Post Viewership from Post Date to 16-Jun-2023 30th day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1660 475 2135

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

नई पीढ़ी की नर्सिंग शिक्षा में किसे विकसित करना है महत्वपूर्ण:भावनात्मक या कृतम बुद्धिमत्ता?

लखनऊ

 12-05-2023 09:30 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

आज 12 मई के दिन को पूरी दुनिया में ‘अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ (International Nurses Day (IND) के तौर पर मनाया जाता है, आज का दिन विशेष तौर पर समाज में उपचारिकाओं अर्थात नर्सों की अहमियत और उनके द्वारा किये गए सामाजिक योगदान को चिह्नित करता है। आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक, फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की जयंती 12 मई को पड़ती है। जनवरी 1974 में इसी दिन को हर वर्ष, ‘अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाने के लिए चुना गया था। यह दिन नर्सिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत के रूप में भी काम करता है। आज के इस ख़ास दिवस पर हम भारत में नर्सिंग शिक्षा को बढ़ावा देने वाली विभिन्न योजनाओं तथा नर्सिंग शिक्षा से जुड़ी प्राथमिक चुनौतियों का अवलोकन करेंगे। भारत में बढती जनसँख्या (विशेषतौर पर बच्चों और बुजुर्गों की) के कारण, स्वास्थ्य सेवा उद्योग (Healthcare Industry) भी तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्र, अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़-चढ़कर निवेश कर रहे हैं। नर्सें स्वास्थ्य सेवा में अहम भूमिका निभाती हैं और अस्पतालों की रीढ़ मानी जाती हैं। इसलिए भारत में नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे मरीजों को अच्छी देखभाल मिल सके और नई नर्सें नवीनतम ज्ञान और कौशल सीख सकें। नर्सिंग पेशे को आकर्षक एवं मजबूत बनाने के लिए हमें नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की भी जरूरत है।
नर्सें तीन प्रकार की होती हैं:
सहायक नर्स और मिडवाइव्स (Auxiliary Nurses And Midwives (ANM)
जनरल नर्स और मिडवाइव्स (General Nurses And Midwives (GNM)
ग्रेजुएट नर्स (Graduate Nurses), जिन्होंने ‘बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग’ (Bachelor Of Science In Nursing) में चार साल की स्नातक डिग्री पूरी की होती है।
आज स्नातक नर्सों की मांग न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी बढ़ रही है। हाल के वर्षों में, स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी (Healthcare Technology) में बहुत प्रगति हुई है। इसलिए अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों को, इन नई तकनीकों के बारे में जानने और अपने रोगियों की देखभाल करने के लिए उन मशीनों का उपयोग करने का गुण सीखने की आवश्यकता है। भारत में वर्तमान में 1.06 लाख एमबीबीएस सीटों (MBBS Seats) की तुलना में केवल 1.18 लाख ही बीएससी नर्सिंग सीटें (BSC Nursing Seats) हैं। ‘ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी’ (Rural Health Statistics 2020-21) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और बिहार सहित कई राज्यों में खाली नर्सिंग पदों की अच्छी खासी संख्या (लगभग 50%) है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (Community Health Centers (CHC) में 30% से अधिक और बिहार में 60% से अधिक रिक्तियां हैं। समय के साथ भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है, जो कि 22% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate) से बढ़ रहा है। मौके की नजाकत को समझते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee On Economic Affairs) ने 24 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों (Nursing Colleges) की स्थापना को मंजूरी दी है। ये नर्सिंग कॉलेज, मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-स्थापित किए जाएंगे, और यहां से सालाना लगभग 15,700 नर्सिंग स्नातक निकलेंगे। इस निवेश का उद्देश्य भारत में नर्सों की बढ़ती मांग को पूरा करना और देश के युवाओं को बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम सहित, नर्सिंग में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना है। इसके अलावा, इस योजना का लक्ष्य पूरे देश में सस्ती और समान नर्सिंग शिक्षा प्रदान करके नर्सिंग पेशेवरों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाना भी है। यह घोषणा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरे देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centers (PHCS) में 28% और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (Community Health Centers (CHC) में 23% खाली पदों के साथ नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है। इस परियोजना में केंद्र सरकार 1570 करोड़ रुपये का वित्तीय योगदान प्रदान करेगी। इसके अलावा, इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भौगोलिक और ग्रामीण-शहरी असंतुलन को दूर करना भी है, जिसके परिणामस्वरूप नर्सिंग पेशेवरों का वितरण असमान बना हुआ है। वर्तमान में, कुछ राज्यों में नर्सिंग महाविद्यालयों की संख्या अधिक है, जबकि कुछ अन्य राज्यों में बहुत कम नर्सिंग महाविद्यालय हैं, या एक भी नहीं है। वर्तमान में, भारत में 5,324 नर्सिंग संस्थान हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में देश के 40% नर्सिंग महाविद्यालय हैं। जबकि, 13 राज्यों में एक भी नर्सिंग महाविद्यालय नहीं है। बिहार में केवल 2 सरकारी नर्सिंग महाविद्यालय हैं, जबकि अन्य 10 निजी हैं। इसलिए नए महाविद्यालय इस अंतर को पाटने में मदद करेंगे। इसके अलावा यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि भारत में वर्तमान में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 1.7 चिकित्सा कर्मचारी (चिकित्सक, नर्स और दाइयों सहित) हैं, जबकि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization (WHO) पर्याप्त प्राथमिक देखभाल के लिए 1,000 लोगों पर कम से कम 2.5 चिकित्सा कर्मचारियों की सिफारिश करता है। इस असंतुलन को दूर करने की जरूरत है और ये नए नर्सिंग महाविद्यालय इस खाई को पाटने में मदद करेंगे। इन नर्सिंग महाविद्यालयों को मौजूदा मेडिकल महाविद्यालयों के साथ सह-स्थापित करने के सरकार के फैसले से बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं और प्राध्यापक मंडली (Faculty) सहित संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग होगा। इससे नर्सिंग छात्रों को बेहतर नैदानिक अनुभव भी प्राप्त होंगे, जिससे रोगियों की देखभाल और सेवाओं में भी सुधार होगा। इस पहल का उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को बीएससी नर्सिंग करने के लिए आकर्षित करना और भारतीय नर्सों की विदेश जाने की आवश्यकता को कम करना भी है। वर्तमान में, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom), संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America), ऑस्ट्रेलिया (Australia), कनाडा (Canada) और खाड़ी देशों में हजारों भारतीय नर्सें काम कर रही हैं। जिससे हमारे देश में एक खाई पैदा हो जाती है। इसलिए, नर्सों की मांग को पूरा करना महत्वपूर्ण है। भारत में नर्सिंग शिक्षा से जुड़ी कई अन्य चुनौतियाँ भी हैं, जो इसके मानकीकरण और प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं। देश भर में गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।उदाहरण के लिए :
१.नर्सिंग पाठ्यक्रमों में मानकीकरण का अभाव: भारत में नर्सिंग पाठ्यक्रमों में एकरूपता का अभाव है। उदाहरण के तौर पर, कुछ राज्य गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा प्रदान करते हैं, जबकि अन्य अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में हैं। कुछ राज्य, नर्सिंग शिक्षा में आज भी डिप्लोमा (Diploma) पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करते हैं, लेकिन कई निजी कॉलेज, डिप्लोमा और डिग्री (Degree) दोनों प्रदान करते हैं। नर्सिंग शिक्षा की यह कमी इसकी समग्र प्रगति और गुणवत्ता को बाधित करती है।
२. मूल अस्पतालों का अभाव: कई नर्सिंग कॉलेजों, विशेष रूप से निजी कॉलेजों में मूल अस्पतालों का अभाव होता है, जिसके कारण छात्र व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाते हैं। छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और वास्तविक जीवन के अनुभव प्रदान करने के लिए नर्सिंग कॉलेजों के स्वामित्व वाला अस्पताल होना आवश्यक है। ये अनुभव छात्रों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने, उनके कौशल को निखारने और उन्हें उनके भविष्य के अभ्यास के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। नर्सिंग कॉलेजों में अस्पतालों का न होना एक बड़ी कमी है।
३.अपर्याप्त मानक प्रवेश परीक्षाएँ: यद्यपि सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ (National Eligibility cum Entrance Test (NEET) जैसी मानकीकृत प्रवेश परीक्षाएं होती हैं, जबकि निजी नर्सिंग संस्थानों में छात्रों को प्रवेश प्राप्त करने के लिए कोई मानक चयन प्रक्रिया नहीं होती है। इसलिए ‘भारतीय नर्सिंग परिषद’ (Indian Nursing Council (INC) देश में शिक्षा और अभ्यास मानकों को बढ़ाने के उद्देश्य से नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए एक पाठ्यक्रम की सिफारिश करती है।
४. अस्पतालों और नर्सिंग संस्थानों में अपर्याप्त कर्मचारी: कई नर्सिंग संस्थान योग्य कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहे हैं। कुछ मामलों में, नर्सिंग संस्थानों के शिक्षकों में प्रगतिशील दृष्टिकोण, शोध कौशल और छात्रों को प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन करने की क्षमता की कमी होती है। इसके अलावा, दवाखानों (Clinics), अस्पतालों और मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों (Multi-Speciality Hospitals) में काम करने वाले अनुभवी कर्मचारियों को नर्सिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वे जागरूकता बढ़ाने या उनके बारे में लिखने या बोलने में संकोच करते हैं।
५. नई पीढ़ी (Gen-Z) की जीवन शैली में असमानता: नर्सिंग छात्रों की वर्तमान पीढ़ी, जिसे जेन-जी (Gen-Z) के नाम से जाना जाता है, तकनीकी रूप से उन्नत दुनिया में पली-बढ़ी है। जेन-जी लोग रचनात्मक तथा सामाजिक रूप से जुड़े हुए और यथार्थवादी विचारों को महत्व देते हैं। इसलिए पुराने पाठ्यक्रम के माध्यम से वही पुरानी और घिसी पिटी प्रक्रियाओं से पढ़ाना जो अब आमतौर पर नर्सिंग में अभ्यास नहीं किया जाता है, अप्रभावी साबित हो रहा है। इसलिए उनकी सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें प्रासंगिक, व्यावहारिक और नवीन अवधारणाओं को पढ़ाना आवश्यक है। इन कारणों को दूर करके और उचित रणनीति को लागू करके, भारत में नर्सिंग शिक्षा को मजबूत किया जा सकता है, नर्सों को बेहतर अवसर प्रदान किया जा सकता है और भविष्य के लिए सक्षम और कुशल नर्सें तैयार की जा सकती हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/41kFpZZ
https://bit.ly/3LPAWZn
https://bit.ly/3LRa6jN

चित्र संदर्भ
1. एक छोटे बच्चे की जांच करती नर्स को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. नर्सों की ट्रेनिंग क्लास को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. नर्सिंग छात्राओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय नेवी में एक महिला चिकित्सक को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
5. स्कूल में डेंटल प्रोजेक्ट को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
6. मुंबई भारत के पीडी हिंदुजा अस्पताल में नर्सों के साथ पोज़ देते डेनियल ओरथर, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id