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हर साल पर्यावरण की सुरक्षा हेतु जागरुकता फ़ैलाने के लिए आज के दिन अर्थात 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ (World Environment Day) के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर हमारे लखनऊ सहित पूरे उत्तरप्रदेश में, पर्यावरण को समर्पित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। चलिए जानते हैं कि ये कार्यक्रम राज्य में पर्यावरण सुरक्षा के संदर्भ में किन-किन चुनौतियों को उजागर कर सकते हैं?
आज की तारीख में पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन गया है, किंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस विषय की गंभीरता को शायद ही कोई गंभीरता से ले रहा है। दरअसल 3 अप्रैल, 2023 के दिन लोकसभा में प्रस्तुत की गई एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, देश के ज्यादातर राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (Pollution Control Boards) में स्वीकृत पदों में से लगभग आधे पद खाली हैं। यदि आंकड़ों की भाषा में समझें तो कुल 11,103 पदों में से 5,454 पद खाली हैं। जबकि यही ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित पर्यावरणीय कानूनों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब इन बोर्डों में काम करने वाले आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं, तो कोई प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उचित कार्रवाई की आशा ही कैसे कर सकता है।
देश के कई राज्य अपने यहाँ प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में बड़ी संख्या में रिक्तियों का सामना कर रहे हैं। बिहार के कुल 264 स्वीकृत पदों में से केवल 58 भरे हैं, जबकि झारखंड के 271 पदों में से केवल 34 पद भरे हैं। मध्य प्रदेश में रिक्ति दर 64% है, और उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में भी रिक्ति दर 40% से अधिक है।
देश में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में अग्रगण्य, देश की राजधानी दिल्ली में ‘प्रदूषण नियंत्रण समिति’ (Pollution Control Committee) में कुल 344 स्वीकृत पदों में से 192 पद खाली हैं। पराली जलाने की समस्या से जूझ रहे पंजाब और हरियाणा में क्रमश: 298 और 384 पद खाली हैं। केवल राज्य ही नहीं,स्वयं ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (Central Pollution Control Board) भी स्वीकृत 577 में से 193 रिक्त पदों के साथ जनशक्ति की कमी का सामना कर रहा है। हालांकि, बोर्ड ने सीधी भर्ती के माध्यम से इन रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन भी प्रकाशित किए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण कानूनों को लागू करने और प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए बोर्ड ही जिम्मेदार होता हैं। हालांकि प्रदूषण की समस्या को केवल इन रिक्तियों को पूरा करने से ही नहीं , बल्कि लोगों के बीच जागरुकता पैदा करके भी सुलझाया जा सकता है! उत्तरप्रदेश सरकार ने भी इस संदर्भ में एक अनोखी पहल की है।
दरअसल, आज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को उत्तर प्रदेश में ‘जीवनशैली दिवस’ (Lifestyle Day) के रूप में मनाया जा रहा है । सरकार की इस पहल से पर्यावरण के प्रति जगरुकता पैदा होगी और साथ ही यह कदम एक स्थायी जीवन शैली को भी बढ़ावा देगा। इस प्रयास के तहत, शहरी क्षेत्रों में ‘कम उपयोग, पुन: उपयोग, पुनः चक्रण’ (Reduce, Reuse and Recycle (RRR) केंद्र स्थापित किए गए हैं। समर्पित आरआरआर केन्द्रों में लोग कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) और किताबों जैसी अप्रयुक्त वस्तुओं का दान कर सकते हैं। ‘मेरी जिंदगी, मेरा स्वच्छ शहर' अभियान के तहत नगर निगम इन सामानों को सीधे घरों से एकत्र कर रहे हैं ।
इसके अलावा ‘जीवन शैली दिवस’ के अवसर पर, लोगों को टिकाऊ जीवन शैली अपनाने के लाभों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है, जिनमें प्लास्टिक से बचना, टिकाऊ उत्पादों का उपयोग करना, ऊर्जा की खपत को कम करना, और पेड़ लगाना शामिल है। इस दिन राज्य भर के स्कूलों में निबंध लेखन, दीवार चित्रकारी, वाद-विवाद, और चित्रकारी प्रतियोगिताओं जैसी गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही हैं, जो सभी पर्यावरणीय विषयों और टिकाऊ जीवन पर केंद्रित हैं।
इसके अलावा 5 जून तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा, केंद्र के मिशन ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (Lifestyle For Environment (LiFE) पहल के बारे में जागरुकता बढ़ाने, और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मिशन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के सतत और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके अलावा इस मिशन का उद्देश्य लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करना ,और जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तन करके जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाना भी है।
नीति आयोग ने मिशन के तहत 75 गतिविधियों की पहचान की है।
इन गतिविधियों में प्रमुख रूप से निम्न गतिविधियां शामिल हैं:
टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना।
कचरे को कम करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
पानी और ऊर्जा का संरक्षण।
टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देना।
प्रदूषण कम करना।
वनों और जैव विविधता की रक्षा करना।
जलवायु-लचीले विकास को बढ़ावा देना।
राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों, संभागीय आयुक्तों, विभागाध्यक्षों और अन्य अधिकारियों को केंद्र सरकार के मिशन के तहत जिलों और सभी विभागों और संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्हें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पोर्टल (Portal) ‘merilife.org’ पर इन कार्यक्रमों की जियो-टैग (GEO-Tag) की गई तस्वीरों और वीडियो (Video) को अपलोड (upload) करने के लिए भी कहा गया है। मिशन लाइफ को बढ़ावा देने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास वाकई में सराहनीय हैं। इस मिशन में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने और राज्य के लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने कीकी अपार क्षमता है।
संदर्भ
https://rb.gy/t1uvb
https://rb.gy/jt2oz
https://rb.gy/0ekbu
चित्र संदर्भ
1. पर्यावरण जागरूकता अभियान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक महिला सफाई कर्मचारी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. कम उपयोग, पुन: उपयोग, पुनः चक्रण’ को संदर्भित करता एक चित्रण (
Wallpaper Flare)
5. पर्यावरण दिवस क्रियाकलापों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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