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भारतीय परिवेश में स्वचालित वाहन -वास्तविकता या परिकल्पना?

लखनऊ

 11-04-2023 09:20 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

रोमांचक एवं कल्पना से भरी फिल्मों में आपने स्वचालित वाहन (Self–Driving Vehicle), रोबोट टैक्सी (Robot Taxi) और उड़ान भरने वाली गाड़ियों को देखा होगा और सोचा होगा कि यह मात्र एक कल्पना है किंतु यह अब केवल कल्पित विज्ञान कथाओं की बात नहीं हैं; आज वे वास्तविकता बन चुकी हैं। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 तक हम लगभग 8 दशलक्ष स्वचालित या अर्ध-स्वचालित वाहन सड़कों पर देख सकेंगे।
स्वचालित वाहन वे वाहन होते हैं जो मनुष्य की सहायता के बिना ही सड़क पर सेंसर (Sensor), कैमरा (Camera) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के संयोजन का उपयोग कर संचालन और ड्राइव करते हैं। ये वाहन अन्य वाहनों, पैदल चलने वाले लोगों और सड़क के संकेतों सहित अपने परिवेश का पता लगा सकते हैं और उससे संबंधित प्रतिक्रिया दे सकते हैं। जाने माने उद्यमी एलन मस्क (Elon Musk) की कार कंपनी ‘टेस्ला’ (Tesla) द्वारा अर्ध-स्वचालित गाड़ियों को बाजार में उतारा गया है; हालाँकि, उनमें से ज्यादातर (लगभग 70%) अर्ध-स्वचालित गाड़ियां दुर्घटनाओं का शिकार हुई हैं। स्वचालित गाड़ियों की दिशा में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक निवेश और खर्च करने के बावजूद भी, इसमें हुई प्रगति कुछ खास संतोषजनक नहीं है। इसी वजह से, स्वचालित वाहनों को लेकर पिछले कुछ समय से लोग काफी निराश भी हुए हैं।
किंतु विदेशी कंपनियों की विफलता के बावजूद , भारत में कुछ स्टार्टअप स्वचालित वाहनों को लेकर आशावादी बने हुए हैं। बेंगलुरू के स्वचालित कार तकनीक को विकसित करने वाले एक स्टार्टअप ‘माइनस जीरो’ (Minus zero) द्वारा बताया गया है कि वे 2023 में, यानी इस वर्ष एक स्वचालित कार बाजार में लाएंगे। इस कार को इस प्रकार डिजाइन किया जाएगा कि इस में एक सामान्य कार के समान स्टीयरिंग व्हील (Steering wheel), एक्सीलरेटर (Accelerator), ब्रेक पेडल (Brake Pedal) आदि कुछ भी नहीं होगा। आज दुनिया के कुछ क्षेत्रों में स्वचालित वाहन एक वास्तविकता बन गए है, लेकिन भारत में वे अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में हैं। भारत में, वर्तमान में स्वचालित वाहनों से संबंधित केवल कुछ ही परियोजनाएं चल रही हैं, हालांकि कई व्यवसाय सक्रिय रूप से इस प्रौद्योगिकी पर शोध और इसका विकास कर रहे हैं। टाटा मोटर्स (Tata Motors), महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) और ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’, मद्रास (IIT–Madras) स्वचालित वाहन तकनीक पर काम करने वाले कुछ भारतीय निगमों में से हैं।
वास्तव में भारत में इन वाहनों की संभावना पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, यह कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे हल न किया जा सके । स्वचालित गाड़ियों के लिए मुख्य समस्या इनका संचालन नहीं है, बल्कि सड़क पर कई चालकों या प्रवासियों के बीच पारस्परिक समझ है, जो अभी भी एक अनसुलझी समस्या है। हमें इस पारस्परिक समझ वाली समस्या पर काम करना होगा। एक बार जब हमारे पास इस सीमा को पार करने की तकनीक आ जाएगी, तो भारतीय सड़कों पर स्वचालित वाहन जल्द ही होंगे।
हालांकि, सड़कों पर उतरने से पहले, स्वचालित गाड़ियों को ‘चालक सहायता प्रौद्योगिकी’ के 6 स्तरों के माध्यम से गुजरना होगा। ‘सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स’ (Society of Automotive Engineers (SAE) द्वारा 0 से लेकर 5 तक स्वचालन के 6 स्तरों को परिभाषित किया गया है। इन स्तरों को अमेरिकी परिवहन विभाग द्वारा भी अपनाया गया है। ये स्तर निम्न प्रकार हैं –
1. शून्य स्तर (Level 0) – स्वचालन रहित वाहन (No Driving Automation)
इस स्तर पर मानव चालक ही गाड़ी चलाता है, हालांकि गाड़ी में चालक की मदद के लिए कुछ व्यवस्था हो सकती है।
2. पहला स्तर (Level 1) – चालक सहायता वाले वाहन (Driver Assistance)
इस स्तर पर वाहन में चालक की सहायता के लिए एकल स्वचालित प्रणाली होती है, जैसे स्टीयरिंग या फिर एक्सीलरेटर।
3. दूसरा स्तर (Level 2) – आंशिक स्वचालन (Partial Driving Automation)
इस स्तर पर वाहन स्टीयरिंग और एक्सीलरेटिंग दोनों को नियंत्रित कर सकता है। हालांकि ‘एक मानव चालक’ चालक की सीट पर बैठ सकता है और किसी भी समय कार को नियंत्रित कर सकता है।
