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भारतीय संस्कृति में आपको मौसम, धन, स्वास्थ्य अथवा सुख-समृद्धि के लिए, कोई न कोई समर्पित देवता अवश्य दिखाई देंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुमेरियन संस्कृति (Sumerian Culture) में भी बसंत ऋतु और युद्ध को समर्पित, निन-गिरसु (Ningirsu) नामक एक देवता मौजूद थे। जिनके बारे में आज हम विस्तार से जानेगे।
निन-गिरसु जिन्हें निनुरता (Ninurta) के नाम से भी जाना जाता है, मेसोपोटामिया संस्कृति (Mesopotamian Culture) में एक प्राचीन देवता थे। वह खेती, चिकित्सा, शिकार, कानून और युद्ध से जुड़े हुए देवता थे। शुरुआती सुमेरियन उन्हें कृषि और चिकित्सा का देवता मानते थे, जो लोगों की बीमारी तथा राक्षसों से रक्षा करते थे। बाद में, वह युद्ध के देवता भी बन गए।
कई लोगों का मानना था कि वह एनलील (Enlil) (एक प्राचीन मेसोपोटामियन देवता, जो हवा, पृथ्वी और तूफान से जुड़े हुए हैं।) के पुत्र थे। मेसोपोटामिया की प्राचीन भूमि में लोग निन-गिरसु का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक विशेष प्रतीक, "हल" का उपयोग करते थे। हल जमीन पर खेती करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला औजार होता है।
लोगों का मानना था कि निन-गिरसु खेती और कृषि के देवता थे, इसलिए उनके प्रतीक के रूप में हल का उपयोग करना उचित था। हल के अलावा, निन-गिरसु का प्रतिनिधित्व करने के लिए “बसेरे पर बैठे एक पक्षी” का भी इस्तेमाल किया जाता था। निन-गिरसु को निप्पुर (Nippur) शहर के एशुमेशा मंदिर (Ashumesha Temple) में कृषि के देवता और मुख्य-देवता एनिल के पुत्र के रूप में पूजा जाता था। निन-गिरसु अपने आक्रामक और युद्धप्रिय व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। एक शानदार योद्धा के रूप में निन-गिरसु की प्रतिष्ठा ने उन्हें अश्शूरियों के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया।
मेसोपोटामिया संस्कृति में निनिर्सु से जुड़ी कई किवदंतियां प्रचलित हैं। एक लोकप्रिय किवदंती के अनुसार उन्होंने एन (En) (स्वर्ग) को की (Ki) यानी पृथ्वी से अलग करके दुनिया को मनुष्यों के रहने योग्य बनाया। इसके अलावा एक बाढ़ की कहानी में भी उनकी बड़ी भूमिका रही थी, जिसके अनुसार एक बार उन्होंने भारी बाढ़ के बीच ज़्यूसुद्र (Zeusudra) नाम के एक व्यक्ति को अमरत्व देकर बचा लिया। हालांकि कुछ किवदंतियों में उन्हें स्वयं बाढ़ का कारण माना गया है, क्योंकि कहानी के अनुसार एक बार मनुष्य बहुत अधिक शोर कर रहे थे और वह सो नहीं पा रहे थे। इसलिए उन्होंने अपनी शक्तियों से बाढ़ उत्पन्न कर दी।
लगभग 2144 से 2124 ईसा पूर्व के बीच दक्षिणी मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक में -दिन अल-हिबा (Din Al-Hiba) में प्राचीन शहर लगश के शासक गुडेया (Gudeya), युद्ध के देवता निन-गिरसु के एक महान भक्त माने जाते थे। माना जाता है कि अपने शासनकाल में उन्होंने निन-गिरसु के मंदिर का जीर्णोद्धार करने में बहुत अधिक समय और धन खर्च किया। गुडेया ने मंदिर की नींव में कुछ मिट्टी की पटियाएँ भी गाड़ दीं । लोगों को यह पट्टियाँ 1800 के अंत में मिली, जिनमें उनके चार सपने दर्ज थे।
एक तख्ती गुडेया के सपने की कहानी बताती है जिसमें निन-गिरसु ने उन्हें (गुडेया को) मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। सपने में निन-गिरसु ने वादा भी किया था कि मंदिर बन जाने के बाद वह बारिश कराएंगे ताकि फसलें बढ़ें और लोगों के जीवन में समृद्धि आए।
दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में पुरातत्वविदों ने भी दक्षिण पूर्वी इराक में एक 4,500 साल पुराने एक ऐसे मंदिर की खोज की है, जो मेसोपोटामिया के देवता निन-गिरसु को समर्पित था। मिट्टी की ईंट से बना यह मंदिर, प्राचीन शहर गिरसू के केंद्र में था, जिसे अब तेलो (Telo) के नाम से जाना जाता है। मेसोपोटामिया में गिरसू एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र था, जो अब इराक, सीरिया, तुर्की, ईरान और कुवैत का हिस्सा है। सुमेरियन संभवत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता माने जाते हैं जिन्होंने सबसे पहले धर्म और कानून की एक संहिता स्थापित की थी।
फ्रांसीसी पुरातत्वविद् अर्नेस्ट डी सरजक (Ernest De Saraczek) ने पहली बार 1877 में गिरसू के अवशेषों की खोज की, जिसमें सुमेरियन राजा गुडेया की 4,000 साल पुरानी मूर्ति भी शामिल थी, जिसने तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत में इस शहर पर शासन किया था। उसके बाद, लोगों ने सोचा कि खुदाई करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। हालांकि, एक सदी से भी अधिक समय के बाद, ब्रिटिश संग्रहालय (British Museum) के पुरातत्वविदों की टीम ने विशाल मंदिर खोजा है। इसके लिए उन्होंने रिमोट सेंसिंग तकनीकों (Remote Sensing Techniques) का इस्तेमाल किया और यह समझने के लिए डिजिटल एलिवेशन मॉडल (Digital Elevation Models) बनाए कि 19वीं सदी की खुदाई के बाद से परिदृश्य कैसे बदल गया है।
संक्षेप में समझें तो प्राचीन मेसोपोटामिया के देवता निन-गिरसु, कृषि, चिकित्सा, शिकार, कानून और युद्ध से जुड़े एक बहुआयामी देवता थे। वह अपने आक्रामक और जंगी व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे और मेसोपोटामिया की संस्कृति में उनसे जुड़ी कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं। दक्षिणपूर्वी इराक में निन-गिरसु को समर्पित 4,500 साल पुराने मंदिर की खोज, उनसे जुड़ी एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज मानी जाती है, जो सुमेरियन सभ्यता के इतिहास और मान्यताओं को उजागर करती है।
संदर्भ
https://bit.ly/40JfGKl
https://bit.ly/40V44Eo
https://bit.ly/40JfWsN
चित्र संदर्भ
1. निन-गिरसु की 883-859 ईसा पूर्व की छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एनलील (Enlil) (एक प्राचीन मेसोपोटामियन देवता, जो हवा, पृथ्वी और तूफान से जुड़े हुए हैं।) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व की निन-गिरसु छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. गुडेया (Gudeya), युद्ध के देवता निन-गिरसु के एक महान भक्त माने जाते थे। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सुमेरियन, निन-गिरसु के मंदिर से प्राप्त नक्काशीदार पत्थर की कीलाकार पट्टियों को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
6. ‘कालू में निनूर्ता के मंदिर से एक चील के सिर वाली प्रतिमा (निस्रोच) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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