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हमारे लखनऊ शहर के राजकीय संग्रहालय परिसर में पिछले करीब 39 वर्षों से राजहंस टीयू–124 (Rajhans TU-124) विमान संरक्षित है। इसके बगल में एक छोटे से सफेद बोर्ड पर लिखे अक्षरों के अनुसार, यह विमान तत्कालीन सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ(Union of Soviet Socialist Republics) की ओर से भारत के लिए एक उपहार था। आज यह संग्रहालय में भारत-सोवियत मित्रता के प्रतीक के रूप में खड़ा है। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि, 642 राजहंस भारत द्वारा सोवियत संघ से वर्ष 1966 में खरीदे गए तीन विमानों में से एक है और यह कोई उपहार वगैरह नहीं है।
माना तो यह भी जाता है कि, यह विमान पं.जवाहर लाल नेहरूजी की ओर से राजकीय संग्रहालय को उपहार था।इन तीनों विमानों में से अन्य दो विमान 643 पुष्पक और 644 राजदूत थे। डी 20 पी बायपास(D 20 P Bipass)जेट इंजन(Jet engine) से सुसज्जित इन विमानों को वर्ष1966 के अंत में पालम, नई दिल्ली तक उड़ाया गया था। पहले 642 राजहंस उसी वर्ष अक्तूबर महीने में भारत लाए गए थे।यह विमान 1,100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ29,000 फीट से 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
ये विमान मुख्य रूप से राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, रक्षा सचिव, गृह मंत्री, सेना के प्रमुख, नौसेना के प्रमुख और वायु सेना के प्रमुख के अलावा प्रधान मंत्री द्वारा भी अपनी यात्रा उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते थे।इंदिरा गांधी इस विमान में उड़ान भरने वाली पहली गणमान्य व्यक्ति थीं। हालाँकि, वर्ष 1975 में इन विमानों को त्याग दिया गया था; क्योंकि एक बार 643 पुष्पक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
दरअसल,एक विमानजो वास्तव में सोवियत संघ द्वारा भारत को उपहार में दिया गया था, वह मेघदूत नाम का एक आईएल 14-पिस्टन इंजन(IL 14-piston) वाला विमान था। हालांकि इसे भी वर्ष 1964 के बाद से हटा दिया गया था और अब इसे पालम में, हवाई अड्डे के संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।
लखनऊ के संग्रहालय में रखा गया राजहंस टीयू–124 रूसी विमान, कई सालों से लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।लोग इस विमान के सामने खड़े होते हैं और सेल्फी भी लेते हैं तथा इसे अपने कैमरे में कैद करते हैं।वास्तव में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने इसे हमारे उत्तर प्रदेश राज्य के तत्कालीन मुख्य मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को भेंट कर दिया था।
फिर, 1981 में यह विमान दिल्ली से उड़कर लखनऊ के अमौसी विमान पत्तन पर पहुंचा और करीब 3 साल तक वहीं खड़ा रहा था। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1983 में देश के तत्कालीन रक्षा मंत्रीजी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि राजहंस विमान को सड़क के जरिए राज्य संग्रहालय तक पहुंचाना बहुत मुश्किल है।ऐसे में, रक्षा मंत्री थलसेना और वायुसेना की मदद के जरिए इसे संग्रहालय तक पहुंचाने में मदद करें।तब रक्षा मंत्री जी ने यह स्वीकार कर लिया और थल सेना और वायु सेना के ट्रक के जरिए इस राजहंस विमान को 1984 में राज्य संग्रहालय पहुंचा दिया गया।तब से लेकर आज तक यह संग्रहालय की शान बढ़ा रहा है।
जबकि आज, अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्राओं के लिए समर्पित एयर फोर्स वन(Air Force One) की तर्ज पर, भारत में एक बी777(Boeing 777)विमान है।यह विमान अब पूरी तरह से प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इस्तेमाल हेतु समर्पित है।भारतीय राजकीय नेताओं का एयर इंडिया(Air India) द्वारा संचालित बोइंग 747(Boeing 747) विमान के उन्नतरूप में, बी777 को अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। इसमें मिसाइल(Missile) और जैमिंग तंत्र(Jamming mechanism) शामिल होंगे।
बी777 विमान मूल रूप से एयर इंडिया के स्वामित्व में था, और अब इसे भारतीय वायु सेना(Indian Air Force) को सौंप दिया गया है। नए विमान में कॉल साइन(Call sign) ‘एयर इंडिया वन(Air India One)’ है। यह विशेष बोइंग B777 को वर्ष 2020 में पुराने बी747 को बदलने के लिए देश में लाया गया था। ये दो समान विमान हैं जिन्हें संशोधित किया गया है।इनकी लागत लगभग 8,400 करोड़ रुपये है।
निम्नलिखित बी777 विमान या एयर इंडिया वन की कुछ विशेषताएं है:
1. बी777 विमानों में अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ होंगी।यह मिसाइल रोधी प्रणाली एयर फोर्स वन(Air Force One) की रक्षा क्षमताओं के समान है।
2. दोनों बी777 विमान एयर इंडिया केपायलटों (Pilots) के बजाय भारतीय वायु सेना के पायलटों द्वारा संचालित किए जाएंगे। जबकि,हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उपयोग किया जाने वाला बोइंग 747 विमान एयर इंडिया के पायलटों द्वारा संचालित किया गया था।
3. जब बोइंग 747 विमान का उपयोग गणमान्य व्यक्तियों के लिए नहीं होता है, तब उनका उपयोग आमतौर पर एयर इंडिया द्वारा वाणिज्यिक संचालन के लिए किया जाता है। हालाँकि, विशेष रूप से निर्मित बी777 विमानों का उपयोग केवल गणमान्य व्यक्तियों की यात्रा के लिए किया जाएगा।
4. एयर इंडिया वन, मिसाइल रोधी क्षमताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक जैमर, संचार और सैन्य सुरक्षा प्रणालियों के साथ-साथ आपातचिकित्सा स्थिति से निपटने की सुविधाएँ आदि किसी भी पहलू में पीछे नहीं रहेगा।
5. अगर जरूरत हो तो, यह विमान किसी हमले के मामले में जवाबी हमला भी कर सकता है;जो कि एयर फोर्स वन के सैन्य तंत्र के समान प्रणाली है। जबकि,बी777 में संदिग्ध रडार आवृत्तियों को जाम करने और मिसाइलों का पता लगाने की व्यवस्था है।
6. यह विमान एक बार ईंधन भरने के बाद 17 घंटों तक उड़ान भर सकता है।
7. बोइंग 777 लगभग 900 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ान भरने वाले एयर फोर्स वन के बराबर होगा।
8. एयर फोर्स वन की तरह, नए विमान में कॉन्फ्रेंस केबिन(Conference cabins) के साथ एक पूर्ण कार्यालय के रूप में कार्य करने के लिए सभी सुविधाएं होंगी।
संदर्भ
https://bit.ly/3ComOlD
https://bit.ly/42PXXlL
https://bit.ly/3N1Urie
https://bit.ly/3N2Q1HV
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ के राजकीय संग्रहालय में मौजूद राजहंस टीयू–124 विमान
को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. बगल से देखने पर राजहंस टीयू–124 विमान को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. भारतीय सेना में टीयू–124 विमान को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. बी777 को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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