है? आइए जानते हैं। देश के पहले अंतर्राष्ट्रीय मास्टर मैनुअल एरोन (Manuel Aaron) ने 1972 में सोवियत सांस्कृतिक केंद्र (Soviet Cultural Centre) में ‘ताल शतरंज संघ’ शुरू किया था। हालांकि, यह संघ तब रशिया (Russia) देश द्वारा संचालित था। क्योंकि, तब रशिया के पास शतरंज के जाने माने खिलाड़ी थे तथा उन्हें विश्व में उनका वर्चस्व स्थापित करना था। परंतु, मैनुअल एरोन ने इस संघ को उत्कृष्ट बनाने के लिए काफ़ी मेहनत की और इसका फल आज हमारे सामने है। इस संघ में कुछ सबसे अच्छे खिलाड़ी थे। संघ में विश्वनाथ आनंद भी शामिल थे, जो आज शतरंज के सबसे प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ियों में से एक है। कुछ मुख्य लोगों की जब कोई कीमत होती है, तब युवा पीढ़ी इसे देखकर बहुत कुछ सिखती हैं। और अतः यह संघ बढ़ता गया और साथ ही लोगों में शतरंज के प्रति दिलचस्पी भी बढ़ने लगी।
शुरुआती वर्षों में चेन्नई जिला संघ, तमिलनाडु शतरंज संघ और अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (जो इससे पहले ही चेन्नई में पंजीकृत थे) सभी इस क्षेत्र में बहुत सक्रिय थे। इसके अलावा तमिलनाडु के पलानी तथा मदुरई में कुछ प्रतियोगिताएं भी होती रहती थी। इसके साथ ही राज्य में कुछ शीर्ष खिलाड़ियों को नौकरियां भी प्रदान की जा रही थी। इन सभी कारणों से शतरंज को तमिलनाडु में अधिक लोकप्रियता मिलने लगी। आज अकेले चेन्नई में ही 50 से अधिक शतरंज संस्थाएं हैं। दूसरी ओर, हमारे शहर लखनऊ में भी शतरंज संस्थाएं होने के साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य शतरंज संघ भी है। लेकिन, यहां के खिलाड़ियों में, खेल को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रवृत्ति की कमी थी। इन सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए, जनवरी 2021 में, अक्षय नाटू ने हमारे शहर में एक शतरंज संघ के रूप में यूपी32 नाइट्स (UP32 Knights) की स्थापना की। फिर उन्होंने इसे, इंस्टाग्राम (Instagram) और चेसबेस इंडिया (Chessbase India) की लाइव स्ट्रीम (Live Streaming) पर प्रचारित करना शुरू कर दिया और तब जाकर इसने बहुत सारे शतरंज प्रेमियों को आकर्षित किया। आज, यह संघ सभी आयु वर्ग के 400 से अधिक लोगों का समुदाय है।
हमने देखा है कि, शतरंज की भारत से कैसे उत्पत्ति हुई है। फिर, कुछ प्रसिद्ध खिलाडियों से प्रेरणा लेकर हमारे देश में भी शतरंज के प्रति लोगों की दिलचस्पी बड़ी है। अब हमारे शहर लखनऊ में भी, शतरंज संस्थाएं हैं। अतः हम उम्मीद कर सकते है कि, शतरंज की दुनिया में हमारे राज्य व शहर का भी नाम मशहूर होगा।

संदर्भ
https://tinyurl.com/43vdv3pt
https://tinyurl.com/324nnf88
https://tinyurl.com/3tj7e88h
https://tinyurl.com/232vs659
https://tinyurl.com/4hhzjxwf

चित्र संदर्भ
1. भारत की शतरंज खिलाडी हरिका द्रोणवल्ली को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. शतरंज खेलते लोगों को दर्शाती एक पुरानी तस्वीर को दर्शाता चित्रण (picryl)
3. हाथियों, घोड़ों और ऊँटों को चित्रित करने वाले प्राचीन भारतीय शतरंज सेट को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. ऑनलाइन शतरंज खेलती महिला को दर्शाता चित्रण (flickr)
5. हाल ही में FIDE विश्व कप फाइनल में प्रवेश करने वाले आर. प्रग्गनानन्दा को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. शतरंज क्लासिक में विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)



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