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आपने हमारे पिछले लेख में पढ़ा ही होगा कि किस तरह लखनऊ में बिजली आपूर्ति संकट में है जिसका एक प्रमुख कारण बिजली का चोरी होना भी है। बिजली की चोरी से निपटने के लिए हाल ही में, ‘लखनऊ विद्युत आपूर्ति विभाग’ ने बड़े पैमाने पर हवाई निगरानी के लिए ड्रोन (Drone) का उपयोग शुरू किया है। बिजली के अवैध उपयोग की पहचान करने हेतु लखनऊ में पहली बार ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। पिछले महीने में ड्रोन से प्राप्त तस्वीरों के साक्ष्य के आधार पर छह स्थानों पर 200 से अधिक बिजली चोरों को पकड़ा गया है। ये ड्रोन उन क्षेत्रों में नियोजित किए गए थे, जहां विभागीय कर्मचारियों को संकीर्ण गलियों के कारण प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। चोर रात के समय में बिजली के तारों से अस्थायी कनेक्शन (Connection) जोड़ते और हटाते थे। ऐसे कनेक्शन को स्थानीय भाषा में ‘कटिया’ कहा जाता है। ड्रोन के माध्यम से सुबह के समय चोरों द्वारा इन कनेक्शनों को ठीक करने और हटाने के चित्र (Footage) ड्रोन में लगे कैमरे में कैद किए गए, जिससे विभाग को पर्याप्त सबूत मिले हैं।
यदि यह परियोजना सफल होती है, तो विद्युत विभाग न केवल चोरों को पकड़ने हेतु, बल्कि गश्त लगाने और बिजली आपूर्ति में आने वाली त्रुटियों की पहचान करने के लिए भी अतिरिक्त ड्रोन को नियोजित करेगा। इस प्रौद्योगिकी के उपयोग से विभाग की दक्षता में वृद्धि हो सकती है। दिन के दौरान नियमित जांच से बचकर, चोर विशेष रूप से रात 11 बजे से सुबह 4 बजे के बीच ‘कटिया’ का उपयोग करते हैं। इससे बिजली आपूर्ति करने वाले सब-स्टेशन पर तेजी से बिजली का लोड (load) बढ़ता है। ऐसी स्थिति में, चोरी पकड़ने हेतु, ड्रोन का नियोजन एवं गश्त एक उचित तरीका साबित होगा।
दरअसल, पिछले दस वर्षों में ड्रोन प्रौद्योगिकी में हुए विकास के कारण, शहरी नियोजन में कई रूपों में ड्रोन काउपयोग किया जा रहा है।
चूंकि शहरी नियोजन में ड्रोन सर्वेक्षण एक उभरती प्रौद्योगिकी है, आइए शहरों में ड्रोन के उपयोगों के बारे में पढ़ते हैं-
1. डेटा संग्रहण (Data Collection):
डेटा संग्रहण किसी भी योजना के अनुप्रयोग का एक प्रमुख पहलू है। साथ ही, उस डेटा और उससे संबंधित जानकारी का विश्लेषण भी जरूरी है। सामान्य स्थिति में, इसके लिए काफ़ी बड़ी जनशक्ति, अधिक समय और बड़ी लागत की आवश्यकता होती है। आज तेजी से शहरीकरण बढ़ने के कारण शहरी योजनाकारों का काम और भी अधिक कठिन होता जा रहा है। किंतु, ड्रोन सर्वेक्षण इन कार्यों को आसान बनाता है। अतः अब , कई शहरों में कम समय में बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहित करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोसेसिंग (Artificial Intelligence processing ) या मशीन लर्निंग (Machine learning) द्वारा संवर्धित किया जाता है, ताकि कम कीमत पर वास्तविक समय में परिणाम मिल सकें। भविष्य में इस तकनीक को और भी अधिक उन्नत तथा व्यापक बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
2. बेसमैप (Basemap) या हवाई सर्वेक्षण:
बेसमैप अर्थात हवाई सर्वेक्षण किसी भी संभावित स्थान के विकास हेतु किए जाने वाले पहले सर्वेक्षण होते हैं। आज, बढ़ते घने शहरी वातावरण के कारण शहर के दृश्यों का हवाई विश्लेषण कठिन हो गया है। इसके विपरीत, दूर–दूर तक फैले विरल ग्रामीण क्षेत्रों की अपनी समस्याएँ होती हैं, जिसके कारण इन क्षेत्रों के विस्तृत उपग्रह (Satellite) सर्वेक्षण में मात्रा और गुणवत्ता दोनों की कमी होती है। किंतु अब ड्रोन का उपयोग शहरी या ग्रामीण इलाकों में जटिल क्षेत्रों का आसानी से और तेज़ी से मानचित्रण करने के लिए किया जा सकता है। यह पहले की तुलना में तेज़, सस्ता और सुरक्षित भी है।
