City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1051 | 505 | 1556 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
हमारे लखनऊ शहर को गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लखनऊ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यहाँ के प्राचीन जैन मंदिर भी शामिल हैं, जिसकी वजह से हमारा शहर जैन अनुयायियों के बीच भी अपना एक विशेष महत्व रखता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी और हमारे शहर लखनऊ में विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक मंदिर, मस्जिद और चर्च (Churches) स्थित हैं। ये सभी धार्मिक स्थल धार्मिक सौहार्द और समन्वयवाद का एक असाधारण उदाहरण पेश करते हैं, जहां विभिन्न धर्म शांतिपूर्वक और सह-अस्तित्व में एक साथ रहते हैं। अगर आप लखनऊ के इतिहास और संस्कृति को समझने में रूचि रखते हैं तो यहां ऐसी कई जगहें हैं जो आपको रोमांचित कर सकती हैं।
लखनऊ के दर्शनीय स्थलों में से एक यहाँ के जैन मंदिर भी हैं। शहर के प्रसिद्ध जैन मंदिरों में भगवान शांतिनाथ और भगवान पद्म प्रभु मंदिर, भगवान पार्श्वनाथ मंदिर, भगवान संभवनाथ मंदिर और ठाकुरगंज तथा डालीगंज में विद्यमान अन्य जैन मंदिर भी शामिल हैं।
इन सभी जैन मंदिरों में भगवान संभवनाथ मंदिर, जिसे सोबनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, को लखनऊ का सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर माना जाता है। यह मंदिर आज जिस स्थान पर विद्यमान है, वहां पर की गई खुदाई से कई मूर्तियां प्राप्त हुई है, जो जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की मानी जाती हैं। मंदिर में एक गर्भगृह भी है जो आकार में 10 X 10 फुट बड़ा है। इस गर्भगृह में विभिन्न आकृतियों की जैन मूर्तियाँ स्थित हैं जो जैन धर्म में बेहद पूजनीय मानी जाती हैं। इन मूर्तियों में सबसे महत्वपूर्ण मूर्ति भगवान ऋषभदेव की हैं, जो एक सपाट पत्थर पर विराजमान हैं। उनके दोनों तरफ शेरों की शानदार नक्काशी की कई है और केंद्र में एक बैल भी विराजमान है। भगवान ऋषभदेव के दोनों तरफ दो यक्ष भी विद्यमान हैं जो उनके सिर के ऊपर छत्र पकड़े हुए हैं। समतल पत्थर पर शेष 23 तीर्थंकरों की उत्कृष मूर्तियां भी उकेरी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि ये मूर्तियां 1000 वर्ष पुरानी हैं ।
भगवान संभवनाथ वर्तमान अवसर्पिणी (Avasarpini) काल, के तीसरे तीर्थंकर माने जाते हैं । जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान संभवनाथ का जन्म भारतीय कैलेंडर के मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन हुआ था। वह तीसरे जैन तीर्थंकर या सर्वज्ञ शिक्षक थे, जिनका जन्म श्रावस्ती में राजा जीतारी और रानी सुसेना के घर में हुआ था। जैन पाठ उत्तर पुराण के अनुसार, जन्म से ही प्रभु संभवनाथ को तीन प्रकार का ज्ञान (श्रुत ज्ञान , मति ज्ञान, अवधिज्ञान) प्राप्त था।
भगवान संभवनाथ की देह का रंग सुनहरा था।इनका प्रतीक चिह्न घोडा माना जाता है। माना जाता है कि भगवान संभवनाथ जी के शरीर का आकार 400 धनुष के माप के बराबर अर्थात लगभग 1200 मीटर था । भगवान संभवनाथ जी की कुल आयु 60,000,00 वर्ष मानी जाती है । उन्होंने लोगों को सांसारिक जीवन रूपी कर्म के मैल से मुक्त करके परम सुख प्राप्त करने में मदद की। भगवान संभवनाथ जी ने सम्मेद, शिखरजी (Sammed, Shikharji) मे अपने समस्त घनघाती कर्मो का क्षय कर निर्वाण प्राप्त किया और सिद्ध कहलाये। शिखरजी या श्री शिखरजी भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व के सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थलों में से एक है।
भारत में भगवान संभव नाथ को समर्पित अन्य मंदिरों में संभवनाथ मंदिर (मधुबन), भगवान सुमतिनाथ और भगवान संभवनाथ मंदिर (रणथंभौर किला), संभवनाथ मंदिर (इदर, गुजरात) और गुजरी महल पुरातत्व संग्रहालय में तीर्थंकर संभवनाथ की छवि शामिल है।
लखनऊ में जैन मंदिरों में जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम के दौरान होता है जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्मी के मौसम में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। हालांकि, अगर आपको गर्मी से कोई दिक्कत नहीं है, तो आप साल भर मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। महावीर जयंती के दिन आप इन मंदिरों की यात्रा कर सकते हैं । महावीर जयंती महावीर स्वामी के जन्म दिवस के रूप में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है। इस दिन सभी जैन भिक्षु इकट्ठा होते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। इस वर्ष यह आज 4 अप्रैल को मनाई जा रही है ।
यदि आप इस लेख को लखनऊ के अलावा किसी अन्य शहर से पढ़ रहे हैं तो लखनऊ जाने के लिए आप ट्रेन, हवाई या सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। यदि आप ट्रेन से यात्रा करना चुनते हैं, तो आप ‘लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन’ (Lucknow Junction Railway Station) पर उतर सकते हैं, जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यदि आप हवाई यात्रा करना पसंद करते हैं, तो आप ‘चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे’ पर उतर सकते हैं, जो भारत और विदेशों के प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें संचालित करता है। और यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो लखनऊ अन्य नजदीकी शहरों के साथ-साथ भारत के प्रमुख शहरों से राजमार्गों के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
जैन मंदिरों के अलावा, लखनऊ में कई अन्य लोकप्रिय पर्यटन आकर्षण केंद्र भी हैं। यदि आप शहर के इतिहास और संस्कृति को जानने-समझने में रुचि रखते हैं, तो आपको चारबाग रेलवे स्टेशन, विधान भवन, गुरुद्वारा याहियागंज, सिकंदर बाग, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, ला मार्टिनियर (La Martiniere), सआदत अली खान के मकबरे और खुर्शीद जादी, शहीद स्मारक, दिलकुशा, और अलीगंज के भगवान हनुमान मंदिर जैसे शानदार स्थानों की यात्रा करनी चाहिए।
संदर्भ
https://bit.ly/40PTZIZ
https://bit.ly/3M6Wpih
चित्र संदर्भ
1. श्री शांतिनाथ जैन देरासर लखनऊ को संदर्भित करता एक चित्रण (facebook)
2. इंदिरा नगर जैन मंदिर, लखनऊ को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
3. सुदर्शनोदय तीर्थ क्षेत्र, अनवा में संभवनाथ प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तीर्थंकर सम्भवनाथ की प्रतिमाजी (ग्वालियर फोर्ट म्यूजियम)
को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. शोभनाथ मंदिर, श्रावस्ती को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.