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भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। किंतु दुर्भाग्य से देश के विभिन्न हिस्सों, यहां तक कि हमारे लखनऊ शहर में भी, बेचारी गौ माता की स्थिति वैसी ही बदहाल हो रही है, जैसी स्थिति घर से निकालकर, वृद्ध आश्रम में भेज दिए गए बुजुर्ग माता-पिता की होती है।
पशुपालन मंत्रालय द्वारा 2019 में आयोजित 20वीं पशुधन गणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 50 लाख मवेशी बेघर और आवारा घूम रहे हैं। ये जानवर मुख्य रूप से भोजन और पानी की तलाश में सड़कों पर भटक रहे हैं। हमारे राज्य में गौवध प्रतिबंधित होने के कारण किसान उन्हें बेच तो नहीं पाते हैं किंतु उन्हें खुला छोड़ देते हैं। जिससे इन जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं की ख़बरें अक्सर सामने आती रहती हैं।
उत्तर प्रदेश में आवारा मवेशी एक बड़ी समस्या बन गए हैं। गौहत्या के लिए कड़ी सजा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2020 में ‘उत्तर प्रदेश गौवध निवारण (संशोधन) अधिनियम’, पारित किया गया, इसके अलावा हर जिले में एक गौ सहायता डेस्क (Cow Helpdesk) की स्थापना भी की गई।
लेकिन इन कोशिशों ने राज्य में आवारा मवेशियों की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। गौवध प्रतिबंध के बाद, आवारा पशुओं की समस्या और भी अधिक विकट हो गई है। परित्यक्त गायों को गौशालाओं में जमा कर दिया गया है, किंतु धन की भारी कमी के कारण इनके उचित भोजन और रखरखाव की समस्या उत्पन्न हो गई है।
हमारे लखनऊ से तकरीबन 20 किमी दूर स्थित, फर्रुखाबाद गांव में जमीन का एक भूखंड गायों के शवों का डंपिंग यार्ड (Dumping Yard) बन गया है। ग्रामीणों के अनुसार, पिछले 7-8 सालों से इस भूखंड में गायों के शवों को फेंका जा रहा है और हर हफ्ते 2-3 शव वहां फेंके जाते हैं। ये शव न केवल आस-पास के गांवों से बल्कि सरकार द्वारा संचालित पशु आश्रय हनुमान टेकड़ी गौशाला से भी आते हैं।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित ‘हनुमान टेकरी गौशाला’ में भी गायें कुप्रबंधन के कारण बेमौत मर रही हैं। ग्रामीणों ने गायों की मौत के लिए हनुमान टेकरी गौशाला में बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उनके अनुसार, राज्य द्वारा संचालित आश्रय में मवेशियों को अपेक्षित आहार नहीं मिलता, और उन्हें हरे चारे के बजाय सूखा चारा खिलाया जाता है। उन्हें दिन में केवल एक बार पानी दिया जाता है। नतीजतन, इन गायों को उचित आहार नहीं मिल पाता है।
गौशाला में काम करने वाले श्रमिकों का दावा है कि धन और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ऐसी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। इसके अलावा अपर्याप्त हरे चारे के कारण गायों को आसपास के ग्रामीण इलाकों में चरने और जहरीले पौधों को खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। गौशाला के पास कंक्रीट के बजाय सिर्फ एक बाड़ है, जिसे फांदकर मवेशी आस-पास के खेतों में और सड़कों पर चले जाते हैं।
राज्य की अनेक गौशालाएं आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। लेकिन इससे निपटने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र (Biogas Plant) स्थापित कर गाय के गोबर का उपयोग बायोगैस और बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है।
राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक विशाल गौशाला स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार एक पायलट परियोजना (Pilot Project) शुरू करने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’ (National Dairy Development Board) द्वारा संचालित परियोजना के लिए मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी शहर में 52 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। इस अभयारण्य में 63 करोड़ रुपये की लागत से 5,000 जानवरों के रहने की व्यवस्था की जाएगी । माना जा रहा है कि यह गौशाला मुजफ्फरनगर के साथ-साथ राज्य के अन्य शहरों में भी आवारा घूम रहे मवेशियों की बढ़ती समस्या से निजात दिलाएगी, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, मनुष्यों पर हमला करते हैं और राजमार्गों और परिधीय सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
इस गौशाला में पशु मल का उपयोग, गैस और उर्वरक के निर्माण के लिए किया जाएगा, और यहाँ पर मृत पशुओं के निपटान के लिए भस्मक भी उपलब्ध होंगे। इस गौशाला का उपयोग पशु अनुसंधान के लिए भी किया जाएगा। इन योजना का उद्देश्य गाय के दूध के अलावा गोबर और मूत्र जैसे उप-उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देकर गौशाला को आत्मनिर्भर बनाना है। एक बार हरी झंडी मिलने के बाद, इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाएगा, इस योजना के द्वारा विभिन्न संगठन, अनुसंधान संस्थान, गैर सरकारी संगठन, गौशालाएं, व्यक्तिगत उद्यमी, ट्रस्ट या समाज, किसान संगठन और स्वयं सहायता समूह भी व्यक्तिगत स्तर पर लाभ उठा सकेंगे ।
संदर्भ
https://bit.ly/3LRXH0o
https://bit.ly/3KarX5w
https://bit.ly/3JM7i6z
चित्र संदर्भ
1. गोबर फेंकती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. गली में आवारा घूमती गाय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मृत गाय को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. गौशाला में गाय को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
5. गाय और गोबर के उपलों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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