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बढ़ती गर्मी में अपने बेज़ुबान जानवरों को स्वस्थ व् खुशहाल रखने के अनेक प्रयास कर रहा है लखनऊ चिड़ियाघर

लखनऊ

 29-04-2023 10:05 AM
शारीरिक

गर्मी का मौसम आते ही पारा दिन-ब-दिन ऊपर चढ़ता जाता है। ऐसे में जिस प्रकार अत्यधिक गर्मी हमारे लिए घातक होती है, उसी प्रकार यह सभी जानवरों के लिए भी तनाव का कारण बनती है। हालांकि, अगर आपके पास कुछ पालतू जानवर है, तो उन पर उच्च तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए आप कुछ सरल उपायों की सहायता ले सकते हैं। उच्च तापमान में पशुओं को संभालने हेतु एक अच्छी योजना की आवश्यकता होती है। मौसम के पूर्वानुमानों पर नज़र रखना और उच्च से अत्यधिक तापमान वाले दिनों के लिए एक योजना विकसित करना, इसके कुछ पहलू हैं।
हमारे शहर लखनऊ में ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान’ में गर्मी के दौरान यहां के जानवरों को आरामदेह और स्वस्थ रखने के लिए प्रयास चल रहें है। यहां यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि यहां के जानवर अत्यधिक गर्मी के कारण लू लगने से रोगप्रतिरोधक क्षमता में गिरावट से पीड़ित न हों। जानवरों के बाड़ों में ठंडे मौसम या समशीतोष्ण जलवायु को बनाए रखने के लिए अनुकूलित कूलर लगाए जा रहे हैं। बाड़ों के अंदर तापमान को बनाए रखने के लिए खसखस के पर्दे और हरे रंग की जालियां भी प्रयुक्त की गई हैं। पूरे चिड़ियाघर में कई जगहों पर स्प्रिंकलर (Sprinkler) भी लगाए गए हैं। दिन भर में नियमित अंतराल पर ताजे और ठंडे पानी की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाती है। इसके साथ ही प्राणियों के आहार में मौसमी फल और सब्जियां शामिल किए जा रहे हैं। जब मई और जून के महीने में गर्मी अपने चरम पर होगी, तब उनकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने के लिए उनके भोजन में विटामिन (Vitamins) और खनिज (Minerals) की मात्रा को भी बढ़ाया जाएगा। जबकि दूसरी ओर, मांसाहारी जानवरों को खिलाए जाने वाले मांस की मात्रा कम की जाएगी। आमतौर पर 10-11 किलो मांस खाने वाले जानवरों को कुछ किलो ही मांस दिया जाएगा क्योंकि मांस शरीर को गर्म करता है। चिड़ियाघर के प्रबंधन ने पशु चिकित्सालय में किसी भी जानवर को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने की भी व्यवस्था की है।
यह अत्यंत प्रशंसा की बात है कि प्रशासन द्वारा गर्मी के मौसम में इन बेजुबान जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं। इसी प्रकार आप भी अपने घर में पालतु पशुओं या पशुधन का ध्यान रख सकते हैं। आपके पशुओं के लिए स्वच्छ और ठंडे पानी की आपूर्ति तथा छाया का प्रावधान आवश्यक है। पानी के कुंड या पात्र बड़े होने चाहिए और पानी तक सभी जानवरों की पहुंच भी आसान होनी चाहिए। कुंड या पात्रों को बराबर स्थिर किया जाना चाहिए ताकि वे पलट न जाए। साथ ही उन्हें साफ रखना और उनका रखरखाव भी आवश्यक हैं। अत्यधिक गर्मी के प्रकोप से पहले जानवरों को उनके पानी पीने के स्थान से परिचित करा देना चाहिए, ताकि आपकी अनुपस्थिति में जानवर स्वयं पानी पी सके। ध्यान रखें कि पशुओं को पानी के लिए ज्यादा दूर धूप में न जाना पड़े।
अत्यधिक तापमान की अवधि के दौरान जानवरों को उचित आश्रय प्रदान करने की भी आवश्यकता होती है। उचित आश्रय विशेष रूप से बहुत छोटे, बूढ़े या ऐसे जानवरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो बीमार हैं। अत्यधिक गर्मी के दौरान एक अच्छा आश्रय जानवरों को धूप से बचाता है और हवा के शीतलन को बढ़ावा देता है। अत्यधिक गर्मी की स्थिति में जानवरों के आवास और शरीर को ठंडा रखने के लिए हवा का प्रवाह महत्वपूर्ण है। इसलिए आश्रय का प्रकार और स्थान तय करते समय इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए। पशुधन के आवास और कार्यक्षेत्र छायादार स्थानों पर होने चाहिए। सूअर और मवेशियों जैसी कुछ प्रजातियों को ठंडा रखने के लिए पानी के छिड़काव का प्रयोग उपयोगी हो सकता है।
