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पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए "पुस्तकालय" किसी मंदिर से कम नहीं होते। चूंकि, हमारे लखनऊ में भी प्रकृति, विज्ञान और दुनिया के रहस्यों को समझने के लिए, किताबें पढ़ने वाले लोगों की कमी नहीं है। इसलिए, यहां पर भी आपको पुस्तकालयों की एक समृद्ध विरासत नजर आ जाएगी। आज के इस लेख में हम भी लखनऊ के उन पुराने पुस्तकालय के बारे में जानेंगे, जो कि लगभग 150 वर्षों से भी अधिक समय से लखनऊ वासियों की सीखने की जिज्ञासा को तृप्त कर रहा है। मज़े की बात यह है कि ये पुस्तकालय आज भी आम जनता के लिए खुले हुए हैं।
सबसे पहले जानते हैं, अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी (Amir-Ud-Daula Public Library) के बारे में, जो कि लखनऊ में स्थित एक सार्वजनिक पुस्तकालय है। इसे शहर का सबसे पुराना पुस्तकालय माना जाता है। प्रारंभ (1868) में यह पुस्तकालय, राज्य संग्रहालय लखनऊ का एक हिस्सा हुआ करता था। बाद में, (1907) में, इसे नवाब सआदत अली खान द्वारा निर्मित इमारत, लाल बारादरी की ऊपरी मंजिल पर स्थानांतरित कर दिया गया। फिर, 1910 में, यह पुस्तकालय छोटा छतर मंजिल में स्थानांतरित हो गया और इसे सार्वजनिक पुस्तकालय, लखनऊ के रूप में जाना जाने लगा।
1926 में, पुस्तकालय एक बार फिर एक उद्देश्य-निर्मित भवन में स्थानांतरित हो गया, जिसकी आधारशिला 1921 में सर हरकोर्ट बटलर (Sir Harcourt Butler) द्वारा रखी गई थी। यह पुस्तकालय अवध के तालुकदारों की ओर से संयुक्त प्रांत की सरकार को एक उपहार के तौर पर दिया गया था, जिसका नाम मोहम्मद अमीर हसन खान के नाम पर रखा गया। इन्हें अमीर-उद-दौला के नाम से भी जाना जाता था। जहां तक संग्रह की बात है, इस पुस्तकालय में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, फ़ारसी, बंगाली और संस्कृत सहित विभिन्न भाषाओं में लगभग 2 लाख पुस्तकें उपलब्ध हैं। आप यहां बहुमूल्य पांडुलिपियां, मानचित्र और लिथोग्राफ (Lithograph) भी देख सकते हैं। इस पुस्तकालय में इतिहास, साहित्य, विज्ञान, यात्रा और संस्कृतियों जैसी विभिन्न शैलियों को शामिल करने वाली कई पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। इसमें अवध के इतिहास और संस्कृति, पुस्तकालय विज्ञान, साथ ही दैनिक समाचार पत्रों और समसामयिक संदर्भ की पत्रिकाओं के लिए समर्पित एक विशेष खंड भी है।
जैसा कि आपने जाना, यह पुस्तकालय सबके लिए खुला है और यहां का सदस्य बनने के लिए, आपको दो पासपोर्ट आकार के फोटो (Passport Size Photographs) और एक पते के प्रमाण (Address Proof) की आवश्यकता होगी।
हालांकि, इस लाइब्रेरी में कोई डिजिटल कैटलॉग (Digital Catalogue) नहीं है, इसलिए आपको किताबों को उनकी वर्णमाला और शैली-वार व्यवस्थित नाम कार्ड (Style-Wise Organized Name Cards) का उपयोग करके किताबें खोजने में अधिक समय लग सकता है। यह लाइब्रेरी लखनऊ के सफेद बारादरी के पास कैसरबाग में स्थित है, और मंगलवार को छोड़कर, प्रतिदिन दोपहर 12:30 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहती है।
हाल ही में इससे जुड़ी एक सबसे अच्छी खबर यह आई है कि, अब लखनऊ की 153 साल पुरानी अमीर-उद-दौला लाइब्रेरी डिजिटल भी हो गई है। स्मार्ट सिटी (Smart City) के डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट (Digitization Project) की बदौलत इसे 1.07 करोड़ रुपये लागत लगाकर लखनऊ डिजिटल लाइब्रेरी (Lucknow Digital Library) में बदल दिया गया है।