3. परिस्थितिजन्य डिज़ाइन:
किसी भी विकास कार्य को उसके स्थान में समाहित करने के लिए, कागज पर डिज़ाइन करना हमेशा ही एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है। सटीक डिज़ाइन सटीक माप पर निर्भर करती है, जिनमें से अधिकांश व्यक्तिगत रूप से बनाई जाती हैं। बेहतर जानकारी के साथ निर्णय लेना विकास कार्य का लक्ष्य होता है, और विभिन्न ड्रोन तकनीक का संयोजन किसी भी वास्तुकार के लिए एक शक्तिशाली और मजबूत उपकरण बन सकता है। इससे दूरी और निकटता की गणना आसान और अधिक सटीक हो जाती है। साथ ही, संवेदी डेटा और थर्मल इमेजिंग (Thermal imaging) के द्वारा संबंधित परिवेश की अधिक यथार्थवादी डिज़ाइन बनाई जा सकती है।
4. 3डी विज़ुअलाइज़ेशन (Visualisation) और सार्वजनिक सहभागिता:
आभासी वास्तविकता (Virtual reality) के विकास के साथ, आवासीय अचल संपत्ति की बिक्री के लिए संभावित विकास के उच्च रिज़ॉल्यूशन (Resolution) तथा यथार्थवादी दृश्य उत्पन्न करने के लिए ड्रोन में लगे 3डी कैमरों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, उपकरणों पर संवर्धित वास्तविकता (Augmented reality) की उपलब्धता से इन छवियों को प्रभावी सार्वजनिक उपयोग के लिए विशिष्ट रूप में बदला जा सकता है।
5. यातायात प्रवाह और व्यवहार विश्लेषण
आसपास के क्षेत्र पर नए विकास के प्रभाव को कम करने की आवश्यकता के कारण यूएवी अर्थात मानवरहित विमान तकनीक (Unmanned Aerial Vehicles (UAV), जिसमें ड्रोन भी शामिल है, लोगों, वाहनों और यहां तक कि हवा जैसे पर्यावरणीय कारकों के आसपास भी अधिक सटीक मॉडल (Model) बनाने की अनुमति देती है। ये मॉडल बदले में भू-दृश्य वास्तुकार और योजनाकारों को निर्माण-स्थानों की मौजूदा सामाजिक और पर्यावरणीय स्थितियों की अधिक विस्तार से जांच करने में सक्षम बनाते हैं।
ड्रोन भारत के शहरी नियोजन और प्रबंधन के एक नए तरीके के रूप में उभरे हैं।चाहे किसानों को निरीक्षण के माध्यम से अपने खेतों को समझने का बेहतर अवसर देना हो; बेहतर विकास के लिए शहरी क्षेत्रों का मानचित्रण करना हो; या ऊर्जा दक्षता की गुणवत्ता का आकलन करना हो, ड्रोन के माध्यम से हमारे शहरों का परिदृश्य बदल रहा है। भारत में ड्रोन तकनीक के विकास की यात्रा पश्चिमी देशों की तुलना में थोड़ी अलग स्थिति में है। लेकिन, नियमों और नीतियों के सही नियोजन के तहत इसकी संभावनाएं आशाजनक हैं। ड्रोन समाज में बहुत योगदान दे सकते हैं और साथ ही हमें कई पारिस्थितिक समस्याओं को सुलझाने में भी मदद कर सकते हैं। भारत में ड्रोन तकनीक को अपनाने से विशेष रूप से शहरी बंदोबस्त या बस्ती, खनन, परिवहन, ऊर्जा और कृषि जैसी बड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा। समग्र और समावेशी नीति निर्माण और सफल कार्यान्वयन के लिए विश्वसनीय डेटा तक पहुंच महत्वपूर्ण हो जाती है। डेटा का सटीक और सुलभ विज़ुअलाइज़ेशन हमारे शहरों के पुनर्निर्माण को सटीक आकार दे सकता है। हम आज, पहले से ही विभिन्न माध्यमों से खोजे जा रहे ड्रोन अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला देख रहे हैं। अतः हम कह सकते हैं कि शहरी नियोजन पर ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रभाव रोमांचक होगा।
संदर्भ
https://rb.gy/de4jn
https://tinyurl.com/bdh7e9y3
https://tinyurl.com/59c4ebrc
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ चौराहे को दर्शाता चित्रण (Educalingo)
2. डेटा संग्रहण को दर्शाता चित्रण (Max Pixel)
3. हवा में उड़ते ड्रोन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मानवरहित विमान तकनीक को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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