City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1666 | 591 | 2257 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
हाल ही में एक खबर खूब चर्चा में रही कि, जनसंख्या के आधार पर भारत, हमारे पड़ोसी मुल्क चीन को पछाड़कर दुनियां में, सबसे घनी आबादी वाला देश बन गया है। वास्तव में यह खबर अच्छी और बुरी दोनों है! अच्छी इसलिए है, क्योंकि भारत की अधिकांश आबादी अपेक्षाकृत युवा है। इस प्रकार भारत में कामकाजी उम्र के लोग अधिक हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं। लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है, जिसके अनुसार इस विशाल जनसंख्या की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए, देश के मौजूदा संसाधनों पर भारी दबाव भी पड़ेगा। इस समस्या का एक उपाय यह हो सकता था कि, हम संसाधनों की आपूर्ति के लिए दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता बढ़ा दें। हालांकि यह सौदा महंगा होने के साथ-साथ, अनिश्चित भी है! किंतु संसाधनों की कमी से जुड़ी इस समस्या को क्षुद्रग्रह खनन (Asteroid Mining) नामक, एक शानदार तरकीब से सुलझाया जा सकता है, जिसके परिणाम स्वरूप “सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।”
चलिए जानते हैं कि ऐसा कैसे होगा?
दरसल ‘क्षुद्रग्रह खनन’, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत बाहरी अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रहों और अन्य छोटे ग्रहों से कच्चा माल (Raw Material) निकाला जाता है। इस कच्चे माल को पृथ्वी पर लाकर, उससे जरूरी समान बनाया जा सकता है। इस प्रकार के खनन’ में (धातु, पानी और यहां तक कि ईंधन सहित कई अन्य जरूरी संसाधनों) की भारी आपूर्ति प्रदान करने की क्षमता है। 2008 में एंड्रयू स्टील (Andrew Steele) और मार्क फ्राइज़ (Mark Fries) नाम के, दो वैज्ञानिकों ने (अलेंदे (Allende) और Que 94366) नामक दो विशेष उल्कापिंडो (Meteorites) की चट्टानों का अध्ययन किया। इन उल्कापिंडों का निर्माण, लगभग 4.5 बिलियन (4.5 Billion) वर्ष पहले शुरू हुआ था।
वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों के अंदर, "कैल्शियम-एल्यूमीनियम समृद्ध समावेशन (Calcium-Aluminum-Rich Inclusions)" या संक्षेप में सीएआई (CAIS) नामक, एक रोचक तत्व को खोजा। सीएआई का निर्माण केवल अत्यधिक उच्च तापमान, (लगभग 2,000 डिग्री सेल्सियस) पर ही हो सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने इनमें ग्रेफाइट सामग्री (Graphite Material) की छोटी सुइयों की भी खोज की। ये सुइयाँ इतनी छोटी होती हैं कि इन्हें "ग्रेफाइट मूंछ (Graphite Mustache)" कहा जाता है। इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय में खूब चर्चा बटोरी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन ‘ग्रेफाइट मूंछों’ के अस्तित्व की भविष्यवाणी, दो बेहद बुद्धिमान वैज्ञानिकों द्वारा पहले ही की जा चुकी थी। उनमें से एक फ्रेड हॉयल (Fred Hoyle) नामक अंग्रेज वैज्ञानिक थे और दूसरे, जयंत नार्लीकर (Jayant Narlikar) नाम के एक होनहार भारतीय छात्र थे। 2016 में, चैतन्य गिरि नाम के एक अन्य वैज्ञानिक भी, इन दो उल्कापिंडों को करीब से देखने और उनका अध्ययन करने के लिए वाशिंगटन डीसी (Washington DC) पहुंचे। उन्होंने पाया कि ग्रेफाइट मूंछें वास्तव में, ग्रेफीन (Graphene) नामक एक अत्यंत पतली सामग्री से बनी होती हैं। ग्रेफीन छोटे हेक्सागोन (Hexagons) से बना होता है, जहां प्रत्येक कोने में कार्बन परमाणु होता है। आसान भाषा में आप बस इतना समझ सकते हैं, कि यह सामग्री उद्योग जगत में क्रांति ला सकती है।
चैतन्य गिरि ने स्टील और फ्राइज़ के साथ मिलकर, अपनी खोज से जुड़ा एक लेख प्रकाशित किया। उन्हें इस बात के भी प्रमाण मिले कि, “उल्कापिंडों में ग्रेफीन, कार्बन के एक विशेष भंडार से आया था, जो सूर्य के बनने के समय भी मौजूद था।”
गिरि के अनुसार, भारत को क्षुद्रग्रहों और चंद्रमा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रह और धूमकेतु जैसे विभिन्न खगोलीय पिंडों में हमें प्रचुर मात्रा में कार्बन मिल सकता है। हालांकि गिरि का मानना है कि, ‘ इन संसाधनों को हासिल करने में हमें कुछ समय लग सकता है, इसलिए हमें उनका अध्ययन करना शुरू कर देना चाहिए।’ साथ ही चांद पर केवल हीलियम-3 (Helium-3) खोजने के बजाय हमें, विशाल अंतरिक्ष में अन्य कीमती सामग्रियों की भी तलाश करनी चाहिए। उल्कापिंडों में ग्राफीन की मौजूदगी की खोज से यह स्पष्ट हो गया है कि, ‘ऊपर अंनंत अंतरिक्ष में भारी मात्रा में बेशकीमती धातुएं तैर रही हैं।’
