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भारतीय नौसेना का सबसे पुराना एवं महत्वपूर्ण, नियंत्रित प्रक्षेपास्र अथवा गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट (Guided missile Frigate) , आईएनएस गोमती(INS Gomati) अब सेवामुक्त हो चुका है। फ्रिगेट एक प्रकार का युद्धपोत है। फ्रिगेट के रूप में अलग-अलग समय में वर्गीकृत जहाजों की भूमिकाएं और क्षमताएं भिन्न रही हैं। इस फ्रिगेट ने हमारे राष्ट्र के लिए 34 वर्षों की शानदार सेवा दी है। यह अपराजेय आईएनएस गोमती, स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट के ‘गोदावरी वर्ग’ में से तीसरा था। 16 अप्रैल, 1988 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। गोदावरी और गंगा युद्धपोतों को, जो कि गोदावरी वर्ग के अन्य दो युद्धपोत थे, क्रमशः 2015 और 2018 में सेवामुक्त कर दिए गए थे ।
इस युद्धपोत को सेवामुक्त होने के बाद, लखनऊ लाया जा रहा है। हमारे शहर लखनऊ में अधिकारियों ने गोमती नदी के तट पर, एक अनोखा मुक्त संग्रहालय स्थापित किया है।गोमती युद्धपोत को अब इस संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा ।क्योंकि, इस युद्धपोत के नाम के लिए गोमती नदी से ही प्रेरणा मिली है, यह जहाज अब, भारतीय नौसेना की वीरता का प्रतीक बन, हमारे शहर का गौरव बनने जा रहा है । जबकि, भविष्य में इस जहाज के कुछ हिस्सों को सर्वोत्कृष्ट छत्तर मंजिल में प्रदर्शित करने की योजना भी बनाई गई है।
कथित तौर पर, यह युद्धपोत भारतीय नौसेना का पहला जहाज था, जो लड़ाकू डेटा प्रणाली (War Data system) में डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स(Digital Electronics) तथा भारतीय, रूसी और अन्य पश्चिमी देशों की हथियार प्रणालियों से सुसज्जित था।
ये जहाज़ जितना अद्भुद था उससे कहीं ज्यादा रोचक इसका इतिहास रहा है ।आइए, एक नज़र डालते हैं भारतीय नौसेना में फ्रिगेट के इतिहास पर । 17वीं से 18वीं सदी की शुरुआत में, “फ्रिगेट”, यह नाम अच्छी गतिशीलता हेतु, बनाए गए किसी भी व्यवस्थित एवं पूर्ण जहाज को दिया गया था। फ्रिगेट नौसैनिक पोत, “कार्वेट” (Corvettes) और विध्वंसक अथवा “डिस्ट्रॉयर”(Destroyer) के बीच वाले मध्यवर्ती जहाज हैं। इन्हें पहले “स्लूप”(Sloop) भी कहा जाता था।
तब इनका उपयोग खोज, अनुरक्षण और समुद्र में गश्त लगाने हेतु किया जाता था। हलांकि, तब फ्रिगेट नाम विभिन्न प्रकार की रचनाओं तथा स्वरूप वाले जहाजों के लिए भी लागू किया गया था। बाद में 18वीं शताब्दी के बीच, एक ‘यथार्थ फ्रिगेट’ फ्रांस(France) में विकसित किया गया। इस प्रकार के जहाज की विशेष बात यह थी कि, इसमें केवल एक ही सशस्त्र डेक(Deck) बनाया गया था।
फ्रिगेट नौसैनिक युद्धपोतों की भारत के नौसैनिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वास्तव में, मराठा साम्राज्य की सशस्त्र सेनाओं की नौसैनिक शाखा, मराठा नौसेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने हेतु, ग्रैब्स(Grabs) और गैलीवेट (Gallivat) जहाजों का उपयोग किया था। जबकि, हमारे देश में फ्रिगेट की अवधारणा अंग्रेजों द्वारा पेश की गई थी। कुछ शुरुआती फ्रिगेट के रूप में ऑब्रीटिया वर्ग(Aubrietia class) के एचएमआईएस क्लाइव(HMIS Clive), एचएमआईएस लॉरेंस(HMIS Lawrence) और एचएमआईएस कॉर्नवालिस (HMIS Cornwallis), 1920 के दशक के दौरान रॉयल भारतीय नौसेना(Royal Indian