4. तीसरा स्तर (Level 3) – सशर्त स्वचालन (Conditional Driving Automation)
तीसरे स्तर के वाहनों में उनके परिवेश का पता लगाने की क्षमता होती है और वे उचित निर्णय ले सकते हैं, जैसे, धीमी गति से चलने वाले वाहन की गति को तेज करना। लेकिन इस प्रकार के वाहनों को अभी भी मानव चालक की आवश्यकता होती है। यदि इन वाहनों में स्वचालन तंत्र उचित कदम उठाने में असमर्थ रहता है, तो ऐसी स्थिति में मानव चालक को सतर्क रहना चाहिए।
5. चौथा स्तर (Level 4) – उच्च स्वचालन (High Driving Automation)
इन कारों को ज्यादातर परिस्थितियों में मानव संपर्क की आवश्यकता नहीं होती है। स्तर 3 और स्तर 4 स्वचालन के बीच मुख्य अंतर यह है कि स्तर 4 के वाहन सिस्टम की विफलता पर हस्तक्षेप कर सकते हैं। हालाँकि, मानव के पास मैन्युअल रूप से चालन करने का विकल्प होता मौजूद है।
6.पाँचवाँ स्तर (Level 5)– संपूर्ण स्वचालन (Full Driving Automation)
इस स्तर के वाहनों को मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। इस स्तर पर मानव द्वारा चालन पूरी तरह समाप्त हो जाता है। स्तर 5 की गाड़ियों में स्टीयरिंग व्हील या एक्सीलरेटर भी नहीं होते हैं। ये वाहन एक अनुभवी मानव चालक के समान संचालन कर सकते है। हालांकि स्वचालित गाड़ियों में महत्वपूर्ण लाभ प्रस्तुत करने की क्षमता है, किंतु भारत में इन्हें व्यापक रूप से अपनाए जाने से पहले इनसे जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जाना चाहिए। भारत में स्वचालित वाहनों के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक बुनियादी ढांचे और नियमों की कमी है। इसमें ऐसी सड़कें शामिल हैं जो अच्छी तरह से चिह्नित नहीं हैं और जिनके सही डिजिटल मानचित्र नहीं बने हुए हैं, जो इन गाड़ियों के संचालन हेतु आवश्यक हैं। साथ ही स्वचालित गाड़ियों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि इन वाहनों द्वारा निर्णय लेने की तकनीक कितनी अच्छी तरह काम करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सड़क पर यात्री और अन्य चालक सुरक्षित हैं, यह महत्वपूर्ण है कि स्वचालित गाड़ियों के परीक्षण और उपयोग के लिए स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश हों।
जबकि भारत में एक दूसरा विषय स्वचालित वाहनों से जुड़े अवसरों और संभावनाओं से जुड़ा हैं। जैसे कि:
स्वचालित वाहन यातायात दुर्घटनाओं की संख्या में बड़ा अंतर ला सकते है । ये वाहन मानवीय त्रुटि को समाप्त कर देंगे, जो यातायात दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है। लोग स्वचालित गाड़ी सेवाओं का उपयोग करके सड़क पर कारों की संख्या कम कर सकते हैं। इससे सड़कों पर ट्रैफिक (Traffic) की समस्या का भी निदान हो सकेगा। यहां ट्रैफिक की समस्या के निदान का सीधा सीधा मतलब होगा कम प्रदूषण और बेहतर वायु गुणवत्ता। कुछ हद तक इन गाड़ियों से लोगों का पैसा भी बर्बाद होने से बचेगा । लोग रखरखाव, बीमा और ईंधन जैसी लागतों पर पैसा बचा सकते हैं । इसके अलावा, स्वचालित गाड़ी बस और ट्रेन जैसी महंगी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की आवश्यकता को भी कम कर सकती हैं। दुनिया की लगभग 15% आबादी किसी न किसी तरह की विकलांगता के साथ रहती है। भारत में भी लगभग 26% लोग किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से पीड़ित हैं । स्वचालित वाहन इन लोगों को स्वतंत्रता और गतिशीलता का एक नया रास्ता दिखा सकती हैं। स्वचालित गाड़ियों का भविष्य आशाजनक है, और इन वाहनों के संभावित लाभ इसे विकास का एक रोमांचक क्षेत्र बनाते हैं। तकनीकी प्रगति के साथ, इन वाहनों का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। चालक रहित गाड़ियों का भविष्य नई चुनौतियों और अवसरों को लेकर निश्चित है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत में यह कैसे विकसित होता है।

संदर्भ

https://bit.ly/3ZvbVHP
https://bit.ly/41aWp5p
https://bit.ly/3KqWfRE

चित्र संदर्भ

1. एक स्वचालित कार को संदर्भित करता एक चित्रण (TheNextWeb)
2. टेस्ला के अर्ध स्वचालित वाहन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. गाड़ी के सामने आनेवाली बाधाओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. एक अत्याधुनिक स्वचालित कार को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. BMW की स्वचालित कार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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