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मध्य भारत के बैगा जनजाति की 82 वर्षीय जोधैया बाई को मिली चित्रकारी में अन्तराष्ट्रिय प्रसिद्धि

लखनऊ

 10-05-2023 09:00 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

प्राचीन समय से ही भारतीय लोग चित्रकला में रुचि रखते हैं। यदि देखा जाए, तो कई ऐतिहासिक गुफाओं में भी ऐसे कई अद्भुत चित्रों को खोजा गया है, जो हमें इस बात का प्रमाण देते हैं कि भारतीयों में चित्रकारी का जनून हमारे पूर्वजों से ही प्राप्त हुआ है। प्राचीन कलाकारों द्वारा अपनी कला के माध्यम से या तो अपने जीवन की कहानियों को बताने की कोशिश की जाती थी, या वे अपने आस पास के मनोहर प्रकृति को दर्शाते थे, और आज भी कला के क्षेत्र में ऐसा ही वर्तमान कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। क्योंकि कला एक ऐसी अभिव्यक्ति है, जो मानव को बिना किसी बाधा के खुलकर अपने दिल की बातों को चित्रित करने में मदद करती है। साथ ही चित्रकारी एक ऐसा अनोखा कौशल है जो यदि लगन के साथ किया जाए, तो किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा सीखा जा सकता है, इसका प्रसिद्ध उदाहरण मध्य प्रदेश के उमरिया जिले की जोधैया बाई बैगा हैं। लकड़ी और गोबर के उपले बेचकर घर चलाने वाली जोधैया बाई बैगा ने 69 वर्ष की उम्र में चित्रकला सीखना शुरू किया और अब 82 वर्ष की उम्र में, वह अपने काम के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। हालांकि इससे पहले उनकी कला के प्रति कोई रुचि नहीं थी। लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद जब उन्हें पता चला कि उनके गाँव में बिना किसी शुल्क के कला सिखाई जा रही है, तो उन्होंने अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए कला विद्यालय से कला सीखने की राह को चुना और अपने परिवार के साथ उन्होंने शांतिनिकेतन के पूर्व छात्र और दिवंगत कलाकार आशीष स्वामी जी की कक्षा में दाखिला ले लिया, जहां जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि जोधैया बाई के पास एक असाधारण प्रतिभा है। जोधैया बाई की कलाकृतियों में अधिकतर उनके चारों ओर मौजूद जंगलों की आकृतियाँ ही शामिल हैं, जिनको उभारने के लिए उन्होंने रंगों का अविश्वसनीय रूप से उपयोग किया है। उनकी कलाकृतियों में बाघ, बागेश्वर, या बाघ देवता, जो उन्हें और उनकी भूमि को जंगली सूअरों और भेड़ियों से बचाते हैं, बार-बार दिखाई देते हैं। लेकिन अपने चित्रों में उनके द्वारा सबसे अधिक महत्व महुआ (Mahua) के पेड़ को दिया गया है जिसे वह अपने दिल के सबसे करीब मानती हैं, और वह अपने काम में भी इस पेड़ के प्रति इस स्नेह को प्रदर्शित करना पसंद करती हैं। आज 13 वर्षों की मेहनत और लगन के बाद 82 वर्ष की उम्र में उनकी कला उन्हें प्रसिद्धि और सफलता की ऊंचाइयों तक ले जा रही है। वर्तमान में उनका काम मिनहाज मजूमदार द्वारा सजाए गए और क्राइट्स संग्रह (Crites Collection) से लिए गए 'भूमिजन' प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में केंद्रीय रूप से प्रदर्शित है। तथा यह उनकी पहली बड़ी समूह प्रदर्शनी है। उनके काम की गुणवत्ता की तुलना महान गोंड कलाकार जनगढ़ सिंह श्याम से भी की जाती है। इन वर्षों में, उन्होंने मध्यम चित्रफलक, कागज, नक्काशीदार लकड़ी आदि पर चित्रकारी करना सीखा है। और अब वे छोटे से लेकर 7x7 फीट तक के बड़े चित्रफलक पर चित्रकारी कर लेती हैं। उनकी चित्रकारी को इटली (Italy) के मिलान (Milan) में होने वाली प्रदर्शनी में भी दिखाया गया है। आज उनका काम आश्चर्यजनक मौलिकता के साथ एक शक्तिशाली कलात्मक दृष्टि और उल्लेखनीय प्रामाणिकता प्रदर्शित करता है। चित्रकारी में उनकी रंग और आकृति की समझ अलग है लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि जनगढ़ के बराबर है। वहीं जोधैया बाई को आदिवासी कला को संरक्षित करने और इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए कला के क्षेत्र में ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से भी नवाजा गया है। क्योंकि वे दशकों से अपने चित्रों के माध्यम से पारंपरिक बैगा आदिवासी संस्कृति और दर्शन को लोकप्रिय बना रही हैं। गौरतलब है कि 8 मार्च 2022 को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनके असाधारण कार्य के लिए जोधैया बाई बैगा को 'नारी शक्ति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया था। बैगा जनजाति मध्य भारत में रहने वाली ऐसी जनजाति है जो मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, और झारखंड के आसपास के राज्यों में निवास करती है। बैगा जनजाति की सबसे बड़ी आबादी, मंडला जिले के बैगा-चौक और मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में पाई जाती है। बैगा आदिवासियों की संस्कृति किंवदंतियों और मिथकों से समृद्ध है जो एक मौखिक परंपरा के रूप में पीढ़ियों से विरासत में मिली हैं। इन किंवदंतियों में बैगा जनजाति की उत्पत्ति के विषय में बताया गया है। परन्तु बैगा जनजाति के उत्पत्ति के संबंध में कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। मध्य प्रदेश की इस रहस्यमय बैगा जनजाति का पहला प्रलेखित संदर्भ 1867 की ब्रिटिश सेना (British Army) की रिपोर्ट में मिलता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3HAH1HT
https://bit.ly/40Zo0WB
https://bit.ly/40TlT6J

चित्र संदर्भ
1. बैगा जनजाति की 82 वर्षीय जोधैया बाई को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
2. जोधैया बाई की कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
3. जोधैया बाई की जीवंत कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
4. पद्म श्री जोधैया बाई बैगा जी को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)



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