City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
37288 | 80 | 37368 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन, योग को लोकप्रिय बनाने और योग सप्ताह में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, हमारी राज्य सरकार ने खिलाड़ियों, मशहूर हस्तियों, योग गुरुओं और प्रभावशाली व्यक्तियों को राज्य स्तर पर होने वाले योग समारोहों में शामिल करने का फैसला किया है। इस दिवस के उपलक्ष्य में राज्य के सभी 58,000 ग्राम पंचायतों, 762 नगरीय निकायों और 14,000 वार्डों में योग शिविर और सत्र आयोजित किए गए हैं।
राज्य में स्वयंसेवी संगठन, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, धार्मिक और सामाजिक संगठन तथा योग संस्थान भी अपने स्वयं के योग शिविर आयोजित करेंगे। हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में, संयुक्त राष्ट्र संबोधन में 21 जून के दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और दुनिया के कई हिस्सों में विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है।
हमारे राज्य की संस्कृति से जुड़े पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थलों, महत्वपूर्ण नदियों के किनारों, झीलों तथा तालाबों, सभी अमृत सरोवरों और प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित विभिन्न स्थानों पर आज योग सत्र आयोजित किए जाएंगे। सरकार की योजना के अनुसार, विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में योग दिवस के अवसर पर भाषण प्रतियोगिताओं, पोस्टर(Poster) प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन प्रतियोगिताएं, नारा लेखन प्रतियोगिताएं, और रंगोली प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। इसके अलावा, आधुनिक जीवन शैली में योग के अनुप्रयोग, तनाव और मानसिक आघात के प्रबंधन में योग का महत्त्व आदि विषयों पर भी योग से संबंधित सत्र और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
दूसरी ओर, लखनऊ विश्वविद्यालय के योग और वैकल्पिक चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों ने कहा है कि, तनाव और चिंता या धैर्य की कमी से पीड़ित छात्रों को ‘अनुलोम विलोम’ प्राणायाम करना चाहिए। यह प्राणायाम मन को शांत करता है और तनाव एवं चिंता को कम करने के अलावा, एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है।जबकि, शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है और यह उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह भूख और प्यास को भी कम करता है और अपच तथा पेट से संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। योग त्वचा और आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है। एक अन्य प्रभावी प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम है, जो तनाव से राहत दिलाता है।
कई लोगों के लिए योग जीवन का एक पहलू है। हालांकि, आज योग का आधुनिक रूप विश्व में प्रचलित हैं।आधुनिक योग अलग-अलग उद्देश्यों के साथ की जाने वाली योग अभ्यासों की एक विस्तृत श्रृंखला है।इसमें वेदों से प्राप्त योग दर्शन, हठ योग से प्राप्त भौतिक आसन, भक्ति और तंत्र-आधारित अभ्यास तथा हिंदू राष्ट्र-निर्माण का दृष्टिकोण भी शामिल हैं।
योग की उत्पत्ति प्राचीन उत्तर भारत में हुई है। 19वीं शताब्दी के अंत में स्वामी विवेकानंद जी, मैडम ब्लावात्स्की(Madame Blavatsky) और अन्य लोगों ने योग को विभिन्न रूपों में पश्चिमी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था। ब्लावात्स्की ने योग के प्रसार के दौरान इसके गुप्त और गूढ़ सिद्धांतों में रुचि तथा“रहस्यमय पूर्वक्षेत्र” की दृष्टि को प्रोत्साहित किया। उन्होंने 1852-53 में भारत की यात्रा की थी।इस दौरान सामान्य योग में उनकी बहुत रुचि हो गई।जबकि उनका हठ योग पर विश्वास नहीं था। दूसरी तरफ, 1890 के दशक में, स्वामी विवेकानंद जी ने आसन और हठ योग के अभ्यास को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए, नए विचार आंदोलन से प्राप्त योग प्राणायाम, ध्यान और सकारात्मक सोच के बारे में दुनिया को सीख दी।
