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जैसा कि आपको मालूम है, इन दिनों भारतिय क्रिकेट टीम वेस्ट इंडीज (West Indies) के दौरे पर है। और, इस सीरीज़ के लिए हम सभी लोग रोमांचित हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट के इस सम्बंध के अलावा भारत और वेस्ट इंडीज का एक अन्य ऐतिहासिक सम्बंध भी है, जिसे भारत में रहने वाले अनेकों लोगों द्वारा भुला दिया गया है? यहां आप जानेंगे उन गिरमिटिया मजदूरों के बारे में, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा 19वीं सदी में हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार से बहला – फुसलाकर गन्ना, चाय और रबर के बागानों में काम करने के लिए, वेस्ट इंडीज सहित विभिन्न देशों में भेजा गया था। और आप जानकर हैरान होंगे कि, वे कभी वहां से वापस नहीं लौट सके। वेस्ट इंडीज क्रिकेट विरासत का हमारे भूले हुए औपनिवेशिक भारतीय अतीत से सीधा संबंध है। मजदूरों को पहले ठेका श्रमिकों के रूप में कलकत्ता ले जाया गया तथा वहां से फिर उन्हें बागानों में काम करने के लिए भेज दिया गया। हालांकि, ब्रिटिश संसद द्वारा 1838 में गुलामी प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। लेकिन, मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के लिए ठेका मजदूरी की शुरुआत हुई, जिसमें नाममात्र के बदलाव किए गए थे। इससे मजदूरों के शोषण में किसी तरह की कमी नहीं आई थी।
जिन देशों में गिरमिटिया मजदूरों
का पलायन हुआ था, आज उनके वंशजों की
उन देशों में अपनी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
उपलब्धियां हैं। विदेशी जमीन पर वे अपने धर्म, भाषा, और संस्कृति को संरक्षित किए हुए हैं। तो आइए, इन चलचित्रों
के माध्यम से भारत और वेस्ट इंडीज के इस ऐतिहासिक सम्बंध पर एक नजर डालें।
संदर्भ:
https://rb.gy/acaa3
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