क्या केवल लखनऊ जैसे तितली उद्यानों का निर्माण करके इन सुंदर प्रजातियों का संरक्षण संभव है?

तितलियाँ और कीट
08-04-2023 10:15 AM
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क्या केवल लखनऊ जैसे तितली उद्यानों का निर्माण करके इन सुंदर प्रजातियों का संरक्षण संभव है?

रंगीन एवं नाजुक तितलियाँ न केवल मन को लुभाने वाले सुंदर कीट हैं, बल्कि ये तितलियां स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र की सूचक होने के साथ ही खाद्य श्रृंखला में भी एक आवश्यक भूमिका निभाती हैं। मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में हाल ही में बनाए गए तितली उद्यान तितली संरक्षण के नए उपायों के रूप में सामने आ रहे हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, पंजाब और हमारे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी ऐसे कई उद्यान पहले से ही मौजूद हैं।
राज्य की राजधानी हमारे शहर लखनऊ में स्थित ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान’ में तितली उद्यान, जिसकी स्थापना के बारे में हमने आपको अपने 19 जनवरी के लेख में विस्तार से बताया था, में पिछले महीने से ही विभिन्न प्रकार की तितलियां दिखना शुरू हो गई हैं । गर्मी के मौसम की शुरूआत के साथ एक बार फिर से तितली उद्यान में रंग-बिरंगी तितलियां नजर आने लगी हैं। तितलियों के आवास के लिए फूलों वाले पौधों (Nectar Plant) के साथ-साथ मेजबान पौधों (Host Plant) की भी आवश्यकता होती है। होस्ट प्लांट में तितलियाँ अपने अंडे देती हैं । इसके बाद इन अंडों से कैटरपिलर (Caterpillar) और फिर प्यूपा (Pupa [कोषस्थ कीट]) बनता है। जीवन विकास के इस चरण के बाद एक पूर्ण तितली बनती है। करी पत्ते, कपास के पेड़, तेज पत्ता, मदार, रेढ़, नींबू, अनार, संतरा, गुड़हल आदि होस्ट पौधें होते हैं। वही दूसरी तरफ, फूलों वाले नेक्टर पौधों से तितलियां अपना भोजन लेती हैं। एग्जोरा, कास्मोस, लैंटाना (Lantana), गुड़हल, सूरजमुखी, ग्लैडिओलस (Gladiolus), पपी, सदाबहार, बसैंदा आदि नेक्टर प्लांट होते हैं। तितलियां ताजे और सड़े फलों से भी पराग अर्थात रस लेती हैं।
उद्यान में प्लेन टाइगर (Plain Tiger), स्ट्राइप्ड टाइगर (Striped Tiger), निंफालेडी, कॉमन इमीग्रेंट (Common Emigrant), डैनेड एग फ्लाई (Danaid Egg Fly), जेझेबेल (Jezebel), जेब्रा ब्लू (Zebra Blue) जैसी तितलियां दिखना शुरू हो गई हैं। इनसे पहले उद्यान में पेंजी, कॉमन क्रो (Common Crow), चाकलेट पेंजी, ग्र्रास यलो आदि तितली प्रजातियों को देखा जा सकता हैं। इस तितली उद्यान में कुछ प्रवासी तितलियों जैसे कि पेंटेड लेडी (Painted Lady), अमेरिकी मोनार्क (American Monarch) को भी देखा जा सकता है । लखनऊ की तरह ही, भोपाल के ‘वन विहार राष्ट्रीय उद्यान’, में ब्लू टाइगर (Blue tiger), प्लेन टाइगर, स्ट्राइप्ड टाइगर, कॉमन बैंडेड ऑ (Common Banded Awl) जैसी तितलियों सहित तितलियों की लगभग 36 प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इस उद्यान का उद्देश्य लोगों को तितलियों के संरक्षण के बारे में जागरूक करना है। यह उद्यान आगंतुकों को तितलियों को आकर्षित करने के लिए पराग वाले तथा मेजबान पौधों को लगाने के लिए भी प्रोत्साहित करता हैं। उद्यान द्वारा एक पत्रक भी तैयार किया गया है जिसमें इसके बारे में सारी जानकारी है।
