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बारिश के दिनों में एक ओर जहां हमारे लखनऊ की सड़कें पानी से लबालब भर जाती हैं, वहीं गर्मियां आते-आते ज़िले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई तो दूर, पीने के पानी की भी किल्लत होने लगती है। लेकिन यदि हम बारिश के दौरान वर्षा के जल को संरक्षित कर लें तो यही पानी भीषण गर्मी के दौरान हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और उनके खेतों की प्यास भी बुझा सकता है।
भले ही हमें बताया गया हो कि “पृथ्वी की सतह का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है”, लेकिन पानी की इतनी बड़ी मात्रा में से केवल 3 प्रतिशत पानी ही ताज़ा और पीने योग्य है। यह ताज़ा पानी झीलों, नदियों और भूमिगत स्रोतों में मौजूद है। ज़मीन के भीतर मौजूद भूजल को ताजे पानी के सबसे सुलभ स्रोतों में से एक माना जाता है, जिसे हम कुओं, ट्यूबवेल और बोरवेल (Tubewell and Borewell) के माध्यम से प्राप्त करते हैं। हालाँकि, बढ़ती जनसंख्या और बदलती जलवायु के कारण सूखे जैसे हालात बन रहे हैं और भूजल की उपलब्धता, लगातार कम हो रही है। ज़मीन से निकलने वाला भूजल, पीने योग्य होने के साथ-साथ हमारे देश में घरेलू, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों की सभी जरूरतों को पूरा करता है। जैसे-जैसे शहरों का विकास होता है, वैसे-वैसे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना भी चुनौतीपूर्ण होता जाता है। इसलिए वर्षा जल एक मूल्यवान संसाधन है, जिसका उपयोग पीने का पानी उपलब्ध कराने, छोटे क्षेत्रों की सिंचाई करने और भूजल स्तर को बहाल करने के लिए किया जा सकता है। कम वर्षा वाले, शुष्क क्षेत्रों में, वर्षा जल खेती के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में, वर्षा जल संचयन ढलानों से बहने वाले पानी को एकत्रित करके मिट्टी के कटाव को रोकता है। हालाँकि, भूजल का जरूरत से अधिक उपयोग करने के कारण, बहुमूल्य पानी की बहुत अधिक बर्बादी भी हो रही है। जिसके परिणाम स्वरूप तकरीबन 1.3 अरब से अधिक आबादी वाले हमारे देश के केवल दो शहरों (तिरुवनंतपुरम और कोटा) में ही 24 घंटे पानी उपलब्ध रहता है। इन्हें छोड़कर देश के अधिकांश बड़े शहरों में केवल कुछ घंटों के लिए ही पानी मिलता है। ऐसा इसलिए नहीं है कि हमारे पास पर्याप्त पानी नहीं है, बल्कि इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारे देश में पानी का प्रबंधन अच्छी तरह से नहीं किया जाता है।
हमारी जल आपूर्ति हर साल कम होती जा रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए हम “बारिश के पानी को इकट्ठा करके” और उसे वापस ज़मीन में भेजकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। यह दुनिया भर में पानी बचाने का एक सरल और सार्थक तरीका माना जा रहा है।
वर्षा जल संग्रहण के कई लाभ होते हैं, जिनकी सूची निम्नवत दी गई है:
1. आपका पानी का बिल कम हो जाता है: निःसंदेह बारिश का पानी इकट्ठा करना, पानी खरीदने की तुलना में सस्ता साबित होता है।
2. प्रकृति की मदद करता है: जमीन के अंदर पानी जमा करना, पर्यावरण के लिए भी लाभदायक साबित होता है। इस प्रकार जल निकासी प्रणालियों पर पड़ने वाला तनाव भी कम हो सकता है। साथ ही, यह पानी को वाष्पित होने या प्रदूषित होने से बचाने का एक अच्छा तरीका है।
3. कम कटाव और बाढ़: वर्षा जल एकत्र करने से मिट्टी को बहने से रोका जा सकता है।
4. पौधों के लिए लाभदायक: वर्षा का पानी बिलकुल साफ होता है, और इसमें हानिकारक रसायन भी नहीं होते हैं, इसलिए यह पौधों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