Navy) में शामिल किए गए थे। इन जहाजों का उपयोग, द्वितीय विश्व युद्ध(Second World war) के दौरान भी किया गया था। बाद में, 1930 के दशक में, पी(P), अंचुसा(Anchusa), हेस्टिंग्स(Hastings), ग्रिम्सबी(Grimsby) और ब्लैक स्वान(Black Swan) वर्गों को नौसेना में कार्यान्वित किया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल भारतीय नौसेना का काफी विस्तार किया गया था। ब्लैक स्वान वर्ग के एचएमआईएस सतलज(HMIS Sutlej) और एचएमआईएस जमना(HMIS Jumna) ने ऑपरेशन हस्की(Operation Husky) में भाग लिया था। यह ऑपरेशन युद्ध के दौरान सिसिली(Sicily) द्वीप पर मित्र देशों(Allied powers) द्वारा किया गया आक्रमण था।
फिर वर्ष 1945 में, रिवर वर्ग(River class) के एचएमआईएस धनुष(HMIS Dhanush) और एचएमआईएस शमशेर(HMIS Shamsher) तथाकथित रूप से कार्यान्वित किए गए, पहले युद्धपोत थे। रिवर वर्ग में कई अन्य युद्धपोतों को भी कार्यान्वित किया गया था।हालांकि, इनमें से कुछ जहाजों को बाद में विभाजन के समय पाकिस्तान में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस युद्ध के बाद के वर्षों में, भारतीय नौसेना ने ब्लैकवुड(Blackwood), व्हिटबी(Whitby), लेपर्ड(Leopard), लिएंडर(Leander) और नीलगिरी वर्गों से युद्धपोतों का संचालन किया था। नीलगिरी वर्ग के युद्धपोत यूनाइटेड किंगडम(United Kingdom) के यारो शिपबिल्डर्स(Yarrow Shipbuilders) के सहयोग से, भारत में बनाए गए पहले प्रमुख युद्धपोत थे। बाद में 2000 के दशक में, भारतीय नौसेना ने पहली बार रूस के साथ सहयोग करते हुए, परियोजना 1135.6 के तहत छह जहाजों का अधिग्रहण किया, जिसे तलवार वर्ग के रूप में नामित किया गया था। मई 2022 तक, तीन अलग-अलग वर्गों – शिवालिक, तलवार और ब्रह्मपुत्र,के 12 गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट भारतीय नौसेना द्वारा संचालित किए जाते थे।
फ्रिगेट से संबंधित कई रोचक तथ्य हैं; आइए, जानते हैं उन्हीं में से एक के बारे में। यूएसएस कॉन्स्टिट्यूशन(USS Constitution), जिसे ओल्ड आयरनसाइड्स(Old Ironsides) के नाम से भी जाना जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका(United States of America) की नौसेना का युद्धपोत है। इस युद्धपोत पर तीन मस्तूल हैं तथा इसकी पतवार लकड़ी से बनी हैं। वर्ष 1797 में इसे सेवा में शामिल किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि, यह दुनिया का सबसे पुराना जहाज़ है, जो अभी भी कार्यरत है।
हमारे देश की नौसेना में प्रमुख जहाजों का कार्य हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है। आईएनएस गोमती ने भी नौसेना में काफी सेवा दी है। चूंकि, अब यह सुंदर युद्धपोत हमारे शहर में ही प्रदर्शित किया जाएगा, हम कभी भी वहां जाकर हमारी नौसेना की वीरता की इस निशानी को देख सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4zt6vr2v
https://tinyurl.com/2p8xcn6v
https://tinyurl.com/bdz3v5r2
https://tinyurl.com/4ptsd4rv
चित्र संदर्भ
1. आईएनएस गोमती को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. समुद्र में ऊपर से देखने पर आईएनएस गोमती को दर्शाता चित्रण (Youtube)
3. एक समुद्री जहाज की डिज़ाइन को दर्शाता चित्रण (Picryl)
4. ओल्ड आयरनसाइड्स को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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