हालांकि आज, तितलियों के लिए उद्यानों की संख्या बढ़ रही है, परंतु एक प्रश्न उठता है कि क्या ये उद्यान बड़े पैमाने पर तितलियों का संरक्षण करने में सक्षम हैं? कीटनाशकों के उपयोग में वृद्धि, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण आज तितलियों के प्राकृतिक निवास स्थान नष्ट हो रहे हैं। तितली उद्यान घूमने और शिक्षा के लिए तो ठीक हैं, किंतु संरक्षण के लिए नहीं। शहरी और साथ ही जंगली आवासों में रक्षण के लिए, तथा लुप्तप्राय और खतरे वाली तितलियों की प्रजातियों के रक्षण एवं प्रजनन के लिए संरक्षण आवश्यक हैं। तितलियों के संरक्षण एवं प्रजनन के लिए प्रजनन कार्यक्रमों को अच्छी तरह से नियोजित किया जाना चाहिए और प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से पर्याप्त रूप से उत्पन्न की गई एवं पाली गई तितलियों को प्राकृतिक आवासों में छोड़ा जाना चाहिए। आवास, होस्ट और नेक्टर पौधों का संरक्षण और तितली संरक्षिकाओं में प्रजनन एक साथ किया जाना चाहिए। भोपाल एवं लखनऊ जैसे उद्यान तितलियों, उनके कैटरपिलर, पौधों के साथ तितलियों के संपर्क और विशेष रूप से युवा लोगों को कीट जैव विविधता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अत्यंत लाभदायक हैं ।
किंतु प्रयासों के बावजूद, बड़े पैमाने पर वन पतन की समस्या से तितलियों के प्राकृतिक निवास स्थानों का नुकसान हो रहा है । जंगल की आग, जंगल का क्षरण और जलवायु परिवर्तन तितलियों की कई प्रजातियों को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। हालांकि, शोध की कमी के कारण, यह कहना असंभव है कि कौन सी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। आज स्थिति यह है कि हम वास्तव में धीरे-धीरे अपनी सुंदर रंग बिरंगी तितलियों को खो रहे हैं। मुख्य रूप से गहन कृषि पद्धतियों, भूमि उपयोग में परिवर्तन, कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग, विदेशी कीटों की आक्रामक प्रजातियों, बीमारियों, कीटों और जलवायु परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों और तितलियों की आबादी में चिंताजनक गिरावट आई है। इसके अलावा तितलियों का अवैध व्यापार इस कीट के लिए एक और बड़ा खतरा है।
आज भारत में तितली संरक्षण कार्यक्रम की जरूरत है, लेकिन यह सिर्फ उद्यानों या संरक्षिकाओं के जरिए नहीं हो सकता है। अगर हम तितलियों के आवासों को लगातार नुकसान पहुंचाते रहेंगे और क्षरण करते रहेंगे, तो संरक्षण कार्यक्रम कभी सफल नहीं हो सकते । इसलिए, किसी अन्य महत्वपूर्ण संरक्षण कार्यक्रम के समान, तितली संरक्षण को अलगाव में नहीं देखा जा सकता है। तितलियों के संरक्षण के लिए सबसे पहले इनके जंगली आवासों का संरक्षण सर्वोपरि है। इसके बिना, भारतीय जैव विविधता का कोई भविष्य नहीं है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण रूप से राजमार्गों के लिए तेजी से खंडित किए जा रहे आवासीय स्थानों के बीच गलियारों का निर्माण किया जाना चाहिए क्योंकि, तितलियां आसानी से घने निर्मित क्षेत्रों तथा भारी और तेजी से चलने वाले वाहनों के यातायात को पार नहीं कर सकती हैं। जितना भी संभव हो सके, पहले से ही खंडित हो चुके आवासों में सुधार आवश्यक है। तितलियों के संरक्षण के लिए मूल जैव विविधता के अनुकूल वनस्पति के विकास को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है; जैसा कि कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में वन विभागों ने भारी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तथा आसपास के कई तितली आवासों में किया है।

संदर्भ
https://bit.ly/40tL28n
https://bit.ly/40o35gi

चित्र संदर्भ
1. लखनऊ में तितली प्राणी उद्यान को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. लखनऊ जूलॉजिकल गार्डन में मोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कॉमन बैंडेड ऑ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पेंटेड लेडी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मोनार्क तितली के जीवन चक्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. भारत में तितली उद्यान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)