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आपने "जो दिखता है, वही बिकता है।" वाली कहावत सुनी तो जरूर होगी। यह कहावत किसी उत्पाद की बिक्री को बेतहाशा बढ़ाने में विज्ञापनों की अहम् भूमिका पर प्रकाश डालती है। यदि आप गौर करें तो पाएंगे कि आज दुनियां की बड़ी-बड़ी कंपनियों की अपार सफलता में सबसे बड़ी भूमिका, उनके रचनात्मक और अनोखे विज्ञापनों ने ही निभाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि “चिकित्सकों को अपनी विशेषज्ञता का प्रचार-प्रसार करने की अनुमति नहीं होती है।”, और यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
19वीं सदी के अंत में, विज्ञापन क्षेत्र विकसित और अधिक संगठित होना शुरू हो गया था। किसी भी अन्य पेशे की तरह, विज्ञापन के विशेषज्ञों ने अपने ज्ञान और अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करने के लिए किताबें और लेख लिखना शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया ने विज्ञापन को एक मान्यता प्राप्त क्षेत्र के रूप में स्थापित करने में काफी मदद की।
अमेरिका में पहली विज्ञापन एजेंसी 1841 में फिलाडेल्फिया (Philadelphia) में वोल्नी पामर (Volney Palmer) द्वारा शुरू की गई थी। प्रारंभ में, एजेंसियों ने मुख्य रूप से समाचार पत्रों में विज्ञापनों के लिए जगह बनाई। हालांकि, 1870 और 1880 के दशक तक, विज्ञापन एजेंसियों ने जनता तक पहुँचने के लिए विपणन परामर्श, उत्पाद नामकरण, पैकेज और उत्पादन डिजाइन, अनुसंधान और मीडिया खरीद सहित व्यापक सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया।
जॉर्ज पी. रोवेल (George P. Rowell) उन पहले लेखकों में से एक थे, जिन्होंने विशेष रूप से विज्ञापन उद्योग से जुड़ी किताबें लिखीं। उन्होंने 1865 में एक एजेंसी खोली और 1869 में द अमेरिकन न्यूजपेपर डायरेक्टरी (The American Newspaper Directory) भी प्रकाशित की। 1880 के दशक में, विज्ञापन से जुड़े कई अन्य प्रकाशन भी सामने आने लगे। इनमें एजेंसियों द्वारा प्रचारात्मक पुस्तकें, विज्ञापन तकनीकों पर निर्देशात्मक पुस्तकें और 1888 में जॉर्ज पी. रोवेल द्वारा स्थापित प्रिंटर इंक (Printers Inc) जैसी पेशेवर पत्रिकाएँ शामिल थीं। 1900 के बाद विज्ञापन साहित्य की शैली में काफी विस्तार हुआ। प्रकाशकों ने विज्ञापन के विभिन्न पहलुओं पर सामान्य और विशिष्ट, दोनों तरह की किताबें लिखी। समय के साथ, पुस्तकों में प्रत्यक्ष विपणन, कॉपी राइटिंग (Copywriting) और विज्ञापन मनोविज्ञान जैसे विषय शामिल हो गए।
विज्ञापनों का बाजार भारत में भी खूब फल फूल रहा है। लेकिन नैतिक मूल्यों और रोगियों की सेहत एवं निजता को ध्यान में रखते हुए, चिकित्सकों के लिए अपने व्यवसाय या विशेषज्ञता का प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि भारत सरकार, निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का भरपूर समर्थन करती है, लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council Of India) के कुछ नियम भी हैं, जिनके तहत चिकित्सकों और अस्पतालों द्वारा विज्ञापन के प्रयास को प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि इन नियमों को पुराना और व्यापार विरोधी माना जाता है।
इन विनियमों के तहत, डॉक्टरों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे विज्ञापन करने की अनुमति नहीं है जो उनकी योग्यताओं को बढ़ावा देते हो। उन्हें दवाओं, चिकित्सा उत्पादों, या वाणिज्यिक लेखों का समर्थन अथवा प्रचार करने की भी अनुमति नहीं है। यद्यपि 1977 से पहले, स्वास्थ्य सेवा में पेशेवर विज्ञापन पूरी तरह से अवैध था। लेकिन 1977 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने चिकित्सा व्यवसायों में विज्ञापन के नियमों में थोड़ी बहुत ढील देने की अनुमति दी। इन ढीलों के तहत चिकित्सकों को कुछ उद्देश्यों, जैसे कि अपनी प्रैक्टिस शुरू करने या अपना पता बदलने पर प्रेस में औपचारिक घोषणाएँ करने की अनुमति है।
इसके अलावा चिकित्सकों को रोगी के मामलों पर चर्चा करते समय, पहचान संबंधी विवरण प्रकट करने में काफी सावधानी बरतनी चाहिए। स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी और जवाबदेही अधिनियम (Health Insurance Portability And Accountability Act (HIPPA) के तहत, थोड़ी बहुत जानकारी से भी रोगी की पहचान हो सकती है। यदि चिकित्सक किसी फार्मास्युटिकल उत्पाद (Pharmaceutical Products) या उपकरण से जुड़ी चिकित्सा प्रक्रिया का प्रचार कर रहे हैं, तो उन्हें विशिष्ट उपकरण पर जोर देने के बजाय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता या सेवा की विशेषज्ञता के विज्ञापन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 (Drugs And Magic Remedies Act, 1954) के अनुसार, चिकित्सकों को ऐसे विज्ञापन बनाने से प्रतिबंधित किया गया है जो उपचार की गारंटी देते हैं।
हालांकि नियमों में यह भी कहा गया है कि क्लीनिकों (Clinics) में चिकित्सक का नाम, प्रमाण-पत्र, मेडिकल कॉलेज (Medical College), विश्वविद्यालय, विशेषता और पंजीकरण संख्या जैसी बुनियादी जानकारी हो सकती है। लेकिन उनके लेटर हेड या साइन बोर्ड (Letterhead Or Signboard) पर उनकी तस्वीरों या अन्य प्रचार सामग्री का उपयोग करना अनैतिक माना जाता है।
आज ऑनलाइन विज्ञापन (Online Advertising) काफी प्रचलित हो गए हैं, इसलिए चिकित्सकों को इन सभी कानूनों और नियमों के संबंध में सतर्क रहना चाहिए और नियमों का उल्लंघन करने से बचना चाहिए। यदि चिकित्सकों की मार्केटिंग तरकीबें स्थानीय, राज्य या संघीय कानूनों और विनियमों का उल्लंघन करती हैं, तो उन्हें अपना लाइसेंस (License) रद्द होने और अपनी आजीविका को खतरे में डालने जैसे जोखिम उठाने पड़ सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mryu9xny
https://tinyurl.com/yeu974sn
https://tinyurl.com/5duvv6wr
https://shorturl.at/fjst8
चित्र संदर्भ
1. चिकित्सक को दर्शाता चित्रण (pxhere)
2. एक पुराने विज्ञापन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के लोगो को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. महिला चिकित्सकों के योगदान को संदर्भित करते विज्ञापन को दर्शाता चित्रण (
Blog | Chicago Revie)
5. चिकित्सक की नाम पट्टिका को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)