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भगवान शिव को समर्पित रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम द्वीप पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगो में से एक है। इस मंदिर का विस्तार 12वीं शताब्दी के दौरान पांड्य राजवंश द्वारा किया गया था। जबकि प्रमुख मंदिर के गर्भगृह का जीर्णोद्धार जाफना साम्राज्य के सम्राट जयवीर सिंकैयारियान और उनके उत्तराधिकारी गुनवीर सिंकैयारियान द्वारा किया गया था। रामनाथस्वामी मंदिर का गलियारा भारत के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा है। इसे राजा मुथुरामलिंगा सेतुपति ने बनवाया था। यह मंदिर शैव, वैष्णव अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। पौराणिक लेख, मंदिर के पीठासीन देवता रामनाथस्वामी (शिव) के लिंगम का स्वयं प्रभु राम द्वारा स्थापित होने का दावा करते है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रामसेतु पार करके लंका जाने से पहले यहां लिंगम की स्थापना तथा पूजा की थी। यह मंदिर हिंदू चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, श्रीराम ने श्रीलंका में रावण के विरुद्ध अपने युद्ध के दौरान किए गए किसी भी पाप को दूर करने के लिए यहां शिव से प्रार्थना की थी। पुराणों के अनुसार, संतों की सलाह पर, प्रभु राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ, रावण को मारने के कारण लगे ब्रह्महत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए यहां लिंगम की स्थापना और पूजा की थी। शिव की पूजा करने हेतु, प्रभु राम ने श्री हनुमान को इस लिंगम को हिमालय से लाने का निर्देश दिया था। चूंकि हिमालय से लिंगम लाने में अधिक समय लगा था, इसलिए सीता जी ने समुद्र के किनारे पर रेत से एक लिंगम बनाया बनाया था। माना जाता है कि इस लिंगम को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया था। जबकि, अध्यात्म रामायण में कहा गया है कि प्रभु राम ने लंका तक पुल के निर्माण से पहले ही लिंगम स्थापित किया था।
मंदिर के प्राथमिक देवता लिंगम के रूप में रामनाथस्वामी (शिव) हैं। गर्भगृह के अंदर दो लिंगम हैं - एक प्रभु राम तथा माता सीता द्वारा बालू से बनाया गया, जो मुख्य देवता के रूप में स्थापित है। इसे रामलिंगम कहा जाता है। जिस लिंगम को श्री हनुमान द्वारा कैलाश से लाया गया था, उसे विश्वलिंगम कहा जाता है। मान्यता है कि प्रभु राम ने निर्देश दिया था कि श्री हनुमान द्वारा लाए गए विश्वलिंगम की पूजा पहले की जाए - यह परंपरा आज भी जारी है।
रामेश्वरम में और उसके आसपास चौंसठ तीर्थ पवित्र जल निकाय स्थित हैं। स्कंद पुराण के अनुसार उनमें से चौबीस जल निकाय अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन तीर्थों में स्नान करना रामेश्वरम की तीर्थयात्रा का एक प्रमुख पहलू माना जाता है। इनमें से बाईस तीर्थ (तालाब और कुएँ के रूप में) रामनाथस्वामी मंदिर के भीतर हैं। 22 की यह संख्या राम के तरकश में 22 तीरों को इंगित करती है।
क्या आपको पता है, जब तमिलनाडु गंभीर जल संकट का सामना करता है, तब भी रामनाथस्वामी मंदिर के इन सभी 22 कुओं में पानी होता है? इस वजह से गर्मियों में भी तीर्थयात्रियों के लिए तीर्थ स्नान में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त होता है और तीर्थयात्रियों की संख्या में भी वृद्धि होती है। मंदिर के कुएँ बारहमासी भूजल धाराओं द्वारा भरे रहते हैं। यह एक चमत्कार की तरह ही है। सभी कुओं के पानी का स्वाद भी अलग होता है, कुछ कुओं का पानी मीठा होताहै, तो कुछ कुओं का पानी थोड़ा खारा होता हैं। तीर्थयात्री इन कुओं के पानी को पवित्र मानते हैं और इसलिए वे अपने साथ इस पानी को बोतलों में भर कर ले जाते है।
हालांकि आज देश भर के सभी धार्मिक स्थलों पर तीर्थ यात्रियों के लिए पानी की उपलब्धता एक प्रमुख मुद्दा है । क्या आप जानते है, कैसे और किस हद तक धार्मिक पर्यटन धार्मिक स्थलों की जल सुरक्षा को प्रभावित करता है? उदाहरण के लिए हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित तीर्थनगरी वृंदावन में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या सबसे अधिक है और तेजी के साथ बढ़ रही है। किंतु दूसरी तरफ यहां सबसे तेजी से वार्षिक वर्षा में कमी भी आ रही है, जिसके कारण शहर में जल की कमी होना आम बात है। 2019 में वृंदावन में आने वाले वार्षिक तीर्थयात्रियों की संख्या लगभग 16 दशलक्ष थी। इतनी अधिक संख्या में तीर्थयात्रियों के आने पर यदि पर्यटन क्षेत्र के इस विस्तार को समय रहते ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया तो पर्यावरणीय क्षति और जल सुरक्षा के मुद्दे गंभीर रूप ले सकते हैं।
यह पाया गया है कि वृंदावन में आगंतुकों की उच्च संख्या पानी की मांग में वृद्धि करके शहर की जल सुरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है; जिसे शहर पहले से ही अपनी स्थानीय आबादी के लिए पूरा करने में असमर्थ है। इसके अलावा, धार्मिक पर्यटन वाहित मल और अपशिष्ट प्रणाली पर अत्यधिक दबाव उत्पन्न करता है, जो सतह के जल और भूजल प्रदूषण को बढ़ाता है। इससे पानी की उपलब्धता में कमी आती है। आज शहर से होकर गुजरती यमुना नदी भी अत्यधिक प्रदूषित हो गई है। बढ़ते दबाव के कारण शहर ने तेज दर से अपने भूजल भंडार का दोहन करना शुरू कर दिया है।
धार्मिक पर्यटन के कारण पानी की उपलब्धता में कमी वृंदावन के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों के लिए यह एक मुख्य समस्या है, चूंकि अनियमित और कुप्रबंधित पर्यटन, जल सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और सतत विकास लक्ष्यों को खतरे में डाल सकता है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया जाता है कि वे पर्यटन क्षेत्र को बेहतर ढंग से विनियमित करें, स्थायी पर्यटन प्रथाओं को प्रोत्साहित करें और साथ ही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करें, जिनका उद्देश्य वृंदावन सहित अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों की दीर्घकालिक जल सुरक्षा को बढ़ाना हो।
चित्र संदर्भ
1. रामनाथस्वामी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. समुद्रतट के निकट रामनाथस्वामी मंदिर, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रामेश्वरम लिंगम को दर्शाता एक चित्रण (Collections - GetArchive)
4. अग्नि तीर्थम, पवित्र स्नान के लिए रामेश्वरम के सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थों में से एक है। को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. वृंदावन को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
संदर्भ
https://bit.ly/3prADg1
https://bit.ly/3NZKUdG
https://bit.ly/3NTo2wl
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