Post Viewership from Post Date to 03-Aug-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2146 580 2726

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं लखनऊ में अमौसी हवाई अड्डे पर स्थित मौसम विज्ञान वेधशाला की सेवाएं

लखनऊ

 08-07-2023 09:43 AM
जलवायु व ऋतु

भारत में ब्रिटिश काल के दौरान 6 अक्टूबर, 1894 को हमारे लखनऊ शहर में एक मौसम विज्ञान वेधशाला (Meteorological Observatory) की स्थापना की गई थी। 1 फरवरी, 1948 को इस वेधशाला को अमौसी क्षेत्र (कृष्णा नगर) में स्थानांतरित किया गया था। जबकि, एक बार फिर, 29 नवंबर, 1972 को इस वेधशाला को अमौसी हवाई अड्डे (चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) में स्थानांतरित कर दिया गया। यह वेधशाला आज हमारे उत्तर प्रदेश राज्य की आम जनता तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों जैसे कृषि, सिंचाई, बिजली, बाढ़ नियंत्रण, राहत और पुनर्वास, सड़क मार्ग और रेलवे आदि को मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करती है। इसके साथ ही, यह वेधशाला केंद्र सरकार और निजी दलों को भुगतान के आधार पर मौसम संबंधी आंकड़े और विमानन सेवाओं की आपूर्ति भी करती है। इन आंकड़ों का उपयोग अनुसंधान उद्देश्यों के लिए वैज्ञानिकों द्वारा, केंद्रीय जल आयोग के केंद्रीय बाढ़ पूर्वानुमान प्रभाग द्वारा तथा किसानों, आम जनता एवं वायु सेना कर्मियों, सभी हवाईजहाजों , समाचार पत्रों, ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio), टीवी चैनलों और मीडिया (Media) के द्वारा किया जाता है।
दरअसल, हमारे उत्तरप्रदेश राज्य में तीन हवाई अड्डों पर मौसम विज्ञान वेधशालाएं स्थित हैं:
१.चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अमौसी, कानपुर रोड, लखनऊ।
२.बाबतपुर हवाई अड्डा, वाराणसी।
३.फुरसतगंज हवाई अड्डा, रायबरेली।
हमारे लखनऊ का यह मौसम वेधशाला केंद्र पूरे उत्तर प्रदेश राज्य के सभी मौसम पूर्वानुमानों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह केंद्र राज्य में स्थित विभागीय और गैर-विभागीय वेधशालाओं के साथ-साथ ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department) की विभिन्न योजनाओं जैसे कि, दस्तावेज़ एवं अभिलेख प्रबंधन प्रणाली (Document and Records Management System (DRMS), स्वास्थ्य सुधार संगठन (Health Maintenance Organization (HMO) और क्षेत्र विपणन संगठन (Field Marketing organization (FMO) के तहत रेन गेज स्टेशनों (Rain gauge Stations) का भी निरीक्षण करता है।
इन वेधशालाओं का उद्देश्य मौसम संबंधी अवलोकन करना और अस्थायी तथा स्थानिक पैमाने पर वर्तमान एवं पूर्वी मौसम से संबंधित जानकारी और मौसम पूर्वानुमान प्रदान करना है। ये पूर्वानुमान कृषि, सिंचाई, विमानन, बिजली संयंत्रों, योजना, औद्योगिक संचालन, पर्यटन, आपदा प्रबंधन और अन्य मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के संसाधनों के अनुकूलन हेतु महत्त्वपूर्ण होते है।
इसके अलावा, हमारे शहर में 28 दिसंबर, 2011 को एक डॉपलर मौसम रडार (Doppler Weather Radar (DWR) केंद्र का निर्माण हुआ था। इस वर्ष जनवरी महीने में ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department (IMD) के 148वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) द्वारा जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी डॉपलर मौसम रडार प्रणालियों का उद्घाटन किया गया । मौसम विभाग द्वारा जम्मू-कश्मीर के बनिहाल टॉप, हिमाचल प्रदेश के जोत और मुरारी देवी और उत्तराखंड के सुरकंडा देवी में चार डॉपलर रडार स्थापित किए गए हैं। ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ चरम मौसम की घटनाओं से संबंधित अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए 2025 तक पूरे देश में डॉपलर मौसम रडार प्रणालियां स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। डॉपलर सिद्धांत के आधार पर, इस रडार (Radio Detection and Ranging) को दूर स्थित वातावरण के बारे में डेटा या मौसम पूर्वानुमान और निगरानी में सटीकता लाने हेतु बनाया गया है। इस रडार के पास वर्षा की तीव्रता, हवा की तीव्रता तथा वेग को मापने एवं किसी तूफान के केंद्र तथा बवंडर की दिशा का पता लगाने के लिए उपकरण हैं।
वास्तव में रडार एक ऐसा उपकरण होता है, जो गतिशील एवं गैर-गतिशील वस्तुओं के स्थान (सीमा और दिशा), ऊंचाई, तीव्रता और गति का पता लगाने के लिए माइक्रोवेव (Microwaves) क्षेत्र में विद्युत चुम्बकीय तरंगों (Electromagnetic waves) का उपयोग करता है। डॉपलर रडार एक विशेष रडार है जो दूर स्थित वस्तुओं के बारे में वेग डेटा उत्पन्न करने के लिए डॉपलर प्रभाव का उपयोग करता है। डॉपलर सिद्धांत से तात्पर्य है कि जब कोई स्रोत और उसके सिग्नल (Signal) एक दूसरे के सापेक्ष गति में होते हैं, तो समीक्षक द्वारा देखी गई आवृत्ति में परिवर्तन होता रहता है। यह किसी लक्ष्य (वस्तु) से माइक्रोवेव सिग्नल को उछालता है, तथा विश्लेषण करता है कि इस लक्ष्य की गति ने वापस छोड़े गए सिग्नल की आवृत्ति को कैसे बदल दिया है। आवृत्ति में यह भिन्नता रडार के सापेक्ष लक्ष्य के वेग के रेडियल घटक (Radial component) का प्रत्यक्ष और अत्यधिक सटीक माप देती है।
डॉपलर रडार को तरंग दैर्ध्यों (Wavelength) के अनुसार कई अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये श्रेणियां एल (L), एस (S), सी (C), एक्स (X), के (K) हैं। इनमें से मुख्यतः एक्स-बैंड रडार का उपयोग मौसम की घटनाओं का पता लगाने के लिए हवाई जहाजों द्वारा किया जाता है । आज देश में, चरम मौसम की घटनाओं के पूर्वानुमान में हुए सुधार के कारण, आपदाओं से संबंधित मृत्यु दर कम होकर केवल एकल अंक में आ गई है। डॉपलर रडार की प्रासंगिकता इसमें बड़ी भूमिका निभाती है।
पिछले आठ से नौ वर्षों में हमारे मौसम विभाग की मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में लगभग 40% का सुधार हुआ है। देश में डॉपलर रडार की संख्या 2013 में 15 से बढ़कर 2023 में 37 हो गई है। इसके साथ ही, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक अन्य 25 रडार की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया है।
डॉपलर रडार की मदद से सही समय पर और सटीक रूप से मौसम पूर्वानुमान किया जा सकता है, जिससे,चरम मौसम की घटनाओं की संभावना में प्रबंधन और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/3x8k9kfy
https://tinyurl.com/43kh9t79
https://tinyurl.com/mptwwvky

चित्र संदर्भ

1. चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अमौसी, कानपुर रोड, लखनऊ को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. एक हवाईअड्डे की मौसम विज्ञान वेधशाला को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. भारत मौसम विज्ञान विभाग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मौसमी रडार को दर्शाता चित्रण (Store norske leksikon)
5. डॉपलर रडार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM


  • खनिजों के वर्गीकरण में सबसे प्रचलित है डाना खनिज विज्ञान प्रणाली
    खनिज

     09-09-2024 09:45 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id