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संग्रहालय एक ऐसा संस्थान होता है, जहां कलात्मक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या वैज्ञानिक महत्व की कृतियों और अन्य वस्तुओं का संग्रह किया जाता है तथा उनका प्रदर्शन किया जाता है। संग्रहालय कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें से एक प्रकार जीवनी संग्रहालय भी है। जीवनी संग्रहालय में प्रायः एक व्यक्ति या लोगों के समूह के जीवन से संबंधित वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाता है। इन संग्रहालयों में उनके जीवनकाल से सम्बंधित व्यक्तियों द्वारा एकत्रित वस्तुओं को भी संग्रहित किया गया होता है। कुछ जीवनी संग्रहालय ऐसे हैं, जिन्हें व्यक्ति विशेष के घर या उनसे संबंधित अन्य स्थलों पर ही बनाया गया है। उदाहरण के लिए प्यूर्टो रिको (Puerto Rico), पोंस (Ponce) में कासा पाओली (Casa Paoli) संग्रहालय, बोगोटा (Bogotá), कोलम्बिया (Colombia) में क्विंटा डी बोलिवर (Quinta de Bolívar), रोम (Rome), इटली (Italy) में कीट्स-शेली मेमोरियल हाउस (Keats-Shelley Memorial House) आदि।
भारत में भी ऐसे कई जीवनी संग्रहालय मौजूद हैं, जिनका नाम व्यक्ति विशेष के नाम पर रखा गया है। इन जीवनी संग्रहालयों में अरक्कल संग्रहालय (केरल), गालिब की हवेली (पुरानी दिल्ली), गालिब संग्रहालय (नई दिल्ली), राजा दिनकर केलकर संग्रहालय (पुणे), महाकवि भारथी मेमोरियल लाइब्रेरी (इरोड), नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (नई दिल्ली), नेताजी भवन (कोलकाता), निज़ाम संग्रहालय (हैदराबाद), राजेंद्र स्मृति संग्रहालय (पटना), साबरमती आश्रम (साबरमती), सरस्वती मंदिर (सूरत), शरत चंद्र कुथी (समता), सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक (अहमदाबाद), शंकर मेमोरियल राष्ट्रीय कार्टून संग्रहालय और आर्ट गैलरी (कायमकुलम), स्वामीनारायण संग्रहालय (अहमदाबाद), तीन मूर्ति भवन (नई दिल्ली), वेंकटप्पा आर्ट गैलरी (बेंगलुरु) और विवेकानंदर इल्लम (चेन्नई) शामिल हैं।
लगभग 4 साल पहले, हमारे लखनऊ शहर में भीजयप्रकाश नारायण और उनके शिष्य, राममनोहर लोहिया और उनका अनुसरण करने वाले अन्य समाजवादियों के सम्मान में एक अद्वितीय आधुनिक संग्रहालय का शुभारंभ किया गया था। क्या आप कभी वहां गए हैं तथा क्या आप जानते हैं कि जयप्रकाश नारायण कौन थे? तो आइए, आज जयप्रकाश नारायण और लखनऊ में स्थित उनके व्याख्या केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
जयप्रकाश नारायण, जिन्हें “जेपी” या “लोक नायक” के रूप में भी जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी और राजनीतिक नेता थे। उन्हें 1970 के दशक के मध्य में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसके लिए उन्होंने "सम्पूर्ण क्रांति" का भी आह्वान किया था। उनकी जीवनी “जयप्रकाश” उनके राष्ट्रवादी मित्र और हिंदी साहित्य के लेखक रामबृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखी गई थी। उन्हें 1965 में लोक सेवा के लिए ‘मैग्सेसे पुरस्कार’ दिया गया था। इसके अलावा 1999 में, उन्हें उनकी समाज सेवा के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया ।
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार राज्य के बलिया जिले के सीताबदियारा गांव में हुआ था। उनका घर बाढ़ प्रभावित घाघरा नदी के किनारे पर स्थिति था। हर बार जब नदी उफनती थी, तो घर को थोड़ा बहुत नुकसान पहुंचता था, अंत में परिवार को कुछ किलोमीटर दूर एक बस्ती में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे अब जय प्रकाश नगर के रूप में जाना जाता है और यह नगर उत्तर प्रदेश में पड़ता है। जब नारायण 9 साल के थे, तब उन्होंने पटना के ‘कॉलेजिएट स्कूल’ की सातवीं कक्षा में दाखिला लेने के लिए अपना गाँव छोड़ दिया था। जेपी एक छात्रावास-सरस्वती भवन-में ठहरे थे जहां वे बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिन्हा और कई अन्य सहित प्रभावशाली व्यक्तियों के संपर्क में आए। 1919 के ‘रोलेट एक्ट’ (Rowlatt Act) के खिलाफ गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के बारे में मौलाना अबुल कलाम आजाद के भाषण से वे अत्यधिक प्रभावित हुए जिसने उनके आंतरिक अस्तित्व पर गहरी छाप छोड़ी। जयप्रकाश मौलाना की बातों से इतना अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी परीक्षाओं के लिए सिर्फ 20 दिन शेष रहते ‘बिहार नेशनल कॉलेज’ छोड़ दिया और राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित एक कॉलेज ‘बिहार विद्यापीठ’ में दाखिला ले लिया। विद्यापीठ में पाठ्यक्रम समाप्त करने के बाद, जयप्रकाश ने संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) में पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया जहां उन्होंने अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के लिए कठिन परिश्रम किया।
