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हमारे देश भारत के कुछ सबसे पुराने रेलवे स्टेशन न केवल हमारे इतिहास और विरासत का एक हिस्सा हैं, बल्कि वे बेहतरीन वास्तुकला और भारतीय रेलवे के प्रबंधन कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण भी पेश करते हैं। ये रेलवे स्टेशन आज तक समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं, और अनुमान है कि, आगे भी कुछ दशकों तक इनकी संरचनाएं मजबूत बनी रहेगी। इन रेलवे स्टेशनों में से कुछ तो संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन अर्थात यूनेस्को(UNESCO: United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा मान्यता प्राप्त ‘विश्व धरोहर स्थल’ भी हैं। साथ ही, कुछ अन्य स्टेशन हमारी प्यारी यादों का हिस्सा हैं।
ऐसे ही महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में हमारे शहर लखनऊ का रेलवे स्टेशन भी शीर्ष स्थान पर है। एक शहर के रूप में, लखनऊ उत्तर भारत में मुख्य परिवहन केंद्रों में से एक है। शहर की हवाई, सड़क और रेल मार्गों द्वारा संयोजकता, अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी है। वैसे तो, हमारे लखनऊ में कुल 14 रेलवे स्टेशन हैं। परंतु, लखनऊ रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन हमारे शहर में सेवा देने वाले दो मुख्य स्टेशन हैं।
लखनऊ रेलवे स्टेशन आमतौर पर, ‘चारबाग रेलवे स्टेशन’ के नाम से प्रख्यात है। यह निस्संदेह ही, भारत के कुछ सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में से एक है। वास्तव में, इस स्टेशन ने एक पूर्ण शताब्दी के इतिहास को संजोए रखा है। 19वीं सदी में दिल्ली के बाद उत्तर भारत का अगला महत्वपूर्ण स्टेशन लखनऊ स्टेशन था। यह अवध और रोहिलखंड रेलवे (Oudh&Rohilkhand Railway) का मुख्यालय भी था। चारबाग स्टेशन आज भी लखनऊ का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है।यह उत्तरी भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है, जो अपने 9 प्लेटफार्मों (Railway station Platform) के माध्यम से प्रतिदिन 1.25 लाख लोगों को सेवा प्रदान करता है।
लखनऊ में आने–जाने हेतु, सेवा देने वाली अधिकांश महत्वपूर्ण ट्रेनें चारबाग रेलवे स्टेशन पर रुकती हैं। ये ट्रेनें लखनऊ से प्रस्थान करती हैं और नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और जयपुर सहित अन्य प्रमुख शहरों के लिए चलती हैं।
लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण 1914 में हुआ था। अतः यह भारत के कुछ सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक है। मुगल और अवधी वास्तुकला शैली के सम्मिश्रण से निर्मित चारबाग स्टेशन की वास्तुशिल्प संरचना किसी महल जैसी है। यहां सुंदर बगीचे भी बनाए गए थे। कहा जाता है कि, इस स्टेशन की संरचना में राजस्थानी वास्तुकला शैली की भी नींव है। अगर हम इस रेलवे स्टेशन को ऊपर की ओर से देखते है,तो यह एक शतरंज के बोर्ड (Chess board) जैसा दिखता है। जबकि, इसकी इमारत के गुंबद और खंभे शतरंज के खेल की मोहरों से मिलते जुलते हैं।
इक लुफ़्त–ए खास दिल को तेरी आरज़ू में है,
अल्लाह जाने कितनी कशिश लखनऊ में है।
ये पंक्तियां लखनऊ रेलवे स्टेशन की खूबसूरती को यूं ही नहीं बयां करती!
स्टेशन के इमारत की नींव 21 मार्च, 1914 को बिशप जॉर्ज हर्बर्ट (Bishop George Herbert) द्वारा रखी गई थी।हालांकि, बाद में 1923 में इसका पुनर्निर्माण भी किया गया था। तब इस रेलवे स्टेशन को लगभग 60-70 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था, जो उन दिनों काफी बड़ी रकम थी। 1 अगस्त, 1925 को ईस्ट इंडिया रेलवे(East India Railway) के एक प्रतिनिधि, सी. एल.कॉल्विन(C.L.Colvin) ने इस इमारत की नींव रखी थी।
चारबाग रेलवे स्टेशन, के ‘खम्मन पीर बाबा मजार’ निकास द्वार के पास, एक पुराना रेलवे इंजन खड़ा है, जो हमें भाप इंजन के दिनों की याद दिलाता है!
हमारा शहर लखनऊ अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है।और, चारबाग स्टेशन भी इसका एक जीवंत उदाहरण है।यहां एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर भी है, जो स्टेशन की मुख्य इमारत के ठीक बाहर है। यह मंदिर, बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।
रेलवे स्टेशन बनने से पहले, क्या था चारबाग का अस्तित्व? जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह अपनी चार बागों की संरचना के लिए प्रसिद्ध था। चारबाग नवाबों द्वारा विकसित किया गया एक सुंदर उद्यान था, जबकि, बाद में अंग्रेजों द्वारा इसे रेलवे स्टेशन में बदल दिया गया।
लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन जिसे लखनऊ जंक्शन एनईआर(Lucknow Junction NER, North Eastern Railway) के रूप में भी जाना जाता है, हमारे शहर का एक अन्य मुख्य स्टेशन है।यह लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन के पास में ही स्थित है।चारबाग रेलवे स्टेशन तथा इस स्टेशन के बीच अंतर यह है कि, लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन लखनऊ जाने वाली ट्रेनों के लिए एक टर्मिनस स्टेशन(Terminus station)के रूप में कार्य करता है।
हालांकि, शहर में कुछ अन्य रेलवे स्टेशन भी हैं। इनमें ऐशबाग, आलमनगर, अमौसी, बादशाह नगर, सिटी स्टेशन, डालीगंज, गोमती नगर, जिगौर, काकोरी, मल्हौर, मलिहाबाद, मानक नगर, मोहिबुल्लापुर, उतरेटिया आदि स्टेशन शामिल हैं।लेकिन, हम सबकी पुरानी यादें तो चारबाग रेलवे स्टेशन से ही जुड़ी हैं, है ना यह बात सच लखनऊ वासियों?!
जब भी आपको इन में से किसी स्टेशन पर जाने का मौका मिलेगा, तो इनकी सुंदरता को देखकर आप अवश्य ही आश्चर्यचकित हो जाएंगे। साथ ही, आप इन स्थानों के इतिहास में डूब जाएंगे। और आप अवश्य ही कहेंगे कि–
महका हुआ है हमसे गुलिस्तां–ए लखनऊ,
है जान हमारी लखनऊ हम जान-ए लखनऊ।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bhpj49w3
https://tinyurl.com/mr3v8bdc
https://tinyurl.com/34pbez4v
https://tinyurl.com/5n884mrb
चित्र संदर्भ
1. चारबाग रेलवे स्टेशन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. चारबाग रेलवे स्टेशन के विशाल प्रांगण को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन बोर्ड को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. रात्रि में चारबाग रेलवे स्टेशन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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