अंतरिक्ष धातुओं के खनन के संदर्भ में, कैलिफोर्निया (California) स्थित एक स्टार्टअप कंपनी (Startup Company) एस्ट्रोफोर्ज (Astro Forge) ने एक रोमांचक घोषणा की है कि, ‘वह लोग पृथ्वी के पास के एक क्षुद्रग्रह से, कई दुर्लभ खनिजों को निकालने के लिए, 2023 में दो मिशन शुरू करने की योजना बना रहे हैं।’ इस घोषणा को क्षुद्रग्रह खनन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
क्षुद्रग्रह खनन से (Platinum-Group Metals (PGMS), इरिडियम (Iridium), ऑस्मियम (Osmium), पैलेडियम (Palladium), प्लैटिनम (Platinum), रोडियम (Rhodium) और रूथेनियम (Ruthenium) जैसे बेशकीमती खनिज निकल सकते हैं। वर्तमान में, ये खनिज मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका (South Africa), साइबेरिया (Siberia), संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) और कनाडा (Canada) की खानों से प्राप्त किए जाते हैं। अपने मिशन के तहत एस्ट्रोफॉर्ज ने, सबसे पहले पृथ्वी की निचली कक्षा में दो रोटियों के आकार के एक छोटे से क्यूबसैट (Cubesat) को लॉन्च (Launch) करने की योजना बनाई है। यह क्यूबसैट, शून्य-गुरुत्वाकर्षण वातावरण में भी निष्कर्षण प्रक्रिया (Extraction Process) को अंजाम दे सकता है। इसके बाद एक दूसरा मिशन (Mission) शुरू होगा, जिसके तहत एक विशिष्ट अंतरिक्ष यान, क्षुद्रग्रह की संभावना के लिए 8- से 11 महीने की यात्रा शुरू करेगा। यह मिशन भविष्य में खनन कार्यों के लिए क्षुद्रग्रह की सतह और संभावित लैंडिंग स्थलों (Potential Landing Sites) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करेगा। हालांकि ये संभावनाएं, कई चुनौतियों के साथ आती हैं और इसके लिए हमें जरूरी तकनीकी प्रगति तथा पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होगी।
इस संबंध में भारत के लिए भी एक बहुत अच्छी खबर है! हमारे पास अविश्वसनीय रूप से आर्थिक लाभ कमाने का एक सुनहरा अवसर है। दरसल बृहस्पति और मंगल के बीच, 16 मानस (16 Manas) नामक एक विशाल क्षुद्रग्रह है, जिसके बारे में यह माना जाता है, कि इसका अधिकांश हिस्सा लोहे और निकल (Nickel) से बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि "पूरी तरह से धातु के क्षुद्रग्रह की कीमत 14,200 क्वाड्रिलियन डॉलर (Quadrillion Dollars) हो सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, ‘यह कीमत पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य (88 ट्रिलियन डॉलर) से भी कई गुना अधिक है।’ यह एक ऐसा अवसर है, जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हालांकि कुछ अमेरिकी वैज्ञानिक यह मान के चले हैं कि, इसका खनन करना तकनीकी रूप से असंभव है। लेकिन, भारत अपने होनहार वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ मिलकर, इस सुनहरे अवसर का लाभ उठा सकता है। हम आने वाले समय में क्षुद्रग्रह खनन के क्षेत्र में पूरी दुनियां का नेतृत्व कर सकते हैं, और अपने देश का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। आज जबकि पूरी दुनिया विभिन्न प्रयासों व्यस्त है, ऐसे में भारत को चुपचाप और होशियारी से इस विशाल क्षुद्रग्रह से लोहे का खनन शुरू कर देना चाहिए है। हालांकि यह एक महंगा सौदा है, लेकिन हमारे पास ऐसा करने के लिए कौशल और दृढ़ संकल्प दोनों है। हमारे लिए जरूरी है कि हम इस अवसर का लाभ उठाएं और भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करें।
संदर्भ
https://bit.ly/42F1nZ5
https://bit.ly/3Bna8Lm
https://bit.ly/42xPSCB
चित्र संदर्भ
1. क्षुद्रग्रह खनन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. आसमान में तैरते क्षुद्रग्रह, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हीरे और ग्रेफीन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जयंत नार्लीकर जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. क्षुद्रग्रह खनन को दर्शाता एक चित्रण (Store norske leksikon)
6. अंतरिक्ष में तैरते दो क्षुद्रग्रहों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.