5. भूजल संरक्षित रहता है: जब हम वर्षा जल एकत्र करते हैं, तो हमें भूमिगत स्रोतों से बहुत अधिक पानी उपयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है । यह भूजल स्तर को संतुलित रखने में भी मदद करता है।
वर्षा जल एकत्र करने के दो मुख्य तरीके होते हैं:
1.अपवाह एकत्र करना: इस प्रणाली में हम बारिश के बाद बह चुके पानी को टैंकों, तालाबों में एकत्र करते हैं, ताकि यह धीरे-धीरे भूजल में चला जाए। और बाद में इस एकत्र पानी का उपयोग हमारे दैनिक व्यक्तिगत जीवन में, यहां तक कि खेती और जानवरों के लिए भी किया जा सकता है।
2. भूजल का पुनर्भरण: इस प्रणाली में हम वर्षा जल को ज़मीन में जाने देते हैं, और भूमिगत जल स्रोतों को फिर से भर देते हैं। भारत के कई क्षेत्रो में लंबे समय से इस तरह के स्मार्ट तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
इतिहास में पीछे मुड़कर देखने पर हमें पता चलता है कि, “लोग लंबे समय से भविष्य में उपयोग के लिए वर्षा जल एकत्र करते आ रहे हैं।” यह प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है, जब दक्षिण-पश्चिम एशिया जैसे स्थानों में लोग वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए विशेष टैंकों का उपयोग करते थे। इजरायल की राजधानी यरूशलेम (Jerusalem, Israel) जैसे स्थानों में पाए गए, कुछ प्राचीन टैंक यह दर्शाते हैं कि सीमित पानी वाले क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रह महत्वपूर्ण हुआ करता था।
भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा जल संचयन का अभ्यास लगभग 300 ईसा पूर्व से किया जाता आ रहा है। वर्तमान के पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत में कृषक समुदायों ने खेती और व्यक्तिगत उपयोग के लिए वर्षा जल को संग्रहित करने की तकनीकों का उपयोग किया था। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण टैंक बनाए, जिनमें से कुछ ( तंजावुर में शिवगंगा टैंक और तमिलनाडु के कुड्डालोर में वीरानम टैंक) आज भी मौजूद हैं।
आधुनिक समय में भी आम घरों में वर्षा जल संचयन करने के लिए विभिन्न प्रणालियाँ स्थापित की जा सकती हैं, जिनमें से कुछ सरल और कुछ अधिक जटिल होती है। घरों में अक्सर प्रयोग होने वाली बुनियादी प्रणाली में छत से पाइपों को भूमिगत टैंक से जोड़ा जाता है। यह टैंक वर्षा जल को संग्रहित करता है, जिसका उपयोग जरुरत पड़ने पर किया जा सकता है। पानी को साफ करने के लिए इसमें यूवी फिल्टर और क्लोरीन (UV filter and chlorine) मिलाने वाले उपकरण जोड़े जा सकते हैं। ये प्रणाली एक औसत भारतीय परिवार की दैनिक जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन की गई हैं
जल संग्रहण के कुछ शानदार तरीके निम्नवत दिए गए हैं:
रेन बैरल (Rain Barrel): भूजल संग्रहण के लिए यह सबसे आम तरीका है। इसमें गटर के डाउनस्पाउट (downspout) से एक बैरल जुड़ा होता है, जिसमें वर्षा का पानी एकत्र किया जाता है।
शुष्क प्रणाली: इस विधि में पानी को एक टैंक में संग्रहित किया जाता है, जो गटर से जुड़ा होता है।
अवशोषण गड्ढा विधि: इस विधि में एक गड्ढा खोदा जाता है, और उसे टूटी हुई ईंटों या पत्थरों से भर दिया जाता है। बारिश का पानी इस गड्ढे में जाकर धीरे-धीरे भूजल में चला जाता है।
खाई विधि: इस विधि में एक लंबी और संकरी खाई खोदी जाती है। वर्षा का जल इस खाई में जाकर धीरे-धीरे भूजल में चला जाता है।
कुआं विधि: इस विधि में अवशोषण गड्ढे के नीचे एक कुआं खोदा जाता है। बारिश का पानी पहले गड्ढे में और फिर कुएं में जाता है!