यदि पशुओं के बड़े समूहों को अपर्याप्त या छोटे स्थान पर रखा जाता है, तो अत्यधिक भीड़ के कारण जानवरों का दम घुट सकता है। अतः यह महत्वपूर्ण है कि एक ही समय में सभी जानवरों के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो। जानवरों के आश्रय स्थल में सभी जानवरों के लेटने के लिए भी पर्याप्त स्थान होना चाहिए क्योंकि गर्मी के मौसम में जमीन ठंडी होती है और जमीन पर लेटने से जानवरों को आराम मिलता है। और, आज कल तो आप आसानी से गर्मियों के लिए जानवरों के विशिष्ट आवास और उनके प्रबंधन के बारे में इंटरनेट से जानकारी भी प्राप्त कर सकते है। एक शोध से पता चला है कि, गर्म मौसम के दौरान मवेशियों की आवाजाही से उनके शरीर का तापमान 0.5 से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। उनके शरीर के तापमान में वृद्धि और गर्मी के कारण तनाव से पशुधन के उत्पादन में कमी आ सकती है और सामान्य कार्य करने की उनकी क्षमता पर भी प्रभाव पड़ सकता है। दिन के ठंडे घंटों के दौरान जानवरों को स्थानांतरित करना या संभालना उनके उत्पादन प्रदर्शन पर उच्च तापमान के प्रभाव को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, दुधारू जानवरों से शाम को दूध दुहने में एक घंटे या उससे अधिक की देरी के परिणामस्वरूप प्रति दिन 1.5 लीटर दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
गर्मियों में जानवरों की आवाजाही कम रखनी चाहिए। यदि परिवहन बहुत जरूरी है, तो जानवरों पर गर्मी के प्रभाव को कम करने वाली यात्रा योजना बनानी चाहिए। अपना मार्ग पहले ही निर्धारित करें। छाया और पानी की उपलब्धता के स्थानों को चिह्नित करें। जानवरों को केवल दिन के ठंडे घंटों के दौरान ही बाहर ले जाएं। यदि जानवरों के साथ कहीं बाहर रुकना आवश्यक हो तो कम से कम समय के लिए रुके। विश्राम के दौरान जानवरों के बीच हवा के प्रवाह को बेहतर रखने हेतु वाहन को छाया में और हवा की दिशा के समकोण पर खड़ा करें। जानवरों के बीच अच्छे वायु प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट जगह पर कम से कम जानवरों को रखें। साथ ही, प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के लिए चालकों के पास आकस्मिक प्रबंधन योजनाएँ भी होनी चाहिए।
यदि आपके जानवरों में गर्मी के तनाव के लक्षण दिख रहे हैं तो निम्न उल्लेखित उपाय किए जा सकते हैं-
1. जानवरों को तुरंत छाया में और हवा के प्रवाह में ले जाएं। यदि उन्हें हिलने-डुलने में तकलीफ़ हो रही है, तो उन्हें उठाकर ले जाएं या वे जहां हैं वहां छाया प्रदान करें।
2. उन्हें भरपूर ठंडा एवं साफ पानी दें, लेकिन उन्हें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने के लिए प्रोत्साहित करें। आप उन पर ठंडे पानी से स्प्रे कर सकते हैं या उन्हें पानी में खड़ा कर दें। आप स्प्रिंकलर, गीले तौलिये आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं।
3. उनके चारों ओर हवा का प्रवाह बढ़ाएँ। यह पंखे या वायु संचार को ठीक करके किया जा सकता है।
4. कम से कम पशुओं को एक साथ रखें, जिससे उन्हें लेटने के लिए पर्याप्त स्थान प्राप्त हो।
5. यदि जानवर में सुधार के कोई संकेत नहीं दिखते हैं तो सहायता के लिए शीघ्र ही अपने स्थानीय पशु चिकित्सक से संपर्क करें। आइए जानते हैं, जानवरों की गर्मियों में देखभाल करना क्यों आवश्यक है? हालांकि किसी जानवर के लिए हल्के गर्मी के तनाव का अनुभव करना सामान्य होता है। किंतु कुछ निष्कर्षों के अनुसार दुर्भाग्य से, इन जानवरों को गर्मी के तनाव से दीर्घकालिक स्वास्थ्य क्षति हो सकती है। पक्षियों के चूजे अपनी गतिहीनता, तेजी से विकास और अपरिपक्व शरीर विज्ञान के कारण विशेष रूप से गर्म तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं। गर्मी के तनाव के परिणाम संभावित रूप से युवा पक्षियों में बढ़ जाते हैं क्योंकि यह क्षति वयस्कता में बनी रह सकती है। गर्मी के तनाव का असर उनके डीएनए (DNA) पर भी पड़ सकता है, जिससे वयस्कता में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
जबकि गर्मी के तनाव का पशुओं के उत्पादन और कल्याण पर प्रभाव पड़ता है, कुछ प्रबंधन परिवर्तन तथा उपाय करके और अत्यधिक गर्म मौसम के दौरान अपने जानवरों की थोड़ी अतिरिक्त देखभाल करके, हम जानवरों पर गर्मी के तनाव के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते है।

संदर्भ
https://bit.ly/3mZDw6J
https://bit.ly/3oxQ7i9
https://bit.ly/3N1PtDK

चित्र संदर्भ
1. पानी में नहाते बाघ को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. कुकरैल चिड़ियाघर को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
3. चिड़ियाघर में मोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पानी में नहाते हाथी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. पानी में नहाते मोर को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)



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