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सावन के मौसम के सबसे अच्छे पल वही होते हैं, जब बारिश की बूंदे पहली बार धरती को छूती हैं। मिट्टी में जब बारिश की पहली बूँद टकराती है, तो एक भीनी सी खुशबू उठती है। कई लोगों के लिए ये खुशबू महंगे-महंगे इत्र से भी अधिक सुगंधित होती है। हालांकि जैसे-जैसे बारिश तेज़ होती है, वैसे-वैसे इस सुगंध की तीव्रता भी कम होने लगती है। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि, बारिश के दौरान मिट्ठी से उठने वाली इस सुगंध का वर्णन करने के लिए एक "पेट्रीचोर (Petrichor)" नाम का एक शब्द भी गढ़ा गया है। पेट्रीचोर यानी मिट्टी के गीली होने पर आने वाली सुगंध, बारिश के पानी के ओजोन (Ozone), जैस्मिन और पौधों के तेल जैसे कुछ पदार्थों के साथ मिल जाने के कारण आती है। यह अनोखी सुगन्ध बारिश के बाद हवा में तैरती रहती है। एमआईटी (MIT) के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि बारिश की बूंदें एरोसोल (Aerosol) के छोटे-छोटे विस्फोट छोड़ती हैं, जो गैस में निलंबित तरल के छोटे कण होते हैं। दिलचस्प बात यह है कि हल्की या मध्यम बारिश की तुलना में भारी बारिश कम एरोसोल उत्पन्न करती है। इसीलिए पेट्रीचोर की गंध अक्सर हल्की बारिश के ठीक पहले या बाद के क्षणों में आती है।
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