Post Viewership from Post Date to 07-Aug-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2284 569 2853

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

क्या जलभराव की समस्या के खत्म होने के लिए 2051 तक करना पड़ेगा लखनऊ वासियों को इंतजार?

लखनऊ

 11-07-2023 09:31 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

हमारा शहर लखनऊ तेजी से विकास की राह पर अग्रसर है लेकिन हमारे शहर की जल निकास व्यवस्था का आज तक विकास नहीं हो पाया है। मॉनसून के दौरान लखनऊ की सड़कों और गलियों में पानी भरने की समस्या लगातार बनी रहती है। नगरपालिका द्वारा ध्यान ना देने और पानी के निकासी की व्यवस्था ठीक ना होने की वजह से हर साल लखनऊ को बारिश के मौसम में सड़कों पर जल जमाव और जल भराव का सामना करना पड़ता है। यह समस्या जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में और भी अधिक विकट हो जाती है जब बारिश का पानी घुटनों तक आ जाता है। सड़कों पर पानी भरा होने के कारण रोज के काम रुक जाते हैं और ट्रैफिक जाम लग जाता है। हमारा लखनऊ शहर राज्य की राजधानी होने के साथ-साथ सबसे अधिक आबादी वाला महानगर भी है। गोमती नदी शहर के लिए पानी का प्रमुख स्रोत है। कुल 28 नाले अलग-अलग स्थानों पर गोमती नदी में मिलते हैं। 28 नालों में से करीब 20 नाले जाम और गाद से भरे हुए हैं। कई पुराने नाले और जलाशयों को शहरीकृत क्षेत्र में बदल दिया गया है। ये सभी कारक शहर में बाढ़ की समस्या को जन्म देते हैं। लगभग एक सदी पहले शहर के विभिन्न हिस्सों में सीवेज नेटवर्क (Sewage Network) की स्थापना हुई थी। किंतु शहर के विकास के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए नेटवर्क को समय-समय पर बढ़ाया नहीं गया। इस पुराने सीवेज नेटवर्क पर ही लखनऊ की लगभग 70 से 80% तक आबादी का दबाव है। इसका एक बड़ा हिस्सा अवरुद्ध है और लगभग टूटा हुआ है, जिसकी वजह से सीवेज लाइन का पानी बरसात में बाहर आ जाता है। मॉनसून के समय जलभराव की समस्या का मुख्य कारण ड्रेनेज सिस्टम (Drainage System) में भारी मात्रा में कचरे और पॉलीथिन का फसना है। लखनऊ में लगभग हजार छोटी नालियां हैं जो की 72 बड़े नालों में मिलती हैं।
नियम के अनुसार, घर से निकलती छोटी नालियों को रोज साफ करना चाहिए और बड़े नालों को हर हफ्ते साफ करना चाहिए। साफ-सफाई का काम बारिश के मौसम से पहले हो जाना चाहिए। टूटी नालियों की वजह से हर कॉलोनी में बारिश के कारण जल भराव और सीवेज बहाव होता है। बारिश के पानी की निकासी में खराब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (solid waste management) सबसे बड़ी रुकावट बनता है। शहर की सभी नालियाँ कूड़े-कचरे और अपशिष्ट पदार्थों से अवरुद्ध हो गईं। इसलिए बरसात के मौसम में, ये नालियाँ वर्षा जल की निकासी नहीं कर पाती हैं और वर्षा का पानी आसपास के क्षेत्रों में जमा हो जाता है और जल-जमाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके अलावा, ये नाले गोमती नदी को भी प्रदूषित करते हैं क्योंकि शहर की सभी नालियां और नाले अंततः गोमती नदी में मिलते हैं। उदाहरण के लिए कुकरैल नाला, सरकटा नाला, पाटा नाला, जियामऊ नाला, डालीगंज नाला आदि। कुछ क्षेत्रों में निचली स्थलाकृति के साथ-साथ जल निकासी की समस्या भी है। इसके अलावा जल निकासी की व्यवस्था तब बिगड़ जाती है जब कई और कारक साथ जुड़ जाते हैं। नहर व्यवस्था में रुकावट, मौजूदा जल निकासी व्यवस्था में रुकावट, जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होना, नाले में उफान, जल निकासी रहित रेलवे पुल अंडरपास क्षेत्र, ये सभी कारक है जो जल निकासी व्यवस्था में रुकावट बनते हैं। जानकीपुरम एक्सटेंशन, मीराबाई मार्ग, डालीबाग, बटलर पैलेस, पार्क रोड, प्रागनारायण रोड और केडी सिंह बाबू मेट्रो स्टेशन के पास के क्षेत्र में जल भराव के कारण बारिश से बहुत नुकसान होता हैदिनचर्या के काम रुक जाते हैं। लोगों का कहना है कि खुली नालियां कचरे की वजह से बंद हो गई हैं। हालांकि इस भरे हुए पानी को निकलने के लिए पंपिंग मशीन (Pumping Machine) का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फिर भी समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है।
