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आज अधिकांश लोग गणित को एक कठिन विषय के तौर पर देखते हैं। बच्चों के मन में बचपन से ही अंकों के प्रति डर भर दिया जाता है। लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह डर केवल काल्पनिक है, और गणित से रोचक शायद ही कोई दूसरा विषय हो सकता है। अगर आपको भी गणित विषय का नाम सुनते ही डर लगता है, तो यह डर इस लेख को पढ़ने के बाद छूमंतर होने वाला है!
बहुत से लोग मानते हैं कि वे गणित में प्रारंभ से ही स्वाभाविक रूप से कमजोर हैं। हालांकि, सच्चाई यह है कि गणित का कौशल निरंतर अभ्यास के साथ आसानी से सुधारा जा सकता है। दुर्भाग्य से, एक कठिन विषय के तौर पर गणित पढ़ाने का तरीका ही, छात्रों में इस विषय के प्रति वास्तविक लगाव, रुचि और प्रशंसा को कम कर देता है। गणित एक ऐसा विषय है, जिसका न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के ज्यादातर देशों में कई छात्र, नाम सुनते ही अभिभूत हो जाते हैं। हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सातवीं से दसवीं कक्षा के 82% छात्र गणित से डरते हैं और दूर भागते हैं। यह डर छात्रों में गणित के प्रति रुचि को कम कर देता है, और शैक्षणिक प्रगति में बाधा डालता है। नतीजतन, जब यही छात्र बड़े होकर वास्तविक जीवन में कदम रखते हैं, तो वे इस विषय के वास्तविक लाभ एवं उपयोग से वंचित रह जाते हैं।
पारंपरिक पाठ्यक्रम भी बच्चों में गणित के प्रति प्रेम और रुचि को बढ़ावा देने में विफल रहे हैं। कला के छात्र अक्सर विद्यालयों में नकारात्मक अनुभवों के कारण गणित को महत्वहीन समझने लगते हैं। वे नियमों को याद रखने, समयबद्ध परीक्षण, और गलतियाँ करने के डर से गणित से घृणा करने लगते हैं।
यह धारणा बेहद हानिकारक है कि कुछ लोग स्वाभाविक रूप से गणित में खराब होते हैं। इस धारणा से अन्य लोगों की भी इस विषय में रुचि घटने लगती है। यह ‘खराब’ या ‘कमजोर’शब्द लोगों को हार मानने का बहाना भी देते है।
इसलिए छात्रों में गणित के डर को दूर करने के लिए, गणित को रोमांच और प्रयोगात्मक भाव के साथ पढ़ाया जाना चाहिए, जहाँ छात्र विभिन्न दृष्टिकोणों से समस्या का समाधान ढूँढने का प्रयास करते हैं। गणित को रुचिकर बनाने के लिए हमें उत्तरों के बजाय संख्याओं के बीच संबंधों पर ध्यान देना चाहिए, और तर्क का उपयोग करके समस्याओं को सुलझाने वाली तकनीकों पर जोर देना चाहिए। गणित के प्रति रुचि बनाए रखने के लिए, गणित को बच्चों की रुचियों और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से जोड़ा जाना चाहिए। विषय को अधिक रुचिकर बनाने के लिए गणितीय अवधारणाएँ भोजन, संगीत, कला, खेल, या किसी अन्य चीज़ से भी संबंधित की जा सकती हैं।
छात्रों को गणित में रुचि खोने से रोकने के लिए, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को भी रचनात्मक रूप से सोचना चाहिए, और लचीला शिक्षण दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।
गणित के डर से निपटने के लिए विशेषज्ञ कई अलग-अलग तरीके सुझाते हैं। गणित के प्रति छात्र की धारणा को आकार देने में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए छात्रों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाकर और पाठ्यक्रम में गणित के वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों को शामिल करके, इस विषय को अधिक सुलभ और आकर्षक बनाया जा सकता है। गणित की अवधारणाओं को व्यावहारिक परिदृश्यों से भी जोड़ा जा सकता है, जैसे शिक्षक पिज्जा अथवा छात्रों की पसंद की ऐसी ही अन्य वस्तुओं के उदाहरणों का उपयोग करके, छात्रों को भिन्न (fractions) सिखा सकते हैं; इस प्रकार छात्र गणित की प्रासंगिकता और महत्व को समझ सकते हैं।
गणित के डर पर काबू पाने में आधुनिक तकनीक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। परस्पर संवादात्मक (Interactive) और मनोरंजनक शैक्षिक मंच छात्रों को गणित सीखने का एक मजेदार और आकर्षक तरीका प्रदान करते हैं। ये मंच गणित को प्रासंगिक बनाने में मदद करते हैं, और इसे एक खेल और कला के रूप में बढ़ावा देते हैं। गणित पढ़ाने का पारंपरिक तरीका रटने पर बहुत अधिक निर्भर है, और विषय के रचनात्मक पहलुओं को नजरंदाज कर देता है। इस समस्या को दूर करने के लिए शिक्षा का आधुनिक ढांचा, परस्पर संवादात्मक तरीके से सीखने, और गणित को छात्रों के दैनिक जीवन से जोड़ने पर जोर देता है।
हालाँकि, इन प्रयासों के बावजूद, गणित के डर को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए, अधिक काम करने की आवश्यकता है। गणित शिक्षा में सुधार के लिए जागरुकता बढ़ाने के साथ-साथ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और शोध कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं। नवीन शिक्षण रणनीतियों को लागू करके, प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके, और एक सहायक सीखने के माहौल का निर्माण करके, गणित साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
गणित को छात्रों के लिए रुचिकर विषय बनाने के लिए भारत में स्कूली शिक्षा के तहत गणित शिक्षा में बड़े परिवर्तन लाना जरूरी है। अतः पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने एवं शिक्षार्थी केंद्रित पाठ्यक्रम विकसित करने के उद्देश्य से, ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training) द्वारा ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ (National Curriculum Framework-NFC) पेश किया गया। भारत में ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ का उद्देश्य रटकर सीखने की जगह, परस्पर संवादात्मक शिक्षा द्वारा गणित की शिक्षा में क्रांति लाना है। एनसीएफ के तहत छात्रों के लिए गणित को और अधिक सुलभ बनाने हेतु गणित की अवधारणाओं को वास्तविक जीवन के अनुभवों और भाषा से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। इसके तहत गणित को रटकर सीखने और अर्थहीन अभ्यास से बचाने का प्रयास किया जाता है।
एनसीएफ के तहत लिंग और जाति की सीमाओं से परे, गणित के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, यह मसौदा पूरे इतिहास में गणित के विकास को समझने के महत्व पर प्रकाश डालता है। एनसीएफ भारतीय गणितज्ञों के योगदान (जैसे कि शून्य की अवधारणा, भारतीय अंक, और अनंत और बीजगणित के विचार) को भी रेखांकित करता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/gnvEP
https://shorturl.at/flIJ2
https://shorturl.at/lBF12
चित्र संदर्भ
1. गणित को गतिविधियों से सीखते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. गणित के क्रमागत अंको को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. गणित के प्रतीकों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. कक्षा में गणित सीखते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. खेल-खेल में गणित सीखते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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