अब, आप लाइब्रेरी की वेबसाइट (www.digitallibrary.com) और मोबाइल ऐप (Website And Mobile App) के माध्यम से भी 80,000 से अधिक डिजिटल पुस्तकों और 27,000 ई-पत्रिकाओं को निशुल्क पढ़ सकते हैं। इस डिजिटल संग्रह में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 1,000 पुस्तकों के अलावा 5,000 प्रीमियम ई-पुस्तकें (Premium E-Books) और 1,000 से अधिक पाठ्यपुस्तकें भी शामिल हैं। इन पुस्तकों का विषय विज्ञान, कला, अर्थशास्त्र, भाषा, इतिहास, धर्म, कानून, संगीत, संस्कृति, युद्ध और गणित है। आप इन्हें विभिन्न भारतीय भाषाओं और यहां तक कि फ्रेंच और जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं में भी पढ़ सकते हैं।
इस पुस्तकालय में कुछ दुर्लभ पुस्तकें भी हैं, जिनमें तुर्की का इतिहास (1687), इंग्लैंड के विदेशी संबंधों पर अंतरराष्ट्रीय नीति निबंध (1884), आधुनिक हिंदू धर्म (1887), और हिंदू धर्म (1899) भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, दूसरी शताब्दी की संस्कृत, प्राकृत और पाली की सैकड़ों पांडुलिपियों को भी डिजिटलीकृत किया गया है।
पहले, पुस्तकालय को छत से रिसने वाले बारिश के पानी से नमी की स्थिति के कारण पुस्तकों और पांडुलिपियों के क्षतिग्रस्त होने की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब, डिजिटलीकरण के साथ, यह ऐतिहासिक पुस्तकालय पूरी दुनिया के लिए सुलभ हो गया है।
अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी के साथ-साथ लखनऊ में दो अन्य पुस्तकालय भी हैं, जहां जाकर पाठक अपनी पठन जिज्ञासा शांत कर सकते हैं:
1. गौतम बुद्ध सेंट्रल लाइब्रेरी (Gautam Buddha Central Library)
स्थान: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, विद्या विहार, रायबरेली रोड, लखनऊ, यूपी- 226025
गौतम बुद्ध सेंट्रल लाइब्रेरी, लखनऊ की सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी में से एक मानी जाती है। यह पुस्तकालय विश्वविद्यालय की शिक्षा और अनुसंधान के लिए ज्ञान को संरक्षित करने और साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लाइब्रेरी ने वेब-आधारित सूचना सेवाएं (Web-Based Information Services) प्रदान करने के लिए नई तकनीकों को भी अपनाया है। इसमें 300 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता है। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर पत्रिकाएं उपलब्ध हैं और पुस्तकालय द्वारा सदस्यता भी प्रदान की जाती है।
संपर्क: वेबसाईट-gbl.bbau.ac.In | मोबाइल नंबर - 098997 82906
कार्य के घंटे: 24 घंटे खुला।
2. रीडर्स चॉइस लाइब्रेरी (Readers' Choice Library)
स्थान: सेक्टर जे, बी-47 सेक्टर-ए, सेक्टर एल (Sector J, B-47 Sector-A, Sector L), अलीगंज, लखनऊ, यूपी-226024
रीडर्स चॉइस लाइब्रेरी, आरामदायक कुर्सियों, टेबलों और शांत वातावरण के कारण पाठकों को एक शांतिपूर्ण स्थान प्रदान करती है। इस पुस्तकालय में अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी और शैक्षिक पत्रिकाएं भी प्राप्त हो जाती हैं। इसके अलावा पुस्तकालय मुफ्त वाई-फाई (Free Wi-Fi) की सुविधा से युक्त है और यहां पर छात्र अनुमति लेकर अध्ययन के लिए किताबें घर भी ले जा सकते हैं।
संपर्क:वेबसाइट- https://thereaderschoice.business.site/| मोबाइल नंबर - 88874 16004 | 0522 424 8568
कार्य के घंटे: 24 घंटे खुला
