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पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण के संदर्भ में, हमारे लखनऊ वासी भी अहम भूमिका निभा रहे है। इसी क्रम में जलीय पारिस्थितिकी के प्रति, आम लोगों में रुचि और जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से, लखनऊ के नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (National Bureau Of Fish Genetic Resources) के परिसर में, पूरे देश से एकत्र की गई, 1,900 विभिन्न प्रजातियों की मछलियों के संग्रह के साथ, राज्य का पहला राष्ट्रीय मछली संग्रहालय और भंडार (National Fish Museum And Repository) खोला गया था। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं, और साथ ही यह भी जानते हैं कि ऐसा करना क्यों जरूरी था?
पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अभाव, आज एक वैश्विक चिंता बन गया है। शायद इसीलिए पर्यावरण शिक्षा भी बेहद अहम् हो गई है, जिसका प्रमुख उद्देश्य पारिस्थितिक तंत्र और प्राकृतिक वातावरण के प्रति जागरूकता फैलाना और टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देना है। हालांकि इस गंभीर मुद्दे के प्रति जागरूकता फ़ैलाने में पुस्तकें ही एकमात्र पर्याप्त साधन नहीं है। किंतु यही पर पर्यावरण और पारिस्थितिकी को समर्पित संग्रहालय, अपने प्रदर्शनों और कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण संबंधी जागरूकता फ़ैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह सामाजिक एकता का भी साधन बन सकते हैं । इस प्रकार के संग्रहालयों को सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत का संरक्षक माना जाता है। ऐसे संग्रहालय बड़ी संख्या में आगंतुकों की भारी भीड़ को भी आकर्षित करते हैं।
चलिए विस्तार से जानते हैं कि संग्रहालय, वास्तव में पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता फ़ैलाने में कैसे योगदान देते हैं?
वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने वाले संग्रहालय: संग्रहालय पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने और जनता को शिक्षित करने के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। आज हमारे सामने आने वाली विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए उनके पास विश्वसनीयता और पर्याप्त संसाधन मौजूद होते हैं। साथ ही संग्रहालय रचनात्मक रूप से जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे विषयों पर प्रकाश डालते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता की व्याख्या: संग्रहालय विविध पृष्ठभूमि से आगंतुकों के लिए, प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता का भी प्रदर्शन करते हैं। प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, जानवरों, पौधों, जीवाश्मों और भूवैज्ञानिक वस्तुओं के जैसे नमूने प्रदर्शित करते हैं। ऐसा करके, वे गैर-औपचारिक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में कार्य करते हैं, जिनका उद्देश्य प्राकृतिक तत्वों को आगंतुकों के लिए सुलभ बनाना होता है।
जागरूकता पैदा करना और आम लोगों को संवेदनशील बनाना: पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और संवेदनशील बनाने में भी संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके तहत वे संग्रहालय के भीतर आगंतुकों के लिए इन-रीच कार्यक्रम (In-Reach Program) तैयार करते हैं, जिसमें निर्देशित पर्यटन और इंटरैक्टिव प्रदर्शन (Interactive Display) शामिल हैं। साथ ही संग्रहालय के बाहर भी आउट-रीच कार्यक्रम (Outreach Program), विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनार (Seminar), मेलों और प्रकृति अध्ययन शिविरों जैसी पहलों के माध्यम से उन लोगों तक पहुँचते हैं जो भौतिक रूप से संग्रहालय नहीं जा सकते। ये कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में जानने, अन्वेषण और भागीदारी के अवसर भी प्रदान करते हैं।
आज की दुनिया में, मानवीय गतिविधियां प्राकृतिक संसाधनों को खतरनाक दर से कम कर रही हैं, जिससे पर्यावरण में गंभीर असंतुलन पैदा हो रहा है। इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए जागरूकता फैलाना और बेहतर रणनीति की योजना बनाना बेहद जरूरी है। ऐसे में प्रकृति को समर्पित संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए, संग्रहालयों को दूरदराज के क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों तक पहुचने का भी प्रयास करना चाहिए। स्कूलों, विश्वविद्यालयों और संग्रहालयों के बीच सहयोग भी, युवाओं को पर्यावरण संकट को समझने और स्थायी समाधानों की दिशा में काम करने में मदद कर सकता है।
हमारा लखनऊ शहर भी पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है। लखनऊ में राज्य का एकमात्र (राष्ट्रीय मछली संग्रहालय और भंडार) एक ऐसी जगह है, जहाँ जाकर कोई भी विभिन्न प्रकार की मछलियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है और उनका अध्ययन कर सकता है। इसका उद्घाटन हाल ही में 14 अप्रैल, 2023 के दिन हुआ था और यह आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (ICAR-National Bureau Of Fish Genetic Resources) के परिसर में स्थित है।यह संग्रहालय पूरे राज्य में, अपनी तरह का पहला संग्रहालय है, जहां इतनी बड़ी संख्या में संरक्षित मछलियों का संग्रह है।
इस संग्रहालय में मछली की कई अलग-अलग प्रजातियों को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें मीठे पानी, समुद्री (खारे पानी) तथा मीठे पानी और खारे पानी के मिश्रण के वातावरण में रहने वाली मछलियां शामिल हैं।
सबसे अच्छी बात यह है कि यह संग्रहालय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों, शिक्षकों और आम जनता के लिए भी खुला है। संग्रहालय में भारत में पाई जाने वाली 1,200 विभिन्न प्रकार की कशेरुकाओं और खोल मछली
की 250 प्रजातियां शामिल हैं। इसमें महत्वपूर्ण आनुवंशिक जानकारी वाले 19,000 मछली के ऊतक के नमूने भी हैं। इसके अतिरिक्त, संग्रहालय में 31 मछली प्रजातियों से क्रायो-संरक्षित मछली के शुक्राणु को संरक्षित किया गया है, जिसका उपयोग प्रजनन उद्देश्यों के लिए या लुप्तप्राय मछली प्रजातियों की रक्षा के लिए किया जा सकता है। कुल मिलाकर लखनऊ की विभिन्न धरोहरों के खजाने में अब एक और हीरा जुड़ गया है, जो न केवल लखनऊ बल्कि पूरे भारत में मछली प्रजातियों से सीखने, अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में काम करेगा। संग्रहालय हमारे समुदायों के कल्याण और सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक वर्ष 18 मई को अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 का अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस "संग्रहालय, स्थिरता और भलाई" के विषय पर केंद्रित होगा। इस विषय के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को सम्बोधित करने, सामाजिक अलगाव को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने जैसे प्रयास किये जायेंगे।
संदर्भ
https://bit.ly/3Wa4Qwq
https://bit.ly/433jS9j
https://bit.ly/3BwrBkH
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ के नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज के परिसर को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. लखनऊ के नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज के कार्यालय को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. प्रकृति को समर्पित संग्रहालय को दर्शाता एक चित्रण (Trawell)
4. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, वियना, ऑस्ट्रिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, वियना, ऑस्ट्रिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय स्टॉकहोम, स्वीडन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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