Post Viewership from Post Date to 04-Mar-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1213 451 1664

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

दूध नहीं देने के बावजूद भी गाय पालना और उसका संरक्षण करना लाभदायक हो सकता है!

लखनऊ

 31-03-2023 09:45 AM
स्तनधारी

भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। किंतु दुर्भाग्य से देश के विभिन्न हिस्सों, यहां तक कि हमारे लखनऊ शहर में भी, बेचारी गौ माता की स्थिति वैसी ही बदहाल हो रही है, जैसी स्थिति घर से निकालकर, वृद्ध आश्रम में भेज दिए गए बुजुर्ग माता-पिता की होती है। पशुपालन मंत्रालय द्वारा 2019 में आयोजित 20वीं पशुधन गणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 50 लाख मवेशी बेघर और आवारा घूम रहे हैं। ये जानवर मुख्य रूप से भोजन और पानी की तलाश में सड़कों पर भटक रहे हैं। हमारे राज्य में गौवध प्रतिबंधित होने के कारण किसान उन्हें बेच तो नहीं पाते हैं किंतु उन्हें खुला छोड़ देते हैं। जिससे इन जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं की ख़बरें अक्सर सामने आती रहती हैं। उत्तर प्रदेश में आवारा मवेशी एक बड़ी समस्या बन गए हैं। गौहत्या के लिए कड़ी सजा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2020 में ‘उत्तर प्रदेश गौवध निवारण (संशोधन) अधिनियम’, पारित किया गया, इसके अलावा हर जिले में एक गौ सहायता डेस्क (Cow Helpdesk) की स्थापना भी की गई।
लेकिन इन कोशिशों ने राज्य में आवारा मवेशियों की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। गौवध प्रतिबंध के बाद, आवारा पशुओं की समस्या और भी अधिक विकट हो गई है। परित्यक्त गायों को गौशालाओं में जमा कर दिया गया है, किंतु धन की भारी कमी के कारण इनके उचित भोजन और रखरखाव की समस्या उत्पन्न हो गई है।
हमारे लखनऊ से तकरीबन 20 किमी दूर स्थित, फर्रुखाबाद गांव में जमीन का एक भूखंड गायों के शवों का डंपिंग यार्ड (Dumping Yard) बन गया है। ग्रामीणों के अनुसार, पिछले 7-8 सालों से इस भूखंड में गायों के शवों को फेंका जा रहा है और हर हफ्ते 2-3 शव वहां फेंके जाते हैं। ये शव न केवल आस-पास के गांवों से बल्कि सरकार द्वारा संचालित पशु आश्रय हनुमान टेकड़ी गौशाला से भी आते हैं। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित ‘हनुमान टेकरी गौशाला’ में भी गायें कुप्रबंधन के कारण बेमौत मर रही हैं। ग्रामीणों ने गायों की मौत के लिए हनुमान टेकरी गौशाला में बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उनके अनुसार, राज्य द्वारा संचालित आश्रय में मवेशियों को अपेक्षित आहार नहीं मिलता, और उन्हें हरे चारे के बजाय सूखा चारा खिलाया जाता है। उन्हें दिन में केवल एक बार पानी दिया जाता है। नतीजतन, इन गायों को उचित आहार नहीं मिल पाता है।
गौशाला में काम करने वाले श्रमिकों का दावा है कि धन और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ऐसी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। इसके अलावा अपर्याप्त हरे चारे के कारण गायों को आसपास के ग्रामीण इलाकों में चरने और जहरीले पौधों को खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। गौशाला के पास कंक्रीट के बजाय सिर्फ एक बाड़ है, जिसे फांदकर मवेशी आस-पास के खेतों में और सड़कों पर चले जाते हैं। राज्य की अनेक गौशालाएं आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। लेकिन इससे निपटने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र (Biogas Plant) स्थापित कर गाय के गोबर का उपयोग बायोगैस और बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है।
राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक विशाल गौशाला स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार एक पायलट परियोजना (Pilot Project) शुरू करने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’ (National Dairy Development Board) द्वारा संचालित परियोजना के लिए मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी शहर में 52 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। इस अभयारण्य में 63 करोड़ रुपये की लागत से 5,000 जानवरों के रहने की व्यवस्था की जाएगी । माना जा रहा है कि यह गौशाला मुजफ्फरनगर के साथ-साथ राज्य के अन्य शहरों में भी आवारा घूम रहे मवेशियों की बढ़ती समस्या से निजात दिलाएगी, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, मनुष्यों पर हमला करते हैं और राजमार्गों और परिधीय सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। इस गौशाला में पशु मल का उपयोग, गैस और उर्वरक के निर्माण के लिए किया जाएगा, और यहाँ पर मृत पशुओं के निपटान के लिए भस्मक भी उपलब्ध होंगे। इस गौशाला का उपयोग पशु अनुसंधान के लिए भी किया जाएगा। इन योजना का उद्देश्य गाय के दूध के अलावा गोबर और मूत्र जैसे उप-उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देकर गौशाला को आत्मनिर्भर बनाना है। एक बार हरी झंडी मिलने के बाद, इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाएगा, इस योजना के द्वारा विभिन्न संगठन, अनुसंधान संस्थान, गैर सरकारी संगठन, गौशालाएं, व्यक्तिगत उद्यमी, ट्रस्ट या समाज, किसान संगठन और स्वयं सहायता समूह भी व्यक्तिगत स्तर पर लाभ उठा सकेंगे ।

संदर्भ

https://bit.ly/3LRXH0o
https://bit.ly/3KarX5w
https://bit.ly/3JM7i6z

चित्र संदर्भ

1. गोबर फेंकती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. गली में आवारा घूमती गाय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मृत गाय को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. गौशाला में गाय को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
5. गाय और गोबर के उपलों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id