यदि आपको लखनऊ के शाही इतिहास में गहरी अधिक रुचि है, तो आपको आदित्य चक्रवर्ती की हालिया किताब “रिहाइश-एट होम इन लखनऊ” (Rehaish—At Home In Lucknow)' जरूर पढ़नी चाहिए। यह किताब आपको खूबसूरत तस्वीरों के माध्यम से लखनऊ की पुरानी हवेलियों की यात्रा पर ले जाती है। इस किताब को पढ़कर प्रशंसित फिल्म निर्देशक मीरा नायर नेअपनी प्रसिद्द फिल्म “सूटेबल बॉय” (A Suitable Boy” की शूटिंग के लिए इनमें से तीन घरों (हवेलियों का चयन किया: ओएल हाउस (Oel House), लॉर्ड खालिद हमीद का घर ( Lord Khalid Hameed’s House) और सलीम और नूर खान का घर:
१. ओएल हाउस को मूल रूप से नज़रा कोठी कहा जाता था और बाद में इसका नाम एक अंग्रेज, जैक्सन (Jackson) के नाम पर “जैक्सन कोठी” रखा गया। ओएल के राजा युवराज दत्त सिंह ने इसे 1929 में खरीदा था। घर के पीछे एक अद्वितीय षट्कोणीय आकार का एक सुंदर बगीचा है।
२. लॉर्ड खालिद हमीद का घर एक मंजिला औपनिवेशिक शैली का बंगला है जिसके चारों ओर विशाल बगीचे हैं।
३. सलीम और नूर खान का घर, एल्म विला (Elm Villa), एक क्लासिक औपनिवेशिक बंगला है, जिसके चारों तरफ बरामदे और कोनों में चार पंचकोणीय कमरे हैं।
मुस्लिम शासकों के अधीन लखनऊ की वास्तुकला पर मुख्य रूप से ‘इस्लामी वास्तुकला’ का गहरा प्रभाव था। असफ-उद-दौला के बाद, उनके भाई सआदत अली खान, ने लखनऊ की कई कोठियां (हवेलियों (जिनमें हजरतगंज की कोठियां भी शामिल हैं।) का निर्माण किया। लखनऊ के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के निर्वासन के बाद, अंग्रेजों ने इन भव्य घरों को बेच दिया। इनमें से कुछ शानदार घरों ने आज तक अपनी भव्यता बरकरार रखी है। आदित्य चक्रवर्ती की पुस्तक लखनऊ में विभिन्न प्रकार के पुराने घरों पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक खूबसूरत तस्वीरें प्रस्तुत करती है, जो इन साधारण सी दिखने वाली सड़कों के छिपे हुए खजानों की एक झलक दिखा देती हैं। पुरानी हवेलियों में, पर्दा प्रथा के कारण महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग कमरे हुआ करते थे। परिवार के लोग अपना अधिकांश दिन आंगन में बिताया करते थे, जहां वे भोजन के लिए एकत्रित होते थे, बच्चे खेलते थे और दोपहर में महिलाएं आराम करती थीं। इस पुस्तक में वर्णित एक और संरक्षित ऐतिहासिक घर चारबाग रेलवे स्टेशन के पास खजूरगांव पैलेस (Khajur Gaon Palace) भी है, जो कभी राजा बेनी माधो सिंह के स्वामित्व में हुआ करता था। इस कोठी शैली की हवेली में एक शानदार दरबार हॉल और एक संकीर्ण छज्जा है, जहां से महिलाएं नीचे चल रहे नृत्य और संगीत प्रदर्शन देखती थीं। कुल मिलाकर यह पुस्तक न केवल लखनऊ के स्थापत्य सौंदर्य को दर्शाती है, बल्कि हमारे साथ उन मनोरम कहानियों को भी साझा करती है, जो हमें सीधे हमारे शहर के इतिहास से जोड़ती हैं।
संदर्भ :
https://tinyurl.com/mr4kbbw3
https://tinyurl.com/bdfj5bd8
https://tinyurl.com/mtdd72nd
https://tinyurl.com/rrkar5p2
https://tinyurl.com/3ynyd8nc
https://tinyurl.com/y5s2srzb
चित्र संदर्भ
1. अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी को दर्शाता चित्रण (Youtube)
2. अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी के गेट को दर्शाता चित्रण (Youtube)
3. अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी के बाहरी परिदृश्य को दर्शाता चित्रण (Youtube)
4. अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी में मौजूद पुस्तकों को दर्शाता चित्रण (Youtube)
5. गौतम बुद्ध सेंट्रल लाइब्रेरी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. चारबाग रेलवे स्टेशन के पास खजूरगांव पैलेस को संदर्भित करता एक चित्रण (twitter (Maroof | Heritage, Storyteller)
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