जल संरक्षण के संदर्भ में भारत का तमिलनाडु, देश का पहला ऐसा राज्य था, जिसने 2001 में ही इमारतों में वर्षा जल एकत्र करना अनिवार्य कर दिया था। ये अनिवार्यता रंग लाई, और पांच वर्षों के भीतर ही चेन्नई का भूजल लगभग 50% बढ़ गया। साथ ही यहां पर पानी की गुणवत्ता भी बेहतर हो गई। इसे देखकर अन्य राज्यों और यहां तक कि 2016 में संसद में भी डॉ. किरीट प्रेम भाई सोलंकी द्वारा एक कानून (वर्षा जल (संचयन और भंडारण) विधेयक) का सुझाव दिया गया था। इसमें कहा गया, कि पानी बचाने के लिए प्रत्येक घर, दुकान और स्कूल में वर्षा जल को इकट्ठा करना अनिवार्य होना चाहिए ताकि इससे भूमिगत जल को फिर से भरा जा सके।
यदि कोई संपत्ति 1100 वर्ग मीटर से बड़ी है, तो उसमें वर्षा जल की संरक्षण की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को इंटरनेट और अन्य अभियानों के माध्यम से लोगों को वर्षा जल संचयन के बारे में जागरूक करना चाहिए। इसके अलावा सरकार को इस क्षेत्र में काम कर रहे समूहों की भी मदद करनी चाहिए। यदि कोई कानून का पालन नहीं करता है, तो उसे दो साल तक की जेल होनी चाहिए या उसे रुपये का जुर्माना भरना चाहिए। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी, यह कानून संसद की सहमति का इंतजार कर रहा है।
यदि हम अपने लखनऊ शहर में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पर नजर डालें तो, विशेषज्ञों के एक समूह ने मई और जून के महीने में हमारे लखनऊ के 24 सार्वजनिक भवनों में वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting (RWH) प्रणाली की जांच की। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन 24 सार्वजनिक भवनों में से 23 में वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ टूटी हुई थीं, और विभिन्न कारणों से काम नहीं कर रही थीं। उनमें से केवल एक भवन की वर्षा जल संचयन प्रणाली ठीक से काम कर रही थी। इसमें समाहरणालय और कमिश्नरी जैसी महत्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं। लखनऊ में आरडब्ल्यूएच सिस्टम वाले 150 से अधिक सार्वजनिक भवन हैं। इन इमारतों का उपयोग सरकार, स्कूलों और कार्यालयों द्वारा किया जाता है।कुछ अधिकारियों के अनुसार शहर के ये सिस्टम पुराने हो गए हैं, इसलिए इन्होंने काम करना बंद कर दिया है।
यह रिपोर्ट जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को कार्रवाई के लिए दी गई। सरकारी भवनों के अधिकारियों ने कहा कि वे आरडब्ल्यूएच सिस्टम को ठीक करने के लिए धन की मांग करेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार 100 वर्ग मीटर की छत सामान्य मानसून के दौरान लगभग 80 लाख लीटर पानी एकत्रित कर सकती है। हालाँकि हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से गिरते भूजल स्तर को सुधारने में मदद करने की अपील भी की हैं। उन्होंने कहा कि पानी जीवन के लिए आवश्यक है, इसलिए भूजल को बेहतर बनाने के लिए वर्षा जल को एकत्रित करना जरूरी है।
उन्होंने "ग्राउंडवाटर वीक (groundwater week)" कार्यक्रम के अंत में इस बारे में बात करते हुए कहा कि 2019 में सरकार ने नियम बनाया कि सभी नई इमारतों में बारिश का पानी इकट्ठा करने की व्यवस्था होनी चाहिए। समय के साथ राज्य में और अधिक वर्षा जल प्रणालियां विकसित हुई हैं, जिससे भविष्य में हमें काफी मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि अभी पानी बचाने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि बारिश का मौसम है। अगर लोग चाहते हैं कि जल