फिर 1920 के दशक में योगेंद्र, कुवलयानंद और कृष्णमाचार्य आदि ने व्यायाम के रूप में प्रचलित योग की शुरूआत की थी। यह शारीरिक योग था, जिसमें मुख्य रूप से आसन शामिल थे।ये आसन पश्चिमी जिम्नास्टिक(Gymnastic) के योगदान के साथ, हठ योग से प्राप्त आसन थे। उन्होंने योग का जो अलग रूप प्रचलित किया,वह मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषिक दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। इसकी शुरुआत अमेरिका(United States of America) और ब्रिटेन(Britain) से हुई।1970 के दशक से, यह आधुनिक योग दुनिया के कई देशों में फैल गया।पश्चिमी दुनिया में योग शब्द का अर्थ अब केवल आसनों का अभ्यास मात्र है।
एक दूसरे सिद्धांत के अनुसार, मध्यकालीन भारत में हठयोग के पूर्व-औपनिवेशिक अभ्यास में योग की जड़ों का पता लगाया जा सकता है। हालाँकि, आधुनिक योग की जड़ें ब्रिटिश उपनिवेशवाद के भारतीय अनुभव में खोजी जा सकती हैं। 1828 में, ब्रिटिश शासन के केंद्र कलकत्ता शहर में ब्रह्म समाज की स्थापना हुई थी। भगवद्गीता उनकी पवित्र पुस्तक थी और इसके वितरण का साधन योग था। 1893 में स्वामी विवेकानंद, शिकागो(Chicago) धर्म संसद के लिए अमेरिका गए थे। तब, भारत में औपनिवेशिक शासन के अपमानजनक अनुभव की प्रतिक्रिया में, विवेकानंद जी ने योग को जन-जन तक पहुंचाने और हिंदू धर्म को विश्व धर्म के रूप में स्थापित करने के लिए अमेरिका की यात्रा की थी।
उसी समय, थियोसोफिकल सोसायटी(Theosophical Society), जो की एक गुप्त समाज था, ने हिंदू धर्म और योग में पश्चिम में रुचि पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज हम जिस योग को जानते है, वह उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोपीय भौतिक संस्कृति आंदोलन के साथ भी घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश भारत में औपनिवेशिक शासन के प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण पहलू, यूरोपीय शरीर संस्कृति और जिम्नास्टिक के विचारों को भारतीय स्वरूप देना था। इससे, जो भारतीय राष्ट्रवादी भौतिक संस्कृति उभरी, उसे “योग” के रूप में जाना जाने लगा।
योगेंद्र जैसे आधुनिक भारतीय योग अग्रदूतों के लिए, पोस्टुरल योग(Postural yoga) जिम्नास्टिक के समान व्यायाम प्रकार का एक स्वदेशी रूप था। भारत के औपनिवेशिक अनुभव के संदर्भ में तथा यूरोप(Europe) में उभरे भौतिक सांस्कृतिक आंदोलन के संबंध में आधुनिक योग का पुनर्निमाण हुआ।
दरअसल किसी भी रूप में योग की उपयोगिता, एक पुनर्स्थापनात्मक या परिवर्तनकारी अभ्यास के रूप में, आज प्रासंगिक नहीं है। शुरुआत से ही योग में लगातार अनुकूलन, बदलाव और विकास होता रहा है। और आज दुनिया भर में योग विभिन्न रूपों में किया जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2296f5tr
https://tinyurl.com/492wa37d
https://tinyurl.com/bdzdujru
https://tinyurl.com/muvebakm
चित्र संदर्भ
1. अमेरिकी सड़को में योग करते लोगों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. योग करते लोगों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मैडम ब्लावात्स्की को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. योग का प्रक्षिक्षण लेते लोगों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
5. पोस्टुरल योग को दर्शाता चित्रण (Ryersonian.ca)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.