अमेरिका (America) में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1929 के अंत में वे एक मार्क्सवादी (Marxist) के रूप में भारत लौटे। 1929 में जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर वे ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ में शामिल हो गए, जहां महात्मा गांधी उनके गुरु बने। 1930 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ के लिए जेल जाने के बाद, नारायण को नासिक जेल में कैद किया गया, जहाँ उनकी मुलाकात राम मनोहर लोहिया, मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता, बसावन सिंह, यूसुफ देसाई, सी. के. नारायणस्वामी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं से हुई। उनकी रिहाई के बाद, आचार्य नरेंद्र देव की अध्यक्षता में ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ (Congress Socialist Party) का गठन हुआ। अगस्त 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया, तो जयप्रकाश नारायण ने योगेंद्र शुक्ला, सूरज नारायण सिंह, गुलाब चंद गुप्ता, पंडित रामनंदन मिश्रा, शालिग्राम सिंह और श्याम बर्थवार के साथ हजारीबाग सेंट्रल जेल की दीवार फांदकर एक नया अभियान शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1947 से 1953 के बीच, जयप्रकाश नारायण भारतीय रेलवे के सबसे बड़े श्रमिक संघ ‘ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन’ के अध्यक्ष रहे।भारत के प्रसिद्ध आधुनिक कलाकार, मक़बूल फ़िदा हुसैन जिन्हें एम.एफ. हुसैन के नाम से जाना जाता है, को जयप्रकाश नारायण द्वारा ही प्रकाश में लाया गया था। वास्तव में जेपी की किताबों के कला कवर को हुसैन द्वारा ही बनाया गया था।
लखनऊ में, राम मनोहर लोहिया पार्क के ठीक बगल में, जय प्रकाश नारायण को समर्पित एक कीलाकार संग्रहालय बनाया गया है। इसे नोएडा स्थित फर्म ‘आर्कोहम’ (Archohm) द्वारा डिजाइन किया गया है। इसके शीर्ष से आप, आस-पास के हरे-भरे ‘राममनोहर लोहिया उद्यान’ का नज़ारा देख सकते हैं तथा साथ ही हमारे इस ऐतिहासिक शहर के लुभावने दृश्य भी देख सकते हैं। संग्रहालय की बनावट सरल और स्पष्ट है, ठीक उसी तरह से जैसा कि जयप्रकाश नारायण का व्यक्तित्व था। इसके अग्रभाग को लाल टेराकोटा की टाइलों से सजाया गया है। जब आप मेहराब के जरिए संग्रहालय के अंदर प्रवेश करते हैं, तो आपको दो रास्ते दिखाई देते हैं। एक रास्ता नीचे तहखाने की ओर जाता है, तथा दूसरा लाल सर्पिल सीढ़ी के जरिए ऊपर की ओर जाता है, जहां विभिन्न प्रदर्शनियां मौजूद हैं। पूरी इमारत में आपको एक वाचनालय, एक पुस्तकालय, एक संग्रहालय और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। यह संग्रहालय तो वास्तव में ‘जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ रूपी एक बड़ी परियोजना को प्रारंभ करने का एक प्रवेश द्वार मात्र है। संग्रहालय मुख्य रूप से चार भागों में विभाजित है: - अवशोषण, आंतरिककरण, प्रतिबिंब और समूह। संग्रहालय की इमारत का आकार चित्रात्मक रूप से जेपी के समाजवाद के सिद्धांतों, जिनमें स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा शामिल है, का प्रतिनिधित्व करता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3H4vGzP
https://bit.ly/3KW6Wuz
https://bit.ly/3UY9lJZ
https://bit.ly/3oADeDI
https://bit.ly/41uaPhh
https://bit.ly/41tcDqW
https://bit.ly/41tRWew
चित्र संदर्भ
1. जय प्रकाश नारायण को समर्पित ‘जीवनी संग्रहालय को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, facebook)
2. कीट्स-शेली मेमोरियल हाउस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. साबरमती आश्रम (साबरमती) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जयप्रकाश नारायण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. जय प्रकाश नारायण को समर्पित ‘जीवनी संग्रहालय के आरेख चित्र को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
7. भीतर से जय प्रकाश नारायण को समर्पित ‘जीवनी संग्रहालय के आरेख चित्र को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
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