कार्यक्रम अच्छा चले तो उन्हें यह समझना होगा कि भूजल स्तर बढ़ाना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पानी की 80 से 90 प्रतिशत जरूरतें भूजल से ही पूरी की जा सकती हैं। अच्छी खबर ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आदेश के बाद, राज्य के छह बड़े शहरों: (मेरठ, बरेली, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर और झाँसी) में सरकारी और अर्ध-सरकारी भवनों की छतों पर वर्षा जल संग्रहण प्रणाली स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं। सरकार इन छह शहरों में 2,19,376 सरकारी और अर्ध-सरकारी भवनों की छतों पर ये वर्षा जल संग्रहण सेटअप (Water Harvesting Setup) लगाना चाहती है। अभी, तक लगभग 2,07,876 इमारतों के लिए योजना बन चुकी है, जबकि 11,500 इमारतों में पहले ही काम पूरे हो चुके हैं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रही है कि बड़े शहरों में प्रत्येक सरकारी और अर्ध-सरकारी भवन में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली हो। आप भी अपना बढ़ चढ़कर योगदान दें।
आपकी सुविधा के लिए लखनऊ के शीर्ष वर्षा जल संचयन सलाहकारओं की सूची निम्नवत दी गई है:
1. सोनू बोरिंग (Sonu Boring )
स्थान: अम्बेडकर पार्क के सामने, राजाजीपुरम, लखनऊ
रेटिंग: 5.0 (2 रेटिंग)
सेवाएँ: बोरवेल ठेकेदार, बोरवेल ड्रिलिंग
संपर्क: 07947232827
2. आईफा कंस्ट्रक्शन एवं कंसल्टेंट्स (IIFA Construction & Consultants)
स्थान: मटियारी चौराहा के पास, मटियारी, लखनऊ
रेटिंग: 5.0 (1 रेटिंग)
सेवाएँ: आर्किटेक्ट, इंटीरियर डिजाइनर
संपर्क: 07947232827
3. एएआर ब्रदर्स (AAR Brothers)
स्थान: आर के टिम्बर के पास, गोमती नगर, लखनऊ
रेटिंग: 3.8 (16 रेटिंग)
सेवाएँ: बोरवेल ठेकेदार, सबमर्सिबल पंप डीलर (Submersible Pump Dealer)
संपर्क: 07947443738
4. जय एक्विफर मैनेजमेंट प्रा. लिमिटेड (Jai Aquifer Management Pvt. Limited)
स्थान: मैकाले टेम्पो स्टैंड (Macaulay Tempo Stand), कल्याणपुर, लखनऊ
रेटिंग: 4.8 (6 रेटिंग)
सेवाएँ: सर्वेक्षक, वर्षा जल संचयन सलाहकार
संपर्क: 07947169165
5. बोनाफाइड केमिकल्स (Bonnafide Chemicals)
स्थान: श्याम नगर, कानपुर
रेटिंग: 4.3 (26 रेटिंग)
सेवाएँ: सौर पैनल डीलर (Solar Panel Dealer), रासायनिक डीलर
संदर्भ
https://tinyurl.com/34zxn3de
https://tinyurl.com/mcwvpkhh
https://tinyurl.com/2bsatf79
https://tinyurl.com/mw9ah9av
https://tinyurl.com/mr3basdj
https://tinyurl.com/yckrydmb
https://tinyurl.com/3cwxuk4y
चित्र संदर्भ
1. वर्षा जल प्रणाली के पास खड़े भारतीय परिवार को दर्शाता चित्रण (Flickr)
2. बर्बाद होते पानी को दर्शाता चित्रण (Flickr)
3. खेत में ट्यूबवेल को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. युगांडा में घरेलू वर्षा जल संचयन प्रणाली के बुनियादी विन्यास को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. वृन्दावन में प्राचीन वर्षा जल संचयन कुए को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. आधुनिक वर्षा जल संयंत्र को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. अपने वर्षा जल संयंत्र के साथ खड़े व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (Flickr)
8. वर्षा जल संयंत्र का निरिक्षण करते अधिकारी को दर्शाता चित्रण (Flickr)
9. छत पर वर्षा जल संचयन प्रणाली को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
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