शायरी, नज्म और संगीत का शहर लखनऊ

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
05-02-2018 11:18 AM
शायरी, नज्म और संगीत का शहर लखनऊ

किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत बिस्मिल मगर ख़ुदा की क़सम लखनऊ ने लूट लिया शायरी और गज़ल लखनऊ के रगों में भरा पड़ा है यही कारण है कि इस शहर पर कितने ही शायरों ने कवितायें लिखी। यदि यहाँ पर शायरी, संगीत, गज़ल आदि पर ध्यान देते हैं तो निम्नवत् बिन्दु निकल कर सामने आता है। लखनऊ दुनिया के सम्भवतः उन गिने-चुने शहरों में से एक है जो कि किसी स्थूल वस्तु के कारण नहीं, वरन् साहित्य, संगीत और कला के कारण प्रसिद्धि के शिखर पर रहा है। इसमें भी खासतौर से उर्दू काव्य का विशेष योगदान है। सन् 1707 में औरंगजेब की मौत से पहले तक उर्दू काव्य का केन्द्र दिल्ली था, लेकिन उसके बाद बादशाह आलम से लेकर अन्तिम शासक बहादुर शाह द्वितीय (1837-58) तक के 13 बादशाह क्रमश: इतने कमजोर होते गए कि वह शायरों और कलाकारों को आर्थिक प्रश्रय देने में असमर्थ हो गए। इसका पूरा लाभ 14वें बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला (1719-48) द्वारा सन् 1722 में नियुक्त अवध वंश के संस्थापक बुरहानुलमुल्क के वंशज यानी अवध के नवाबों को मिला। लखनऊ ने शायरों को एक स्थान से नवाज़ा और यही कारण था की सौदा और मीर तकी मीर जैसे प्रसिद्ध शायर दिल्ली छोड़ लखनऊ में आ बसे। धीरे-धीरे लखनऊ शायरों और उनके कद्रदानों का बड़ा केन्द्र हो गया। वर्तमान काल में भी लखनऊ में संगीत व शायराना अंदाज झलक जाती है। 1. https://www.rekhta.org/tags/lucknow-shayari?lang=hi 2. https://goo.gl/LThAhx 3. https://goo.gl/aQ1CrX