इन्ही सारी समस्याओं के चलते इस साल मॉनसून के शुरू होने से पहले ही अप्रैल के महीने में स्मार्ट सिटी बोर्ड (Smart City Board) की बैठक हुई थी। जिसमें शहर की निकासी व्यवस्था से जुड़े हुए फैसले लिए गए। इस बैठक के बाद मीडिया (Media) को दिए गए अपने बयान में एक नगर निगम अधिकारी ने बताया कि शहर में ऐसे 26 स्थानों की पहचान की गई है जहां पर निकासी व्यवस्था जुड़ी हुई नहीं है। कॉन्ट्रेक्टर्स (Contractors) सड़कों को खोद कर उनमें पाइपलाइन तो डाल देते हैं लेकिन कई महत्वपूर्ण जगहों पर उनको जोड़ते नही हैं। जिसकी वजह से बारिश का पानी नाली में बहने के स्थान पर ऊपर सड़कों पर आ जाता है और जल भराव हो जाता है। यह पानी गंदा भी होता है क्यूंकि इसमें बारिश के पानी के साथ नाली का पानी भी होता है, जिसकी वजह से बीमारियां भी हो सकती हैं। जबकि कॉन्ट्रैक्टर्स का कहना है कि लखनऊ नगर निगम ने पूरा पैसा नही दिया था इसीलिए काम पूरा नहीं हो पाया। वास्तव में यदि देखा जाए तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है और जनता का पैसा बिना वजह बर्बाद किया जाता है।
अब लखनऊ नगर निगम का कहना है कि सड़कों को फिर से खोदना पड़ेगा, तभी पाइपलाइन जोड़ी जाएगी। जल निकासी की व्यवस्था का कार्य लखनऊ नगर निगम द्वारा ‘जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल स्कीम’ (Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Scheme) के तहत कराया जाएगा । स्मार्ट सिटी लिमिटेड बोर्ड की बैठक में शहर के विकास के लिए मास्टर प्लान के (master plan)साथ-साथ जल निकासी के लिए भी मास्टर प्लान तैयार किया गया, जिसकी 2051 तक पूरा होने की उम्मीद है। जल निकासी मास्टर प्लान के द्वारा शहर में जल जमाव और बैक्टीरिया की वजह से फैलने वाली बीमारियों के प्रसार जैसे नागरिक मुद्दों का समाधान करने की योजना बनाई गई है। नगर निगम आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा, “लखनऊ के लिए एक सही जल निकासी नेटवर्क आवश्यक है जहां भारी बारिश के बाद छोटे इलाकों में जलभराव हो जाता है। लखनऊ में ड्रेनेज नेटवर्क की सही प्लानिंग बहुत जरूरी है। ड्रेनेज मास्टर प्लान के अंतर्गत सभी नागरिक मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “ड्रेनेज मास्टर प्लान यह सुनिश्चित करेगा कि तूफानी पानी का निकास सही से हो और इस तरह से हो कि यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो। मास्टर प्लान का उपाय तैयार करते समय लोगों के सुझावों पर भी ध्यान दिया जाएगा।” वास्तव में शहर को जलभराव और बाढ़ से बचाने के लिए एक उत्कृष्ट जल निकासी व्यवस्था को प्रबंधित करने के बारे में सोचने का समय आ गया है। इस समस्या से निपटने के लिए नालियों और नदी में पड़े कचरे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यही कचरा है जिसकी वजह से जल भराव होता है। पर सवाल यह है कि यह कचरा आता कहां से है जिसकी वजह से बरसात में जल भराव की दिक्कत होती है? यह वही कचरा है जिस पर नगरपालिका का ध्यान नहीं जाता है। यदि इस कचरे को ही साफ कर दिया जाए, तो न तो कचरा नदी-नालों में फसेगा और ना ही बरसात के समय निकासी व्यवस्था खराब होगी।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/Lucknow23
https://tinyurl.com/Poor-sewage-30
https://tinyurl.com/TOI30
https://tinyurl.com/Vector85
https://tinyurl.com/Case-study06
https://tinyurl.com/City-lacks-06

चित्र संदर्भ

1. नालों में दूषित जलभराव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बारिश के बाद जलभराव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. सीवेज नेटवर्क को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. सीवेज लीकेज को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. प्रदूषित पानी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM


  • खनिजों के वर्गीकरण में सबसे प्रचलित है डाना खनिज विज्ञान प्रणाली
    खनिज

     09-09-2024 09:45 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id